कोरोना काल में श्री कृष्ण के दिव्य दर्शन:खबरी लाल

विनोद तकिया वाला | पब्लिक एशिया
Updated: 25 Sep 2021 , 12:22:39 PM
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 वैश्विक महामारी कोरोना काल के काले बादल अभी पूर्ण रूपेण खत्म नही हुए है। संकट की इस घड़ी में हम सभी की इन दिनों दिन चर्या सिमट कर रह गई।आज सितम्बर माह की 8 तारीख है।मै अपनी जीवन जीविका के जंग में व्यस्त थे ,तभी मेरी मोबाईल की घंटी बज रही थी मैने मो0 के स्क्रीन पर नजर डाली तो ये मीडिया मित्र का नम्बर था 'तभी औपचारिकता के हेतू अभिवादन में शत् श्री अकाल कहा'दुसरी ओर मेरी अभिवादन स्वीकार करते हुए प्रति उत्तर में सत् श्री अकाल ' काके (पंजाबी भाषा में अपने से छोटे प्यार से काके कहा जाता है) विनोद कल मथुरा चलोगे -मैने जिज्ञासा वस पूछा ,क्या है मथुरा में 'मीडिया मित्र तुम्हे चलना है तो कन्फर्म बता दो' कोई किन्तु परन्तु हो तो हमे बता दो 'मैने  कहा कि कोरोना काल में क्यू मथुरा जाने की बात कर रहे है।उन्होने मुझे समझाते हुए बताया कि कल सुबह 6:45 कैब तुम्हारे निवास स्थान पर आ जायेगी व रात में ही वापसी है।चुँकि वे मेरे उम्र में बडे व समझदार व जिम्मेदार व्यकित्व के धनी है ' मैने कहा मुझे आप के साथ चलने मे कोई परेशानी नही है लेकिन मेरी एक शर्त व कुछ जिज्ञासा भी है।

मीडिया मित्र ने पूछा कि तुम्हारी क्या शर्ते व जिज्ञासा क्या है।मैने कहा जब हम मथुरा चल रहे है तो मुझे भगवान श्री कृष्ण जी के दिव्य दर्शन करना है 'क्या आप को मंजूर है 'उन्होने मेरे से पुछा कि जिज्ञासा क्या है तुम्हारी - मैने पूछा कि इस यात्रा का उद्देश्य व मेरे सहयात्री कौन व कितने लोग होगे । तभी उन्होने कहा कि तुम चिन्ता मत करो ,चार पत्रकार ,पी आर के सिनियर सदस्य व एक डाईवर होगा ।जहाँ तक तुम्हारी शर्ते की बात रही ' तुम्हारे साथ हम सभी भी श्री कृष्ण जी दर्शन करने चलेगे ।चुँकि कल प्रातःकाल में मुझे निकलना था।आज जल्दी हम सो गये ।
 अगली सुबह मेरीआँख तकरीबन 5: 45 खुल गई।मैंने जल्दी नित्य क्रिया कर्म से निवृत हो तैयार हो रहे थे तभी मेरी मो0 की घण्टी बज उठी ,मैने कॉल रिसीव की, दुसरे ओर से अरोरा जी -हेलो - खबरीलाल जी राम राम जग गये ' मैने कहाँ हाँ । अरोरा जी - विनोद जैसे ही हम नोएडा ( बुद्ध की मूर्ति )में प्रवेश करेंगे,मै तुम्हे फोन कर देगे।मै कहा ठीक है।

मै तैयार हो कर हो कर घर से निकलने वाला था कि पुन काल आ गया समय प्रातः के 6: 40 था उन्होंने मुझे सुचना दी कि हम लोग नोएडा पहुंचने ही वाले है तुम कहाँ हो मैने कहा कि मै घर से निकल गया हूँ - आप से दिल्ली आगरा हाईवे पे अमेटी युनिवर्सिटी के ओवर ब्रिज पे मिलते है ' उन्होने कहा कि ठीक है । मै अपने निवास पैदल ही निकल कर 10 मिनट मे पूर्व निर्धारित स्थान अर्थातअमेठी के ओवर वृज पहूँच गये।मै अभी कुछ करता इतने मेरे समाने एक सफेद रंग की कार रुकी ,मै कुछ करूँ इस पहले कार के दरवाजे मेरी तरफ खुले।तभी मेरी नजर कार मे बैठे सवारी पर पडी । कार के अगली सीट पर ड्राईवर के बगल मे एक चिर परिचित चेहरा दिनेश कुमार थे ' मध्य सीट पर वरिष्ट स्वतंत्र पत्रकार(पी आई बी)
अमलेन्दू जी बैठे थे ,एक सीट खाली थी जो कि मेरे लिए थी।मै बगल वाली सीट बैठ गया । तभी मेरी नजर पीछे सीट पर अरोरा जी (बडे भाई) के संग अनुज आकाश द्विवेदी (दैनिक सवेरा के नेशनल ब्युरो) विराजमान थे । औपचारिकता वश हम - सभी ने एक दूसरे का अभिवादन किये। विगत वर्ष से कोरोना काल मे मीडिया मित्र मण्डली के संग मेरी पहली यात्रा थी। एक दुसरे का कुशल क्षेम पूछने के बाद हमारी कार दिल्ली आगरा एक्सप्रेस-वे पर हवा की गलवादियो से बाते करते गन्तव्य स्थान की बढ रही थी । तभी समाने सीट पर बैठे दिनेश जी ड्राईवर से कहा कि - अगर कोई ढावा दिखे तो गाड़ी रोक देना । सर को चाय - नास्ता करवाना है।

