एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल,जीवाश्म ईंधन से जैव ईंधन की ओर

,डॉक्टर रामानुज पाठक | पब्लिक एशिया
Updated: 16 Jun 2021 , 13:33:10 PM
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तेल की बढ़ रही कीमतों को देखकर ऐसा लगता है जैसे यह समस्या बेलगाम है।और इसका कोई समाधान नहीं है।प्राकृतिक आपदाएं ,बीमारियां,तो अचानक किसी के बस में नहीं होती, लेकिन मंहगाई जैसी समस्या जो व्यवस्था के निर्णयों से दुरुस्त हो सकती है,उसकी तरफ सरकारों द्वारा गौर ही नहीं किया जा रहा।आज तेल की धार ने मध्यम वर्गीय और गरीबों के जीवन में बेचैनी भर दी है।उनका पूरा बजट बिगाड़ दिया है।एक अध्ययन के अनुसार आम आदमी की कमाई का साठ फीसदी हिस्सा केवल घरेलू ईंधन ,यानी पेट्रोल ,गैस,और बिजली पर ही खर्च हो जाता है।तेल कीमतों पर 65%से ज्यादा टैक्स लग रहा है,पेट्रोल ,डीजल की कीमत पर सरकारी नियंत्रण ना होने का मिथ्या भ्रम भी फैलाया जाता रहा है।कटु सत्य तो यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें दोनो दोनो हाथों से डीजल पेट्रोल पर टैक्स वसूलती है।इस वर्ष तकरीबन 2.94 लाख करोड़ का टैक्स डीजल पेट्रोल की बिक्री से सरकारों ने बसूला।सार्वजनिक परिवहन आज की आवश्यक प्राथमिकता है।राशन सब्जियों दवाइयों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई के लिए ,कृषि क्षेत्र के लिए डीजल पेट्रोल की सर्वाधिक खपत होती है।ऐसे में पेट्रोल डीजल के भाव शतक पार करना हैरानीजनक है।यह सत्य है की भारत पेट्रोलियम पदार्थो का 83से 85फीसदी तक आयात करता है।किंतु फिर भी इनके मूल्य लगातार बढ़ना निरासाजनक है,ऊपर से सरकारों की मूल्य नियंत्रण ना कर पाने की हद ,बेबसी ,चिंताजनक है।जीवाश्म ईंधन के बेतहाशा प्रयोग से एक ओर जहां इनके भविष्य में समाप्त होने का खतरा है वहीं वैश्विक पर्यावरण प्रदूषण इस सदी की गहन चिंता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तो भारत के 14महानगरों को दुनिया के 20सबसे प्रदूषित शहरोंमें जगह दी है।ऐसे में रास्ता क्या है ?रास्ता है एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ई डब्लू पी)ईंधन के रूप में एथेनॉल
के बारे में और ,भारत में ईंधन के रूप में एथेनॉल के  उपयोग करने में आने वाली चुनौतियो के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जानते हैं:
 एथेनॉल एक स्पष्ट, रंगहीन तरल है जिसमें एक विशिष्ट, सुखद गंध होती है।  तनु जलीय विलयन में इसका स्वाद कुछ मीठा होता है, लेकिन अधिक सांद्र विलयनों में इसका स्वाद ज्वलनशील (दाहक)होता है।  एथेनॉल -114.1 डिग्री सेल्सियस पर पिघलता है, 78.5 डिग्री सेल्सियस पर उबलता है, और इसका सामान्य घनत्व 0.789 ग्राम / एमएल 20 डिग्री सेल्सियस पर होता है। एथेनॉल प्राचीन काल से शर्करा के किण्वन द्वारा बनाया गया है।  सभी पेय एथेनॉल, और आधे से अधिक औद्योगिक इथेनॉल, अभी भी इस प्रक्रिया द्वारा बनाए गए हैं।  साधारण शर्करा कच्चे माल हैं।  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, गन्ना, मीठे ज्वार और चुकंदर का उपयोग एथेनॉल के उत्पादन के लिए फीडस्टॉक युक्त चीनी के रूप में किया जाता है।  मक्का, गेहूं और अन्य अनाज में स्टार्च होता है जिसे अपेक्षाकृत आसानी से चीनी में बदला जा सकता है।  भारत में, मुख्य रूप से गन्ने के शीरे का उपयोग करके एथेनॉल का उत्पादन किया जाता है।  यह पहली पीढ़ी के जैव ईंधन (1जी)का एक उदाहरण है जो बड़ी मात्रा में चीनी या सामग्री वाले बायोमास का उपयोग करता है जिसे एथेनॉल की पीढ़ी के लिए स्टार्च जैसे चीनी में परिवर्तित किया जा सकता है।  खमीर से एंजाइम, साधारण शर्करा को एथेनॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देता है।  