कर्ज से लदा पाकिस्तान, दिवालिया होकर चीन का गुलाम होने के कगार पर

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाता
Updated: 09 Jul 2021 , 16:09:47 PM
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हर तरफ से कर्ज में डूबा पाकिस्तान किन हालात में भारत की तरफ आंखें तरेर के देखने की जुर्रत कर रहा है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, इराक, तुर्किस्तान और चीन से लिए हुए भारी भरकम कर्ज से अपना देश चला रहा है।वहां की गरीब आवाम एक समय खाना खाकर अपना पेट भर रही है। और महंगाई चरम सीमा पर है। बिजली की आपूर्ति तथा उत्पादन नहीं हो पा रहा है।सकल उत्पादन जमीन पर पहुंच चुका है। ऐसे में यदि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत की तरफ आंखें तरेर कर भारत से युद्ध करने की बात करता है, तो यह मुंगेरीलाल के हसीन सपनों की तरह लगता है। पाकिस्तान की हालत अब यह है कि एक देश का कर्जा चुकाने के लिए दूसरे देश से उसे उधारी लेनी पड़ती है। फिर भी उसके मंत्रिमंडल का खर्चा अभी भी राजाओ और महाराजाओ जैसा ही है।ऐसे में पाकिस्तान का दिवालिया होना निश्चित है। विस्तार वादी चीन अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान पर भी अपना कब्जा जमाने के फिराक में है। चीन, पाकिस्तान को अपना जर खरीद गुलाम ही समझता है ।भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुटनिरपेक्ष तथा शांति और अमन के प्रणेता के रूप में अंतरराष्ट्रीय छवि को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी और उनका पूरा मंत्रिमंडल ठीक से पचा नहीं पा रहा है। करेला उपर से नीम चढ़ा, यह कि प्रधानमंत्री द्वारा जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ आहूत बैठक की सफलता से पाकिस्तान बेचैन होकर पूरी तरह बौखला गया है। और इसी बौखलाहट तथा बेचैनी की परिणति में पाकिस्तान ने अपनी खुफिया एजेंसी आई,एस,आई ,के द्वारा कुछ आतंकवादी संगठनों से मिलकर भारत पर अपनी खीज मिटाने के लिए मानवरहित ड्रोन से जम्मू कश्मीर एयर बेस पर हमला करवा दिया, पाकिस्तान की कथनी और करनी में अंतर इसी ड्रोन हमले से स्पष्ट हो गया है। वह अपनी आतंकी गतिविधि कभी भी बंद नहीं कर सकता है। सुदर्शन व्यक्तित्व के धनी इमरान खान नियाजी ने जरूर क्रिकेट का विश्व वर्ल्ड कप जीता कर ट्रॉफी पाकिस्तान को बतौर उपहार पेश की थी,और उसी के चलते पाकिस्तान के पिछले आम चुनाव में क्रिकेट की उनकी उपलब्धि को दृष्टिगत रख पाकिस्तानी आवाम ने वोट देकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया था,पर पाकिस्तान की जनता को अपनी भूल बहुत जल्दी समझ में आ गई। इमरान खान की सरकार ने दो साल से कम समय में पाकिस्तान में हाहाकार मचा दिया है। इमरान खान एक अपरिपक्व राजनेता और प्रधानमंत्री साबित हुए। उनके मंत्रिमंडल में एक भी विचारक, चिंतक और प्रशासनिक सूझबूझ का मंत्री नहीं है, जो प्रधानमंत्री को उचित समय पर सही सलाह दे सके और प्रधानमंत्री को समय के अनुकूल निर्णय लेने में मदद कर सके। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड अरब देशों के कर्ज तथा चीन से उधारी लेने के बाद भी पाकिस्तान भारी कर्ज में डूबा हुआ है। पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को लेकर उसे ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है। पाकिस्तान पर 36000 करोड़ का कर्ज लदा हुआ है। पाकिस्तान में महंगाई चरम सीमा पर है, आटा 100 से ऊपर प्रति किलो पहुंच चुका है, चीनी ₹100 किलो तथा सब्जियों के बाजार भाव में आग लगी हुई है। