एयर इंडिया का महाराजा,फिर टाटा समूह के पहलू में

संजीव ठाकुर, चिंतक, लेखक | पब्लिक एशिया
Updated: 10 Oct 2021 , 21:57:51 PM
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यह बड़ी आश्चर्यजनक बात है कि जिस टाटा समूह के प्रमुख जेआरडी टाटा 1932 में ₹2 लाख रुपयों का निवेश करके कराची से मुंबई एयर मेल सेवा उड़ान भर कर शुरू की थी जेआरडी टाटा ने एक पुस विमान का संचालन किया था। अब फिर 68 साल बाद टाटा समूह एयर इंडिया का कर्ता-धर्ता बन गया है। 1946 में एयर इंडिया नामक एक संयुक्त स्टॉक कंपनी के रूप में शुरुआत कर 8 जून 1948 को स्वतंत्र भारत का पहला सार्वजनिक निजी उद्यम बनाकर पहली उड़ान यूरोप के लिए भरी थी जिसका शुभंकर आज भी महाराजा है। आज 18 हजार करोड़ की सबसे बड़ी बोली लगाकर एयर इंडिया विमानन कंपनी के 100% शेयर की खरीदी कर ली है।

एयर इंडिया को लेने के लिए कई कंपनियों ने बोली लगाई थी पर बाजी टाटा समूह ने मार ली है ।टाटा समूह का एयर इंडिया से भावनात्मक एवं पारिवारिक जुड़ाव भी है, रतन टाटा के पितामह जे,आर,डी टाटा खुद एक अच्छे पायलट होने के साथ-साथ देशभक्त व्यवसाई भी थे और उन्ही की तर्ज पर रतन टाटा भी व्यवसाय के साथ-साथ देश की सेवा में लगे हुए हैं। एयर इंडिया के विमानों का टाटा समूह के पास जाने से यह तो इत्मीनान रहेगा की टाटा समूह अनाप-शनाप किराया ना लगा कर तथा एयरपोर्ट में सुविधाएं देने में अधिक सर चार्ज नहीं लगाएगा,ऐसी आम जनमानस की धारणा भी है, सरकार ने इसी अपेक्षा से इसका निजीकरण करने का निर्णय लिया था। यह निजी करण करने का निर्णय आज की सरकार का नहीं है यह पिछले ढाई दशकों से प्रयास किया जा रहा था कि नुकसान में चल रही एयर इंडिया पूर्व की इंडियन एयरलाइंस किसी सुरक्षित हाथों में सौंपा जाए, जिससे एयर इंडिया की परिसंपत्ति को भी ज्यादा नुकसान ना हो।

पूर्व से ही एयर इंडिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विश्वसनीय सेवा देने वाला उपक्रम था। 1947 में समूह के प्रस्ताव के मुताबिक एयर इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी 49% एवं टाटा समूह का हिस्सा 25% था बचे हुए भाग जनता में दिए गए थे। 1953 में टाटा समूह के घोर विरोध एवं प्रतिरोध के बावजूद स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू की सरकार के द्वारा एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। टाटा समूह का संबंध विमानन कंपनी के माध्यम से सरकार से ही रहा है एवं जिन्होंने 25 वर्षों तक एयरलाइन समूह के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण कार्य भी किए थे। टाटा समूह का भावनात्मक लगाव एयर इंडिया जो होने के कारण जेआरडी टाटा एवं उनके पास रतन टाटा लगातार इस प्रयास में रहे कि एयर इंडिया उनके नियंत्रण में आ जाए, हालांकि यह उल्लेखनीय है कि एयरलाइंस के 130 विमानों के बेड़े को ठीक-ठाक रखने एवं इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रखरखाव के लिए टाटा समूह को भारी मेहनत, मशक्कत करनी होगी एवं कुछ आर्थिक निवेश की भी जरूरत पड़ सकती है।

दूसरी तरफ टाटा समूह एयर इंडिया के सुचारू संचालन के लिए अत्यंत समर्थ भी है। एयर इंडिया के निजीकरण के लिए उठाए गए कदम के बाद से कई निजी कंपनियां एयरलाइन से जुड़ी और विलुप्त हो गई, पर टाटा ग्रुप का लगाव एयर इंडिया से कभी भी कमजोर नहीं हुआ फल स्वरूप टाटा समूह के महाराजा उनके पहलू में आ गया है। अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों के हिसाब से एयर इंडिया 6अरब डॉलर की संपत्ति का मालिक है। एयर इंडिया के पास अरबों रुपए का रियल स्टेट उसकी अपनी परिसंपत्ति है। ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय महत्वपूर्ण एयरपोर्ट हीथ्रो मैं एक बड़ी संपत्ति कई हैंगर और एक बड़ा भूभाग भी है जिसे विमानन क्षेत्र की भाषा में स्लॉट कहां जाता है ये सब एयर इंडिया की अपनी संपत्ति है। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण कलाकारों के द्वारा बनाई तथा भेंट स्वरूप दी गई पेंटिंग और कलाकृतियां भी शामिल है, जिनकी कुल संख्या लगभग 35 से 40 हजार लगभग है। भारत की स्वतंत्रता के पहले से बना एयर इंडिया( इंडियन एयरलाइंस ) जेआरडी टाटा तथा भारत के लिए एक गौरव का विषय भी है,और अंतरराष्ट्रीय विमानन क्षेत्र में एयर इंडिया विश्वसनीयता के मायने में काफी स्थापित नाम हैऔर एयर इंडिया की सबसे बड़ी खूबी इसकी कम कीमत पर लंबी उड़ाने मानी जाती हैं।

भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय विमानन विश्लेषकों द्वारा यह माना जाता है कि भारतीय बाजार के हिसाब से संपूर्ण दोहन परिपूर्ण तरीके से नहीं किया जा सका है। टाटा समूह चूँकि एक व्यवसायिक समूह है वह एयर इंडिया को भविष्य में संचालित कर भारतीय जनमानस की स्थिति समझ कर पुरानी किराए की दरों में बहुत ज्यादा इजाफा करने की नहीं सोच सकता है। भारत सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण शर्तों के साथ टाटा समूह को एयर इंडिया सौंपा है। लगभग 68 साल बाद एयर इंडिया फिर डाटा समूह के पास वापस लौट कर आया है। भारत सरकार ने निजी करण करने के लिए इसकी आरक्षित कीमत 12,906 करोड़ रुपए रखी थी। टाटा समूह के अलावा स्पाइसजेट द्वारा 15000 करोड़ की बोली लगाई गई थी पर टाटा समूह द्वारा 18 हजार करोड़ में इसे अपने पक्ष में ले लिया है।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार का एयर इंडिया पर 15 हजार करोड़ का कर्ज भी टाटा समूह अदा करेगा शेष राशि नकद भारत सरकार को देगा। टाटा समूह द्वारा एयर इंडिया के लिए जाने पर यह बात तो आम जनमानस पर है की टाटा समूह व्यवसायिक घराना विशुद्ध रूप से व्यवसायिक ना होकर उसमें राष्ट्रीयता का पुट भी होता है। रतन टाटा लगातार भारत सरकार के साथ जुड़े रहे हैं एवं समय-समय पर जनसेवा तथा कठिन आपदाओं में खुलकर जनमानस को आर्थिक सहायता प्रदान करने में कभी पीछे नहीं रहे हैं। ऐसे में यह उम्मीद की जा सकती है कि टाटा समूह एयर इंडिया को सुचारू रूप से संचालित कर भारतीय विमानन सेवा को बेहतर रूप और नया कलेवर प्रदान करेगा।






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