किण्वन द्वारा एथेनॉल के उत्पादन में आलू, मक्का, गेहूं और अन्य पौधों के स्टार्च का भी उपयोग किया जा सकता है।  हालांकि, स्टार्च को पहले साधारण शर्करा में तोड़ा जाना चाहिए।  जौ, डायस्टेस को अंकुरित करके  एक एंजाइम(डायस्टेज) स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित करता है।  इस प्रकार, जौ का अंकुरण, जिसे माल्टिंग कहा जाता है, स्टार्च वाले पौधों, जैसे मकई (मक्का) और गेहूं से बीयर बनाने का पहला कदम है।ईंधन के रूप में एथेनॉल का आंतरिक दहन इंजनों के लिए उपयोग, या तो अकेले या अन्य ईंधन के साथ संयोजन में, किया जाता है।जीवाश्म ईंधन पर इसके संभावित पर्यावरणीय और दीर्घकालिक आर्थिक लाभों के कारण अधिक ध्यान दिया गया है।ऑटोमोबाइल ईंधन के रूप में एथेनॉल का उपयोग उतना ही पुराना है जितना कि आंतरिक दहन इंजन का आविष्कार।  1897 में अपने प्रारंभिक इंजन अध्ययन के दौरान निकोलस ए.ओटो द्वारा एथेनॉल को एक मोटर वाहन ईंधन के रूप में जांचा गया था।  ब्राजील इस ईंधन का उपयोग 1920 के दशक से कर रहा है।ब्राजील में 40%गाडियां एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से चलती हैं।ब्राजील में तो 24से25%तक एथेनॉल पेट्रोल में मिलाया जाता है।एथेनॉल को शुद्ध एथेनॉल (E100) तक किसी भी सांद्रता में पेट्रोल के साथ जोड़ा जा सकता है।  निर्जल एथेनॉल, यानी पानी के बिना एथेनॉल, पेट्रोलियम ईंधन की खपत को कम करने के साथ-साथ वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अलग-अलग मात्रा में पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सकता है।एथेनॉल का तेजी से मानक पेट्रोल के लिए ऑक्सीजन युक्त योज्य के रूप में उपयोग किया जाता है, मिथाइल टी-ब्यूटाइल ईथर (एमटीबीई) के प्रतिस्थापन के रूप में, यह एमटीबीई  रसायन  भूजल और मृदा प्रदूषण के लिए  काफी हद तक जिम्मेदार है।  एथेनॉल का उपयोग कोशिकाओं को ईंधन ,बिजली देने और जैव डीजल का उत्पादन करने के लिए भी किया जा सकता है।
एथेनॉल, एक अल्कोहल ,आदर्श ईंधन, असाधारण इंजन प्रदर्शन और कम हानिकारक गैसों के उत्सर्जन के लिए ,उच्च गुणवत्ता, उच्च ऑक्टेन(पेट्रोल की गुणवत्ता ऑक्टेन संख्या द्वारा प्रदर्शित की जाती है) के लिए जाना जाता है। इसका पूर्ण दहन होता है अतः न्यूनतम प्रदूषण फैलाता है।  जब से हेनरी फोर्ड ने शराब(एल्कोहलिक पेय) पर काम करने के लिए अपना 1908 मॉडल टी डिजाइन किया था, तब से कारों में एथेनॉल का उपयोग किया गया है। ईंधन के रूप में एथेनॉल की113  उच्च ऑक्टेन रेटिंग/संख्या होती है।एथेनॉल बाजार पर उच्चतम प्रदर्शन ईंधन है और आज के उच्च-संपीड़न इंजनों (बी एस 5,6)को सुचारू रूप से चालू रखता है।
क्योंकि एथेनॉल अणु मेंऑक्सीजन होता है, यह इंजन को ईंधन को पूरी तरह से दहन करने की अनुमति देता है, जिसके परिणामस्वरूप कम उत्सर्जन होता है।चूंकि एथेनॉल का उत्पादन पौधों से होता है जो सूर्य की शक्ति का उपयोग करते हैं, अतःएथेनॉल को अक्षय ईंधन भी माना जाता है।एथेनॉल ईंधन इष्टतम प्रदर्शन के लिए ईंधन प्रणाली को साफ रखता है क्योंकि यह चिपचिपा जमा नहीं छोड़ता है।एथेनॉल गैस-लाइन एंटी फ्रीज (हिमांक रोधी)के रूप में कार्य करके सर्दियों की समस्याओं को रोकने में मदद करता है।भारत में ईंधन के रूप में   वर्ष 2003 में एक मोटर वाहन ईंधन के रूप में एथेनॉल के उपयोग की शुरुआत मानी जाती है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) ने सितंबर 2002 में 9 प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में 2003 से 5% एथेनॉल के अनिवार्य मिश्रण के लिए एक अधिसूचना जारी की।  2004-05 के दौरान एथेनॉल की कमी के कारण, ब्लेंडिंग मैंडेट को अक्टूबर 2004 में वैकल्पिक बना दिया गया था, और अक्टूबर 2006 में दूसरे चरण में 10% ब्लेंडिंग(मिश्रित करना) की क्रमिक वृद्धि के साथ फिर से शुरू किया गया था।