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। सरकार के पास कर्मचारियों को देने के लिए पैसा नहीं है, और पुलिस कालातीत अश्रु गैस का इस्तेमाल कर रही है। ऐसे में इमरान सरकार हाथ में हाथ धरे बैठी और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड तथा चीन के द्वारा मुहैया कराई गई डॉलर में धनराशि का उपयोग कर अपना काम चला रही है।उस पर यह तुक्का कि इमरान सरकार का दावा है कि सब चीजें बहुत जल्दी ही नियंत्रण में आ जाएंगी,जबकि वस्तु की स्थिति यह है कि संकट से जूझ रही इमरान सरकार चीन से मिलने वाली 11 अरब अमेरिकी डालर की सहायता पर पूरी तरह टिकी हुई है । इमरान सरकार अभी बिजली की कीमतों में 5.65 प्रति यूनिट यानी 36% की बढ़ोतरी करने की तैयारी कर रही है, जिस तरह पाकिस्तान की आवाम को 884 अरब रुपए को अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, इसके अलावा ₹600 के बराबर नए कर पाकिस्तानी आवाम पर लगाने वाली है। इतना अतिरिक्त करो का बोझ पाकिस्तान की जनता बर्दाश्त नहीं पाएगी। पाकिस्तान सरकार आई,एम,एफ की मदद के बावजूद चीन की मदद से सरकार चलाने पर निर्भर है। पाकिस्तान को अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए चीन से मिलने वाली 10.8 अरब डालर की मदद, यू,एस,ए $ दो अरब डॉलर विश्व बैंक से 2,8 अरब डॉलर और अन्य देशों से 4 अरब डालर की मदद की दरकार होगी। पाकिस्तान पूर्व में ही बहुत बड़े कर्ज में डूबा हुआ है। जिसकी ब्याज की धनराशि ही वह अदा नहीं कर पा रहा है। उल्लेखनीय है कि महंगाई के बढ़ने और विदेश से प्राप्त धनराशि का सही उपयोग नहीं करने के कारण पाकिस्तान की जी,डी,पी एकदम गिर गई है। एवं मुद्रा स्थिति आसमान छू रही है। विपक्षी दल इमरान से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इस तरह इमरान सरकार दिमागी दिवालियेपन के साथ आर्थिक रूप से भी दिवालिया होने वाली है। इस पर तुक्का यह इमरान ने टेलीफोन से आवाम से बात करते हुए एक मुद्दे पर पाकिस्तान की महिलाओं को खासा नाराज कर दिया है। जिससे जनता अलग इमरान पर भड़की हुई है ,ऐसे में इमरान अपनी सरकार लड़खड़ाते लड़खड़ाते चला रहे हैं। ऐसा ना हो कि पाकिस्तान को भविष्य में सहायता देने वाली बड़ी एजेंसियां उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल कर दे। जिससे पाकिस्तानी सरकार का संकट और गहराने वाला है। पूर्व में पाकिस्तानी इमरान सरकार ने कैबिनेट में फैसला लेकर भारत से सस्ती चीनी और कपास लेने का प्रस्ताव रखा था, पर अपने कैबिनेट के दबाव में यह फैसला वापस लेना पड़ा, जिसकी पाकिस्तान में बहुत ही व्यापक प्रतिक्रिया हुई और व्यापारिक तबका भी इमरान सरकार से नाराज होकर उसका विरोधी हो गया है। इमरान सरकार की क्या मजबूरी थी जिसमें चीनी और कपास के आयात करने वाले फैसले को रद्द कर पुराने फैसले पर यू टर्न लेना पड़ा यह तो समझ से बाहर ही है। इन परिस्थितियों से जूझते हुए इमरान खान अपनी जनता तथा वहां के विपक्षी नेताओं और मीडिया का ध्यान ड्रोन हमले से भारत से वैमनस्यता का बदला लेने के लिए हरकतों की ओर उलझाना चाहता है। जिससे उसे आने वाले चुनाव में सफलता प्राप्त हो सके और आवाम भारत की दुश्मनी में उलझा रहे।


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