आजादी के बाद से 73 वर्षों में 39 साल नेहरू गांधी परिवार के लोग रहे कांग्रेस अध्यक्ष

संवाद सहयोगी | पब्लिक एशिया
Updated: 16 Oct 2021 , 18:30:53 PM
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नयी दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में शनिवार को राहुल गांधी को फिर कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा गया और सूत्रों के अनुसार गांधी पार्टी अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभालने को तैयार हो गए हैं।

सूत्रों ने बताया कि कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से गये इस प्रस्ताव को मौन स्वीकृति मिल गई यानी औपचारिक तौर पर किसी ने विरोध नहीं किया। पिछले आम चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद  गांधी ने 10 अगस्त 2019 को पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। पहली बार वह 16 दिसम्बर 2017 को अध्यक्ष बने थे, तब श्रीमती सोनिया गांधी ने 19 साल बाद यह पद उनके लिए छोड़ा था।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वर्ष 2019 में कांग्रेस के चुनाव हारने के बाद तत्कालीन अध्यक्ष गांधी ने चार पृष्ठ की एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने कहा था,“ कांग्रेस में शक्तिशाली लोग सत्ता से चिपके रहना चाहते हैं, कोई सत्ता का त्याग करने का साहस नहीं दिखाता। हमें सत्ता की इच्छा के बिना त्याग और गहरी वैचारिक लड़ाई लड़ने की ज़रूरत है, उसके बिना हम अपने विरोधियों को नहीं हरा पाएंगे।”

एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि आज़ादी के बाद से 73 साल में 39 साल नेहरू-गांधी परिवार कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहा है। वर्ष 1998 से अब तक के 23 साल में सिर्फ श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी अध्यक्ष रहे जबकि इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के 10 लोग अध्यक्ष बने हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद हालांकि श्रीमती सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी संभालने से इन्कार कर दिया था,लेकिन 1998 में वह  सीताराम केसरी को हटाकर अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठी। चौदह मार्च 1998 से 16 दिसम्बर 2017 तक सबसे लंबे समय तक यानी 19 साल वे पार्टी की अध्यक्ष रहीं और यह कुर्सी उन्होंने अपने पुत्र  राहुल गांधी के लिए छोड़ी।

आज़ादी के बाद का यदि कांग्रेस का इतिहास देखें तो अब तक कुल 19 कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं, पहले अध्यक्ष जे बी कृपलानी थे। कांग्रेस का चुनावी जीत का इतिहास खंगाला जाए तो इन 74 साल में हुए 17 आम चुनावों में सात बार गैर-नेहरू गांधी नेता कांग्रेस अध्यक्ष रहा, उनमें चार बार चुनाव जीते जबकि नेहरू-गांधी परिवार के रहते हुए 10 चुनावों में से चार में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। आज़ादी के बाद से 14 गैर नेहरू-गांधी कांग्रेसी अध्यक्ष रहे हैं और उनकी सफलता की दर 57 फीसद रही है।  राजीव गांधी, श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी तीनों के ही नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव हारे हैं।राजीव गांधी के वक्त जब कांग्रेस के पास 400 से ज़्यादा सीटें थीं, तब 1989 में कांग्रेस चुनाव हार गई और 2014 में भी केन्द्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार थी लेकिन श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को सबसे कम 44 सीटें मिलीं।

नेहरू-गांधी परिवार के नेता यानी श्रीमती सोनिया गांधी और  राहुल गांधी के रहते हुए कांग्रेस लोकसभा में अपनी सबसे कम सीटों 2014 में 44 और 2019 में 52 पर पहुंच गईं। कांग्रेस के गैर नेहरू-गांधी अध्यक्ष  नरसिंह राव के कार्यकाल के दौरान 1996 में 140 सीटें और  सीताराम केसरी के कार्यकाल में 1998 में 141 सीटें मिलीं थी, यानी श्रीमती सोनिया गांधी के कार्यकाल से तीन गुना ज्यादा सीटें।

इससे पहले का रिकार्ड देखा जाए तो 1957 में यू एन ढेबर अध्यक्ष थे, कांग्रेस ने 371 सीटें जीती थीं। 1962 के चुनावों में नीलम संजीव रेड्डी के रहते हुए कांग्रेस को 361 सीटें, 1967 में के कामराज के अध्यक्ष रहने के दौरान 283 सीटें और 1971 जगजीवन राम अध्यक्ष थे तो कांग्रेस को 352 सीटें मिलीं थीं।





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