2008 में, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश के भविष्य के कार्बन पदचिह्न और विदेशी कच्चे तेल पर निर्भरता को सीमित करने के लिए जैव ईंधन पर एक राष्ट्रीय नीति की स्थापना की।  इसके तहत, अक्टूबर 2008 से पेट्रोल के साथ बायो-एथेनॉल का मिश्रण 5% प्रस्तावित किया गया था, जिससे 2017 तक बायो-एथेनॉल के 20% सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा गया था। इसने कार्यक्रम के चरणबद्ध कार्यान्वयन के लिए एक रोडमैप भी रखा।  वर्तमान में, सरकार एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम लागू कर रही है, जिसमें तेल विपणन कंपनियां एथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल को 10% तक बेचती हैं।  वैकल्पिक और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल, 2019 से अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपों के केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर पूरे भारत में इस कार्यक्रम का विस्तार किया गया है।  यह हस्तक्षेप ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता को कम करने और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने का भी प्रयास करता है।एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2019-20 के दौरान चीनी मिलों और अनाज आधारित आसवनियों(डिस्टलरीज) द्वारा ओएमसी को लगभग 173.03 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की गई। आज एथेनॉल का सरकारी मूल्य57.61 रुपये प्रति लीटर  थी जिसे बढ़ाकर  62.65 प्रति लीटर कर दी गई है।अब तेल विपणन कंपनियों को वास्तविक परिवहन शुल्क तय करने की सलाह दी गई है ताकि एथेनॉल के लंबी दूरी के परिवहन को हतोत्साहित न किया जाए।पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण के लिए एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किए गए महत्वपूर्ण उपायों में शामिल हैं:गन्ने के रस और चीनी/चीनी सिरप से एथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करना।
विभिन्न फीड स्टॉक से एथेनॉल का लाभकारी एक्स-मिल मूल्य तय करना।एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के लिए विकृत एथेनॉल के मुक्त संचलन के लिए उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 में संशोधन।
ईबीपी कार्यक्रम के लिए एथेनॉल पर माल और सेवा कर में 18% से 5% की कमी।01.04.2019 से अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप के द्वीप संघ शासित प्रदेशों को छोड़कर पूरे भारत में ईबीपी कार्यक्रम का विस्तार किया  जा चुका है।तेल विपणन कंपनियों के स्थानों पर एथेनॉल भंडारण को बढ़ाना भी सरकार की प्राथमिकता है।एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत दीर्घकालिक आधार पर "एथेनॉल खरीद नीति" तैयार की गई है।यद्यपि भारत में एथेनॉल को ईंधन के रूप में उपयोग करने में कई चुनौतियाँ भी हैं,भारत में बायो-एथेनॉल के उत्पादन का प्रमुख स्रोत गन्ने के उप-उत्पाद गुड़ से है।  इसलिए उपलब्धता गन्ना और चीनी उत्पादन पर निर्भर है जो प्रकृति में चक्रीय हैं। एथेनॉल के कई अन्य वैकल्पिक उपयोग हैं जैसे पीने योग्य शराब और रासायनिक और दवा उद्योग में उपयोग।  इसलिए ईंधन के रूप में इसके उपयोग को ऐसे कई उद्योगों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।बावजूद इन सबके अब देश में बढ़ेगा स्वदेशी ईंधन का चलन, 2025 तक पूरा पेट्रोल में मिलाई जाने लगेगी 20 प्रतिशत एथेनॉल।गन्ने और गेहूं, टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न, कृषि अवशेषों से एथेनॉल  निकाला जाता है. इससे भारत को वाहनों के प्रदूषक उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एथेनॉल आधारित पेट्रोल का उपयोग करने के भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के निर्णय की घोषणा की है।प्रधानमंत्री के कथनानुसार ,कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने और आयात पर निर्भरता घटाने के लिए पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने की समय सीमा पांच साल कम कर 2025 कर दी गयी है।पहले यह लक्ष्य 2030 तक पूरा किया जाना था।
