नई दिल्ली,। बीते दो महीने से चल रहे किसान आंदोलन के जल्द खत्म होने के संकेत हैं। सूत्रों की मानें तो विज्ञान भवन में गुरुवार को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच चौथे दौर की लंबी चली वार्ता में पहली बार दोनों पक्षों के बीच विवादित मसलों पर सहमति बन गई है। केंद्र सरकार ने लचीला रुख अपनाते हुए किसान संगठनों की सभी प्रमुख मांगों पर विचार करने का भरोसा दिया है। माना जा रहा है कि सरकार कानूनों में संशोधनों पर विचार करने को तैयार हो गई है। अब चिन्हित सभी प्रमुख मसलों पर शनिवार को फिर बैठक होगी जिसमें निर्णायक फैसला हो सकता है।
सूत्र बताते हैं कि विज्ञान भवन में चौथे दौर की गुरुवार को बैठक के शुरुआती दो घंटे तनातनी वाले थे। किसान नेता अपनी बातों पर अड़े थे। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए थे कि किसान नेताओं ने सरकारी चाय तक लेने से मना कर दिया। उन्होंने अपने साथ लाई चाय पी। हालांकि ज्यों ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एपीएमसी पर अपनी चर्चा में लचीला रुख अपनाया माहौल बदल गया। सरकार की तरफ से तीनों मंत्रियों ने जोर देकर कहा कि न सिर्फ एपीएमसी को मजबूत बनाया जाएगा वरन उसके दायरे में ज्यादा से ज्यादा किसानों को भी शामिल किया जाएगा।केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक में किसानों की चिंता वाले बिंदुओं को चिन्हित कर लिया गया है। सरकार उनके समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार सभी मसलों पर खुले मन से विचार कर रही है। नये कानून से कृषि उत्पाद विपणन समिति के अस्तित्व पर किसान नेताओं से खतरे की आशंका जताई है। तोमर ने कहा कि नए कानून में मंडी की सीमा से बाहर प्राइवेट मंडियां आएंगी। दोनों प्रकार की मंडियों में समानता लाने पर सरकार विचार करेगी। बाहर कारोबार करने वालों के रजिस्ट्रेशन और पैन कार्ड पर कारोबार करने की छूट पर भी विचार किया जाएगा।