कुछ समय के बाद ही ड्राईवर ने कार हाईवे से सर्विस लेन मे मोड कर एक ढाबा की ओर मुड़ ले ' ढावा का बीकानेर रेस्टोरेंट था ' ड्राईवर हमसभी को उतार कर कार को पार्किंग में खडी कर दी । हम सभी रेस्टोरेंट के अन्दर जा बैठ गई । इतने दिनेश कुमार ने पूछा -क्या लेगे सर - सभी ने एक साथ बोले कि ग्रिल टोस्ट व दो चाय व दो कॉफी आप सोच रहे होगे कि हम पाँच लोग आर्डर दो कप चाय वे दो कप कॉफी यानि चार ' यहाँ पर मै स्पष्ट कर दूँ कि आर्डर देने वाले दिनेश ने हम सभी के लिए आर्डर दिये व अपने के लिए कुछ नही ,इस पर दिनेश ने बताया कि मै घर से निकलते हुए घर की छाछ '  देशी घी बनने आलु के पराठे खा कर आया हूँ मुझे कुछ लेने का मन नही सर' आप लोग कह रहे तो उन्होंने वेटर से एक खाली गिलास ले कर दो चाय के गिलास मे से थोड़ी थोडी निकाल कर चाय पीते हुए अपने ग्रामीण परिवेश से जुड़ी संस्मरण सुनाते हुए भावुक हो गये।सर गावँ तो गावँ  होती है 'वहाँ की संस्कृति ' परिवेश व यादे  ।

इतने मै पूछा दिनेश जी आप गॉव के रहने वाले है क्या? उन्होने सहज भाव से कहा जी सर।मैंने कहा कि दिनेश भाई हम सभी गाँव के रहने वाले सिर्फ अरोरा जी छोड़कर , इस पर तरन्तु ही अरोरा जी नही भाई हम ने ग्रामीणों की जीवंत जीवन शैली को बचपन में देखा ही नही ब्लकि आनंद लिया है।धीरे धीर समय - रास्ते दोनो मे मानो होड सी लगी थी पता न ही चला ' प्रातः 10 बज गये थे।दिनेश अपने मोबाईल से बातचीत करते हुए सुचना दी सर हम सभी वृंदावन पहुँचने वाले है। तभी हमारी नजर भव्य  विशाल मॉ दुर्गा की प्रतिमा दिखाई पड़ी ' मै कुछ बोल पाता है कि अमेन्दु 'आकाश व अरोरा जी एक साथ बोल पड़े , दिनेश जी हम यहाँ कुछ पल रुकेगे आकाश ने सर चले कुछ पल माता जी के चरण मे बिताते है।तभी दिनेश ने शुभ सुचना दिया कि सर जी माँ वैष्णो आश्रम  पर कुछ समय रुकने कार्यक्रम का है।चलो हम सब की माँ वैष्णो देवी ने सुन ली 'हमारी कार मन्दिर मे प्रवेश किया । पूर्व निर्धारित विश्राम गृह में हम सभी पहुंचे ही थी कि एक संभ्रात व्यक्ति से दिनेश ने परिचय कराते हुए कहा कि - सर ये रवि जी है ' हमारे कम्पनी मे सिनियर  स्टाफ है । हम सभी मीडिया मित्र औपचारिकता पूरी कर विश्राम करने के मुड मे थे। रविने कहा कि सर आप लोग इतनी दुर से आए है -चलिए मंदिर का दर्शन कर ले ' फिर मन्दिर का दर्शन नही हो पायेगा क्योकि मन्दिर दर्शन के लिए संध्या 5 बजे खुलेगा ' यहाँ के क्रार्यक्रम मेअभी समय है। दिनेश ने कहा कि मै अभी रूम मे हुँ 'आप सभी अपना पर्श मोबाईल ,बेल्ट सभी रूम मे रख दे क्योकि मंदिर में प्रवेश करते समय इन सभी चीजों का ले जाना वर्जित है।
हम सभी चारो पवन जो कि हम सभी का मार्ग दर्शन व कुशल गाईड के रूप में कुशल नेतृत्व कर रहे थे । मन्दिर के मुख्य द्वार पर सुरक्षा कमियो के आवश्यक दिशा निर्देश दे कर वापस हो गये ।शायद उन्होने मंदिर मे दर्शन लाभ कर लिए होगे | सुरक्षा कर्मियों ने जगह -जगह हम सभी का मार्ग दर्शन व आवश्यक जानकार दे रहे थे ।    