प्रधानमंत्री मोदी  भी अब यह मानते हैं कि, “अब एथेनॉल 21वीं सदी के भारत की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक बन गया है।एथेनॉल पर ध्यान देने से पर्यावरण के साथ-साथ किसानों के जीवन पर भी बेहतर प्रभाव पड़ रहा है.” ।गन्ने और गेहूं, टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न तथा कृषि अवशेषों से एथेनॉल निकाला जाता है, इससे प्रदूषण भी कम होता है और किसानों को अलग आमदनी कमाने का एक जरिया भी मिलता है. ।गन्ना भारत की प्रमुख औद्योगिक फसल भी है,भारत में गन्ना उत्पादक किसानों की दुर्दसा भी जग जाहिर है,अतः गन्ना द्वारा एथेनॉल उत्पादन से चीनी मिलों और गन्ना उत्पादक किसानों दोनो की आर्थिक सेहत सुधरेगी।इससे भारत को वाहनों के प्रदूषक उत्सर्जन को कम करने के अलावा ईंधन आयात बिल में किए गए खर्चों को बचाने में मदद मिलेगी.।भारत में बायो एथेनॉल 1जी और 2जी प्रोग्राम के तहत उत्पादित किया जा रहा है।इसके लिए प्रधानमंत्री "जीवन "योजना (जैव ईंधन–वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण योजना )चलाई जा रही है।1जी बायो एथेनॉल संयंत्र से चीनी से उत्पन्न उप उत्पादों यथा गन्ने के रस और गुड़ का उपयोग एथेनॉल उत्पादनके लिए किया जाता है।2जी संयंत्र ,बायो एथेनॉल  का उत्पादन करने के लिए अधिशेष बायोमास और कृषि अपशिष्टजैसे चावल की भूसी ,नरवाई का उपयोग करते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक समारोह में भारत में वर्ष 2020-2025 के दौरान एथेनॉल सम्मिश्रण से संबंधित योजना पर एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी करने के बाद मोदी ने कहा, “पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को वर्ष 2030 से पहले खिसका कर वर्ष 2025 किया गया है.” पिछले साल सरकार ने वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत तथा वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल का सम्मिश्रण करने का लक्ष्य तय किया था.।अभी पेट्रोल के साथ मिलाया जाता है 8.5 प्रतिशत एथेनॉल । मौजूदा समय में, पेट्रोल के साथ लगभग 8.5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जाता है, जबकि वर्ष 2014 में इस सम्मिश्रण का स्तर 1-1.5 प्रतिशत ही था. ।अधिक एथेनॉल सम्मिश्रण से एथेनॉल की खरीद सालाना 38 करोड़ लीटर से बढ़कर अब 320 करोड़ लीटर हो गई है.। जब 20 प्रतिशत सम्मिश्रण होने लगेगा तो एथेनॉल खरीद की मात्रा और बढ़ जाएगी।2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य पूरा किया जाएगा।पिछले साल तेल कंपनियों ने एथेनॉल खरीद पर 21,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे। भारत सरकार के तेल मंत्रालय ने एक अप्रैल, 2023 से पेट्रोल में एथेनॉल के 20 प्रतिशत तक का सम्मिश्रण को शुरू करने के लिए एक गजट अधिसूचना जारी कर दी है। देश में बेचे जाने वाले सभी पेट्रोल में वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है।
