देश
में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के मरीजों
की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है यह सभी के लिए चिंता का विषय बन गया है। पिछले
15 दिनों में इसका संक्रमण कई गुना बढ़ गया है। कोरोना ने पिछले 2 वर्षों में पूरे
विश्व में जिस तरीके से तबाही मचाई है उससे अभी हम उभर भी नहीं पाए हैं और न ही हमारी
आर्थिक व्यवस्था ढंग से पटरी पर आ पाई है। जिन लोगों के रोजगार छूटे वे फिर से अभी संभल भी नहीं पाए हैं, दूसरी तरफ
बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था बिगड़ कर रह गई है वे ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से घर में सिमट
कर रह गए हैं, स्कूल पूरी तरह से खुल नहीं पा रहे हैं। हमने पिछले दिनों कोरोना की
दूसरी लहर में विश्व में भी और भारत में भी जो कहर देखा है जो हाहाकार सुना है वह अभी
हम भुला नहीं पाए हैं।
हमने
देखा कोरोना की दूसरी लहर में किस तरह मेडिकल व्यवस्था हिल कर रह गई। कोरोना का जो भयावह मंजर लोगों ने देखा, अपनों को
कोरोना से जूझते देखा, इंसानी जीवन को अपनी
आंखों के सामने मिनटों में इस दुनिया से जाते देखा उसे याद कर आज भी दिल दहल जाते हैं । एक ऐसे खतरनाक
समय से हम गुजरे हैं जिसे कोई दोहराना नहीं चाहता । हम कैसे भूल सकते हैं उन दृश्यों
को जब अस्पतालों में बेड की कमी हो गई थी, ऑक्सीजन मिल नहीं रही थी, लोग हर कीमत पर अपने मरीजों को बचाना चाहते
थे पर किसी के कुछ समझ में नहीं आता था। श्मशान में लाशों को जलाने के लिए लंबी लाइनें
लग गई थी अपनों के लिए रोते पीटते लोग घूमते थे जिसे याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं । दिन-रात डॉक्टरों के और सरकार के
अथक प्रयासों के बावजूद भी अनेक मौतें हुई उस दर्द को कम तो नहीं किया जा सकता परंतु
अब आगे के लिए सजग जरूर रहना होगा। लोग सिर्फ अपनों की सलामती की दुआएं करते थे, उस
समय जब फोन आते थे तो डर लगता था कि कोई बुरी खबर ही होगी। पता नहीं हमारे कितने अपने
बिना कुछ कहे अपने मन की बातें मन में लेकर ही इस दुनिया से विदा हो गए। अपनों के अंतिम
संस्कार तक में लोग शामिल नहीं हो सके कैसा दुर्भाग्य है। लॉकडाउन के समय मनुष्य घर में चिड़ियाघर की तरह
बंद था और पशु पक्षी आजाद थे हमें सबक लेना चाहिए अपनी गलतियों से।
इसके
बाद काफी दिनों से तीसरी लहर का खतरा एक प्रश्न चिन्ह बनकर उभर ही रहा था परंतु फिर
भी लोग सामान्य जीवन की तरफ लौटने लगे थे। ऐसे में विदेशों में ओमिक्रोन के फैलने की
खबर आने से सभी के दिल में यह डर बैठ गया कि
शायद यही तीसरी लहर का कारण ना हो । दक्षिण अफ्रीका के बाद अनेक देशों
में ओमिक्रोन तेजी से फैला, अमेरिका, ब्रिटेन में आजकल केस तेजी से बढ़ते जा रहे हैं
जब हमारे देश में ओमिक्रोन का पहला केस मिला तभी से खतरा मंडराने लगा कि यह भयंकर रूप
ना ले ले और अब तो यह हालत हो रही है कि महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु ,तेलंगाना, राजस्थान,
गुजरात, केरल, चंडीगढ़ और बंगाल ,कर्नाटक जैसे राज्यों में ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या
तेजी से बढ़ती जा रही है जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। अनेक राज्यों में ओमिक्रोन
पैर पसार रहा है। आंकड़ों में निरंतर वृद्धि हो रही है। दिल्ली, महाराष्ट्र में पिछले
दिनों में कोरोना के केसों में तेजी से वृद्धि
हो रही है जिससे प्रशासन और सभी के माथे पर
चिंता की लकीरें हैं।
पहली लहर के बाद भी ऐसा ही हुआ था कि लोगों ने धीरे-
धीरे सावधानी बरतना कम कर दिया था और हमें
कोरोना महामारी की दूसरी लहर का सामना करना पड़ा उस के प्रकोप को देखा जिसमें जिस कदर
मौतें हुई उन्होंने पूरे देश को ही नहीं पूरे
विश्व को हिला कर रख दिया। वर्तमान स्थिति में हमारी थोड़ी सी लापरवाही तीसरी लहर को
भयानक रूप दे सकती है। हम अभी भी बाजारों में,
मॉल में, रेलवे स्टेशन पर और सार्वजनिक स्थानों
पर जिस तरीके से भीड़ देखते हैं लोग कोरोना के नियमों का पालन गंभीरता से पालन नहीं