 माँ वैष्णो देवी का निर्माण 2010 में किया गया था,तब से यह भक्तों के लिए खुला है।यहाँ प्रतीक  स्वरूप एक कृत्रिम धरा माँ वैष्णो देवी की विशाल नवशास्त्रीय मूर्ति गुफाये में कल - कल झल - झल र्निझर जल की पवित्र घारा प्रवाहित होती रहती है जो माँ वैष्णों देवी की मन्दिर की यादें ताजी कर देती है। माँ जी की भव्य विशाल काय प्रतिमा जो जमीनी स्तर से 141 फीट की ऊंचाई पर खड़ी है, मॉ जी की गुफा दर्शन के दौरान मुझे माँ वैष्णो देवी की पवित्र गुफा की यादे ताजी हो गई । 

मंदिर परिसर का विस्तृत वर्णन हम अपने नवरात्रे के समय विशेष आलेख मे करूँगा।फिलहाल हम पाँचो आज की यात्रा के दुसरे पड़ाव में कोरोना काल में श्रीकृष्ण जी के दिव्य दर्शन के लिए कार में सवार होकर माँ वैष्णो देवी को नमन करते हुए निकल गए । हमारी कार शाम के 5 बजे मथुरा शहर  में पहुँच गई । हम गतंव्य स्थान अर्थात कृष्ण की मंदिर के संदर्भ स्थानीय नागरिक से पूछताछ  कर रहे थे कि तभी दिनेश ने बताया कि सर मुथरा मे केवल भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली है जहाँ एक छोटी सी मन्दिर है बगल मे मंदिर से सटे मस्जिद भी है जो सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही संवेदनशील है। मुख्य मन्दिर तो वृंदावन मे है - बाँके विहारी जी दिव्य भव्य प्राचीन काल की मन्दिर है।आप लोगो को कहाँ के दर्शन करना है।हम सभी ने एक बोल पड़े कि हम सभी को बाँके बिहारी जी के दर्शन करने है। हमारी कार पुनः वृंदावन की ओर वापस लौट गई। रास्ते मे कुछ गाईड ने बॉके बिहारी के दर्शन कराने का प्रस्ताव  रखे जिसे हम सभी मुस्कारते हुए अस्वीकार गंतव्य स्थान पर पहँचने ही वाले थे कि दिनेश जी ने हमे अगाह कि सर वृंदावन बन्दर का आतंक है वे चश्मा मोबाईल  व प्रसाद ले कर चपत हो जाते है इस लिए हम सभी अपने मो ० ' फर्श व जुते - बैग व बेल्ट कार मे रख कर बिहारी के मन्दिर मे जायेगे ।
 चारो अपने जेब कछ रुपये आवश्यक खर्च हेतु रख वृंदावन की तंग गलियो से मंदिर के मुख्य द्वार जहाँ पर काफी ही संख्या अनगिनत श्रद्धालुओं भीड़  थी ' मैने तो भीड देख कर डर सा गया था तभी अमलेन्दू जी ने मोर्चा सम्भाल ते हुए कहा चलिए मेरे पीछे 'भीड़ से चीरते हुए  गेट न० - 2 पर गये . जहाँ पर सुरक्षा कर्मियों को अपना परिचय देते हुए कहा हम सभी दिल्ली से पत्रकार आये हुए हम दर्शन करने आए है। उन्होंने अपनी असर्मथ ता जताते हुए हम सभी को गेट न ० 4 पर जा ने को कहा।