किसानों की आय का बड़ा स्रोत है एथेनॉल ।भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, जो अपनी 85 प्रतिशत से अधिक मांग को पूरा करने के लिए विदेशों से आयात पर निर्भर है। अतःएथेनॉल पर ध्यान केंद्रित करने से पर्यावरण के साथ साथ किसानों के जीवन पर भी बेहतर प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि यह किसानों को आय का एक और स्रोत उपलब्ध कराता है।खुशी की बात है की भारत के प्रधानमंत्री जी ने भी इस साल महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात के कुछ किसानों से उनकी आय में वृद्धि करने वाले एथेनॉल संयंत्रों के बारे में उनके अनुभव के बारे में जानने के लिए बातचीत की. उन्होंने किसानों से इस बातकी,जानकारी ली कि इन एथेनॉल संयंत्रों से उनकी आय पर क्या प्रभाव आया, खाना पकाने और वाहनों के संचालन में उपयोग किये जा सकने वाले बायोगैस बनाने के लिए गोबर के उपयोग तथा जैविक उर्वरकों के इस्तेमाल के बारे में उनके अनुभवों की जानकारी ली गई।
वर्तमान एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में भारत की योजना गैसोलीन के साथ 10 प्रतिशत एथेनॉल-मिश्रण करने की है. इसके लिए 4 अरब लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी. वर्ष 2023 तक 20 प्रतिशत सम्मिश्रण स्तर हासिल करने के लिए 10 अरब (1,000 करोड़) लीटर एथेनॉल की जरूरत होगी. चीनी उद्योग 60 लाख टन अधिशेष चीनी को आवश्यक सात अरब लीटर एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए देगा, जबकि शेष एथेनॉल का उत्पादन अतिरिक्त अनाज से किया जायेगा।  देश में 2023 तक तैयार हो जाएगा इथेनॉल का भंडार, 78000 टन चावल से बनेगा 765 करोड़ लीटर E-20 तेल।पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच  देर से ही सही अब सरकार चेत रही है ।तभी तो
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 21000 करोड़ रुपये का एथेनॉल खरीदा, इसका एक बड़ा हिस्सा हमारे किसानों की जेब में गया।टी वी एस अपाचे कंपनी ने दोपहिया वाहनों को ई 80या शुद्ध एथेनॉल ई 100पर चलाने के लिए डिजाइन भी कर लिया है।भारत जैसे विकासशील मानव संसाधन से परिपूर्ण देश को 2025तक 1000करोड़ लीटर पेट्रोल की जरूरत होगी अतः एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम(एथेनॉल ब्लेंडेड प्रोग्राम)राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 के अनूरूप लागू करना एक ओर जहां पर्यावरण हितैषी है वहीं विदेशी मुद्रा की बचत होगी,किसानों की आय में वृद्धि होगी,और भारत की जीवाश्म ईंधन पर पूर्ण निर्भरता कम होगी ।यद्यपि एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के प्रयोग के लिए दोपहिया और चार पहिया वाहनों के इंजन विशेष रूप से डिजाइन और विकसित किए जाने होंगे,क्योंकि एथेनॉल कार्बनिक यौगिक होते हुए हाइड्रोजन आबंध  स्थापित करने के कारण जल में घुलन शील है,इससे  वर्षा काल में दिक्कत हो जाती है ईंधन टैंको में पानी घुसने से गाड़ियों में स्टार्ट करने में दिक्कत होती है एवम इंजन खराब हो जाता है।अतः अनुसंधान द्वारा एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के दहन के अनुकूल वाहनों के इंजन  विकसित करने होंगे।वैज्ञानिक अनुसंधान अधिकतम 20%एथेनॉल को पेट्रोल में समावेशित करने को ही उचित मानते है,अर्थात ई 80पेट्रोल(20%एथेनॉल और 80%पेट्रोल।)।जैव ईंधन समावेशी विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।यही इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पर्यावरण की बेहतरी के लिए घोषित थीम है कि"बेहतर पर्यावरण के लिए जैव ईंधन को बढ़ावा देना"।एथेनॉल एक अक्षय ईंधन है ,जैव ईंधन है । कोरोना काल में हैंड सैनिटाइजर के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला सर्वाधिक बिकने वाला रसायन भी है।एथेनॉल जीवाश्म ईंधन पेट्रोल में मिलकर हानिकारक कार्बन मोनोऑक्साइड,सल्फर डाइऑक्साइड,और नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन 30%से कम कर देगा।एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल जीवाश्म ईंधन से जैव ईंधन की ओर ले जाने वाला एक अच्छा विकल्प है।द्वारा,डॉक्टर रामानुज पाठक सतना मध्यप्रदेश।संपर्क 7974246591.




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