अरविन्द केजरीवाल सरकार की एडिटोरियल विज्ञापन नीति में क्या है घपला

मुकेश वत्स | पब्लिक एशिया
Updated: 23 Aug 2022 , 13:36:21 PM
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 पिछले 1 हफ्ते से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की विज्ञापन नीति पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। इंटरनेशनल दो अखबारों में दिए गए एडिटोरियल विज्ञापन ने दिल्ली सरकार की मुसीबत को बढ़ा दिया है। हालांकि अरविंद केजरीवाल विश्व स्तर के दो अखबार में छपे  एडिटोरियल विज्ञापन को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दिल्ली में किए गए शिक्षा स्तर पर हुए सुधार को बड़ी उपलब्धि मानते हुए इस आर्टिकल एडिटोरियल विज्ञापन का मीडिया में  गुणगान कर रहे हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस ने निशाना साधते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल ने एक एडिटोरियल विज्ञापन बनाकर विश्व स्तर के दो बड़े अखबारों में प्रिंट कराया है। दिल्ली सरकार द्वारा जारी हुए एडिटोरियल विज्ञापन सरकार का सिर्फ झूठ है। मोटी रकम देकर प्रिंट कराया गया यह विज्ञापन एडिटोरियल  सरकार का सिर्फ दिखावा है।दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया देश की मीडिया के सामने इस एडिटोरियल  विज्ञापन आर्टिकल का खुलेआम गुणगान कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि  अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार के पैसे का दुरुपयोग करते हुए देश और विदेश में इस तरह के झूठे आर्टिकल छपवा कर वाहवाही लूट रहे हैं।

देश की जनता को पता है कि अरविंद केजरीवाल ने आज तक दिल्ली सरकार कितना चूना लगाया है। सरकारी खजाने को खाली कर रहे अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम का एक ही मकसद है दिल्ली को कमजोर करना, दिल्ली पर आर्थिक बोझ डालना। अरविंद केजरीवाल के बाद जितनी भी सरकारें आएंगी दिल्ली में उनको बहुत बड़ी आर्थिक स्थिति से गुजरना पड़ेगा और इसका  सीधा असर  दिल्ली की जनता पर पड़ेगा। आज के  पब्लिक एशिया यूट्यूब चैनल पर हमने दिखाया है कि दिल्ली की सरकार कैसे विज्ञापन देकर लोगों से आए राजस्व को पानी की तरह बहा रही है? पब्लिक एशिया  अपने चैनल और अखबार के माध्यम से दिल्ली सरकार की विज्ञापन नीतियों को जनहित में दिखाकर अरविंद केजरीवाल सरकार का पर्दाफाश कर रही है । दिल्ली प्रदेश सरकार की विज्ञापन नीति क्या है : पहले हम बात करते हैं प्रिंट मीडिया की, प्रिंट मीडिया में 3 तरह के अखबारों की कैटेगरी है जिसमें बिग न्यूज़पेपर, मीडियम न्यूज़पेपर और स्माल न्यूज पेपर  शामिल होते हैं। अब सरकार अपने वार्षिक बजट में प्रिंट मीडिया का एक बजट निर्धारित करती है  इस बजट का हिस्सा तीन भागों में बांटा जाता है 50% बजट बिग न्यूज़पेपर, 35 परसेंट बजट मीडियम न्यूज़पेपर और 15 प्रतिशत  बजट स्मॉल न्यूज़ पेपर को दिया जाता है।

अरविंद केजरीवाल की सरकार से पहले की सरकारें विज्ञापन नीतियों के अनुसार सभी अखबारों को कैटेगरी के हिसाब से विज्ञापन देती थीं। परंतु दिल्ली में जब से अरविंद केजरीवाल की सरकार आई तब से विज्ञापन की कोई भी कैटेगरी के अनुसार विज्ञापन नहीं दिए गए। सरकार ने अपने स्वार्थ के लिए पूरी विज्ञापन नीति को तहस-नहस करते हुए दिल्ली के अखबारों के साथ धोखा किया है आज तक ।

मीडियम और स्मॉल अखबारों के बजट को पूरी तरह खत्म करते हुए सभी विज्ञापन या तो दिल्ली के गिने-चुने अखबारों को दिए गए या दिल्ली से बाहर के अखबारों को बांटे गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी आम आदमी को खड़ा करने के लिए दिल्ली के अखबारों के बजट को दूसरे प्रदेशों के अखबारों में बांटकर दिल्ली से प्रकाशित समाचार पत्रों के साथ धोखा किया। पब्लिक एशिया के अगले अंक में हम आपको बताएंगे दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार कैसे विज्ञापनों का दुरुपयोग करती है।





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