अगले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम ‘इंडिया’

public asia | पब्लिक एशिया ब्यूरो
Updated: 18 Jul 2023 , 21:20:07 PM
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वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के परिप्रेक्ष्य में प्रमुख 26 विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ अपने महागठबंधन को भारतीय राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समावेशी गठबंधन( इंडिया) नाम दिया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक के दूसरे दिन मंगलवार को यह घोषणा की।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे एनडीए बनाम इंडिया की लड़ाई बताते हुए कहा कि विपक्षी दल संविधान , भारतीयों की आवाज और विचार को बचाने के लिए कृतसंकल्पित हैं। उन्होंने जोर दिया कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ‘इंडिया’ के बीच की लड़ाई है और ये भी जगजाहिर है कि जहां इंडिया होता है वहां किसकी जीत होती है।
गांधी ने कहा , “हम संविधान, भारतीयों की आवाज और भारत के विचार को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। आप जानते हैं कि जो कोई भी भारत के विचार से लड़ना चाहता है उसका क्या होता है। यह लड़ाई नरेंद्र मोदी और ‘इंडिया’ के बीच है। इंडिया हमेशा सभी लड़ाई जीतता है। ”

बैठक में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद, आम आदम पार्टी के अरविंद केजरीवाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, द्रविढर मुनेत्र कषगम के एम के स्टालिन तथा अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने हिस्सा लिया।
खड़गे ने कहा कि अगली बैठक मुंबई में होगी और वहां 11 सदस्यीय समन्वय समिति गठित की जाएगी तथा इसके सदस्यों की घोषणा की जायेगी।

सुश्री बनर्जी ने बैठक में कहा , “एनडीए , क्या आप इंडिया को चुनौती दे सकते हैं? हम अपनी मातृभूमि से प्यार करते हैं। हम देशभक्त हैं और हम देश, दुनिया, किसानों और सभी के लिए हैं।”
बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि भारतीय संविधान के मूलभूत स्तंभ - धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र, आर्थिक संप्रभुता, सामाजिक न्याय और संघवाद - को व्यवस्थित और खतरनाक तरीके से कमजोर किया जा रहा है।
प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि देश के संघीय ढांचे को जानबूझकर कमजोर करने का प्रयास किया गया।

प्रस्ताव में कहा गया कि गैर-भाजपा शासित राज्यों में राज्यपालों और उपराज्यपालों की भूमिका संवैधानिक मानदंडों से अधिक हो गयी है। भाजपा सरकार के सरकारी एजेंसियों का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ खुलेआम दुरुपयोग लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है। वहीं गैर-भाजपा शासित राज्यों की वैध जरूरतों, आवश्यकताओं और अधिकारों को दबाया जा रहा है।
विपक्षी दलों ने इसे मानवीय त्रासदी बताते हुए मणिपुर हिंसा पर श्री मोदी की चुप्पी पर गंभीर चिंता जताई और इसे चौंकाने वाला और अभूतपूर्व बताया। उन्होंने मणिपुर को शांति और सुलह के रास्ते पर वापस लाने के लिए तत्काल कदम उठाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।





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