हम सभी जैसे आगे बढे एक आदमी गाईड को ले कर एक छोटी गेट पर ले गये ' हम समी उसी के पीछे - बढे और उन का अनुसरण करते हुए सर्व प्रथम अपने दुबले पत्तले का लाभ उठाते हुए मंदिर मे प्रवेश कर लिए जिसका अनुसरण अमलेन्दु ,अरोरा जी भी किया  बेचारा आकाश मंदिर मे प्रवेश कर पाता है। इससे पहले अरोरा जी बाँके-बिहारी जी दर्शनार्थियों के झुंड में शामिल होने के दौड पडे ' लाचार होकर हम भी अपने आराध्य के दर्शनार्थ दौड गये ' मन्दिर के सम्मुख नीचे मे रैलिंग लगी है जहाँ बाँके बिहारी जी के सम्मुख दर्शन कुछ कर्मचारी हाथ मे पर्ची ले कर खडे उन्होंने मै अपना परिचय पत्र दिखाने का आग्रह किया मै ने उसे अपना परिचय पत्र दिखाते ही मुझे अंदर आने दिया । भीड काफी थी मैने आराम से बिहारी जी मन मोहनी मुरत  के दिव्य दर्शन व शुक्ष्म साधना व पुजन किया तथा पुजारी जी से भगवान के प्रसाद के लिए आग्रह किया तो उन्होने मुझे एक पेडे पकड़ा दिए मैने  माला के  आग्रह किया तो दुसरे पुजारी ने मुझे कहा आप स्वंय उठा ले लेकिन मै ने कहा कि नही आप दे तो युवा पुजारी ने मेरी ओर देखते हुए स्वंय गुलाब की माला देते हुए कहा लीजिए इतने मेरी बाँकेबिहारी से नजर हट नही थी पुजारी पर्दा डालते है जय घोष किया।मैने अपना सर झुका कर नमन करते बाहर निकले लेकिन मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था मे लगे सेवा दार ने मुझे गेट न० -4 से निकाला ।

मै बाहर आ कर अपने मित्रो का इंतजार करते हुए काफी समय बीत गये ' इतने बाहर निकल कर उन सब को खोज ने लगे ' काफी समय निकल गया है .हम काफी ही परेशान थे 'एक नंगे पॉव 'दुसरा मेरे हाथ में प्रसाद स्वरूप 2 किलो पेड़े थे ' उपर वृंदावन की तंग अनजान गलियों ' मे अनजान लोग ' अपने सहयात्री मित्र का नही मिलने की दुःख ' ऐन केन मुझे निराशा ही हाथ लग रही थी। तभी मेरे मन मे अपने आराध्य से प्रार्थना की वे लोग मुझे ढढ रहे होगे और मै उन सभी को । दोनो परेशान हो रहे है ये अच्छी बात नही हम तो आप के दर्शन के लिए आये है।आप मुझे व मेरे मित्र को परेशान कर रहे इतने मै पीछे किसी ने हाथ मारी ' मैने पीछे मुड के देख पाता है तो गुस्से से लाल पीले होते अरोरा जी यार तुम कहा चले गये थे ' हम सभी तुम्हे दढते हुए परेशान हो गये ' इतने मे बाकी  अमलेन्दू व दिनेश भी मेरे ऊपर फायर होते हुए कहा आप एक फोन तो कर देते हम सभी कितना परेशान हो रहे है। मै कुछ बोलू ' इससे अच्छा हो डिआप सभी शान्त ही रहे , अगर हम बोलने लगगें तो आप सभी चुप हो जायेगे।जैसे तैसे हम सभी एक दुसरे तरफ फायर होते होते शान्त हो गये सभी को अपनी अपनी गलतियो का एहसास हो चुका था।

इस बीच आकाश अपने नाम का सार्थक करते हुए शांत सरल व मौन था ' जिन की गंभीरता 'गहन चिन्तन व मनन की हम तीनो अनदेखी कर रहे थे ' यहाँ पर स्पष्ट कर दूँ कि वृंदावन से वापसी मे शाम की चाय मेरे मित्र के कोशी एक शानदार होटल में पुर्व निर्धारित कार्यक्रम था लेकिन इस संदर्भ में मैंने किसी को भनक तक नहीं लग दी।हम रात्रि के 9 बजे अपने निवास स्थान पर सकुशल वापस लौट गये एक अविस्मरणीय यादें को लेकर।फिर मिलेगे सम सामायिक घटना चक्र पर तीरक्षी ,नजर से तीखी खबर के संग .नई आलेख को लेकर।
नाही काहूँ से दोस्ती'नाही काहूँ से बैर।खबरीलाल तो माँगे सबकी खैर॥
अलविदा ।
प्रस्तुति
विनोद तकिया वाला
मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार




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