असुरक्षित महिला पहलवान,फिर याद आए गुरु हनुमान

राजेंद्र सजवान | पब्लिक एशिया
Updated: 14 Nov 2021 , 15:11:06 PM
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असुरक्षित महिला पहलवान... फिर याद आए गुरु हनुमान!

Why Guru Hanumaan was against women wresting ? 

भारतीय कुश्ती के सबसे बड़े शिल्पकार और भारत को अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती में ऊंचा मुकाम दिलाने वाले महान गुरु गुरु हनुमान  यूँ तो महिला कुश्ती के सख्त खिलाफ थे लेकिन वक्त के साथ उनकी धारणा भी बदली और उन्होंने महिला पहलवानों को न सिर्फ बढ़ावा दिया अपितु जरुरत पड़ने पर उनका बचाव भी किया| लेकिन एक शर्त पर की महिला पहलवानों और पुरुषों के अखाड़े अलग हों या उनके बीच थोड़ा बहुत  पर्दा जरूर होना चाहिए। 

 गुरु हनुमान के प्रबल प्रतिद्वंद्वी सुप्रसिद्ध  पहलवान और गुरु मास्टर चन्दगी राम  में कम ही पटी लेकिन जब मास्टर जी की बेटियां अखाड़े में उतरीं और उन्होंने महिला कुश्ती में नाम सम्मान कमाया तो गुरु हनुमान ने भी अपना मूड बदला और धीरे धीरे उनके और मास्टर जी के बीच  के विवाद  भी छंट  गए।  लेकिन पिछले कुछ सालों में देश के अखाड़ों में जो कुछ चल रहा है उसे देख सुन कर अनायास ही गुरु हनुमान की याद हो आती है। 

हालांकि अखाड़े हमेशा से विवाद में रहे हैं लेकिन पिछले कुछ समय से महिला-पुरुषों के संयुक्त अखाड़े कुश्ती की पवित्रता को आहत करने लगे हैं। यह सही है कि भारतीय कुश्ती लगातार प्रगति कर रही है। केडी जाधव, मास्टर चन्दगी राम,   सुदेश, प्रेम नाथ  सतपाल, करतार, जगमिंदर , सुशील, योगेश्वर के बाद अब नई  पीढ़ी के पहलवान रवि दहिया, बजरंग  और महिला पहलवानों में फोगाट बहने, साक्षी  मलिक और अन्य कई ने विश्व स्तर पर पहचान बना ली है| लेकिन कुश्ती कि प्रगति के साथ साथ कुछ नई  चिंताएं भी सामने आई हैं। 

यूँ तो भारतीय कुश्ती में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है लेकिन कुछ बड़े छोटे अखाड़ों में हुई हिंसक घटनाएं  चर्चा का विषय बनी हुई हैं। हालाँकि कुश्ती शुरू से ही अखाड़ों की  गुटबाजी के कारण विवाद में रही है।  पहलवानों पर नेताओं के लठैत होने जैसे आरोप भी लगे लेकिन  हरियाणा के कुछ अखाड़ों में हुई हिंसाऔर गोली बारी ने महिला-पुरुष पहलवानों को एक साथ एक  छत के नीचे दांव पेंच सीखने पर सवालिया निशाँ लगा दिया है। बीस पच्चीस साल पहले गुरु हनुमान ने जो आशंका व्यक्त कि थी वह अपना रंग दिखाने लगी है। 

 हालाँकि भारतीय राष्ट्रीय टीमों के साथ ऐसा कोई विवाद सामने नहीं आया ।  एशियाड, ओलम्पिक, और कॉमनवेल्थ खेलों में महिला और पुरुष पहलवान अन्य खेलों की  तरह एक साथ और एक जुट होकर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, मिल कर जश्न मनाते हैं लेकिन देश के कुछ अखाड़ों में हुई हत्याओं के पीछे अखाड़ा हथियाने और महिला पुरुष पहलवानों के बीच के रिश्ते हिंसा का बड़ा कारण रहे हैं। अफ़सोस कि बात यह है कि कुछ कोच भी दोषी पाए गए हैं।  महिला पहलवानों के साथ बदसलूकी करने वाले जब हद पार कर जाते हैं तो नौबत जघन्य हत्याकांड तक आ जाती है। 

 अभिभावकों के अनुसार कुछ अखाड़े असामाजिक तत्वों का अड्डा बनते जा रहे हैं जहाँ महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और अगर शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो कुश्ती और खासकर महिला कुश्ती पर बहुत बुरा असर पड़  सकता है।  ज्यादातर माता पिता इस पक्षमें हैं कि महिलाओं के लिए अलग अखाड़े और कोच हों तो बेहतर होगा या इस दिशा में सख्त कदम उठाए जाने कि जरुरत है ताकि कुश्ती के दोनों पहिए तेज रफ़्तार से आगे बढ़ते रहें। 






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