कर रहे हैं। यह बहुत ही खतरनाक है जबकि आए दिन अखबारों में, टीवी पर हम समाचार सुन
रहे हैं कि कोरोनावायरस का ओमिक्रोन का स्वरूप डेल्टा से कहीं ज्यादा संक्रामक है।
याद हो कि दूसरी लहर में एक समय था कि 1 दिन में चार चार लाख तक कोरोना के केस आने
लगे थे और हालात बेकाबू हो गए थे जबकि विशेषज्ञों के अनुसार यह ओमिक्रोन वेरिएंट तो
और भी तेजी से फैल रहा है तो इस समय हमें खतरे को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हालांकि
केंद्रीय सरकार, राज्य सरकारे अपने स्तर से जोर शोर से तैयारी में लगे हैं आए दिन मीटिंग
हो रही है ।
प्रधानमंत्री
मोदी ने भी मीटिंग में हालात की समीक्षा की
है इस वेरिएंट के प्रति सतर्क और सावधान रहने
के निर्देश दिए हैं। पीएम ने कहा है -टेस्टिंग ट्रेसिंग से भी संक्रमण को रोकने में
सफलता मिलेगी । सरकार हालात पर निगरानी रखे हुए हैं कि अभी और क्या एहतियात बरते जाने
की आवश्यकता है जिससे आगे चलकर कोई समस्या उत्पन्न ना हो क्योंकि सावधानी में ही बचाव
है। राजधानी दिल्ली में क्रिसमस और नए साल पर होने वाले आयोजनों में रोक लगा दी गई
है जो सर्वथा उचित है। ज्यादा भीड़ वाले स्थानों पर एकत्र ना होने की हिदायत दी जा
रही हैं। जान है तो जहान है। सभी राज्यों में अपने स्तर से सावधानी बरती जा रही हैं
ताकि इस बार ऑक्सीजन की कमी ना हो बेड की कमी ना हो। कुछ जगह नाइट कर्फ्यू भी लगाए जा रहे हैं और किसी भी समारोह में जुड़ने
वाले लोगों की संख्या कम करने के लिए नियम बनाए जा रहे हैं जो अच्छी बात है यह सब काम
करने के लिए जिंदगी पड़ी है फिलहाल तो जिंदगी बचानी है। मौजूदा हालात की गंभीरता को
समझते हुए और ओमिक्रोन के भयंकर प्रकोप से बचने के लिए आम आदमी को बहुत सतर्कता के
साथ रहना है। सार्वजनिक स्थानों पर अत्यधिक भीड़ भाड़ होने से हमें ही रोकना होगा ।
इस
खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकारे, स्वास्थ्य मंत्रालय व सभी संबंधित अधिकारी
सतर्क है उचित कदम भी उठा रहे है। विदेश से आने वाले लोगों पर कड़ी नजर भी रखी जा रही
है, कोरोना की जांच इत्यादि की प्रक्रिया हो रही हैं लोगों को सावधान रहने की दिशा
निर्देश भी दिए जा रहे हैं । ओमिक्रोन के खतरों को लेकर विशेषज्ञों की अपनी भिन्न-भिन्न राय है परंतु हमें ध्यान देना
होगा हमारी सुरक्षा हमारे ही हाथ में है।अभी
लोगों के मन में अनेक प्रश्न है कि वैक्सीन इस ओमिक्रोन पर भी कारगर होगी या
नहीं, बूस्टर डोज की जरूरत है या नहीं इस पर भी विचार चल रहा है एक्सपर्ट की राय ली
जा रही है। बच्चों की वैक्सीन का सवाल भी अभी चिंता का विषय है। स्थिति तो यह है अभी
हम नहीं समझे और सुधरे तो फिर वही नजारे देखने होंगे जिसे याद करके रूह कांप जाती है।
यहां तक कि अब तो कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन
के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा
चुनाव टालने का सुझाव दिया है। यह तो सच्चाई भी है कि चुनावी रैलियों में जिस तरीके
से भीड़ जुटती है कोविड-नियमों का पालन नहीं हो पाता है। इसलिए इस समय सभी को जागरूक
रहना है केवल सरकार के प्रयासों से काम नहीं चलने वाला और एक दूसरे को दोष देने से
भी कुछ हासिल नहीं होना बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि अपनी और अपनों की जान की
परवाह के लिए पूरे प्रयास करें कोरोना के लक्षण और बचाव के उपायों से अब सभी परिचित
हैं । जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई हैं उन्हें जल्द से जल्द लगवानी चाहिए आवश्यक होने
पर ही घर से निकलना चाहिए और कोविड- नियमों का पालन करना चाहिए वरना इस संक्रमण को
रोकना बहुत मुश्किल हो जाएगा और आर्थिक संकट भी खड़ा हो जाएगा। देश ने पिछले दिनों
बहुत कुछ खोया है इस समय किसी स्तर पर भी लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
जिंदगी बहुत कीमती और खूबसूरत है.. यह जिंदगी ना मिलेगी दोबारा। याद रहे लापरवाही के
आगे.. कोरोना है। प्रकृति भी शायद यही संदेश दे रही है कि अब तो सुधर जाओ। अब समझदारी
इसी में है अपने घर में रहो सुरक्षित रहो।