कोरोना संकट में भी खुद को चमकाने में लगे रहे मोदी : प्रियंका

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाता
Updated: 05 Jun 2021 , 17:20:27 PM
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नयी दिल्लीकांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए आज कहा कि जब कोरोना की दूसरी लहर के मुकाबले की तैयारी की जानी थी तब प्रधानमंत्री उस वक्त महामारी पर जीत हासिल करने की घोषणा कर खुद का चेहरा चमकाने में व्यस्त रहे।

श्रीमती वाड्रा ने अपने ‘ जिम्मेदार कौन ’ अभियान के तहत शनिवार को फेसबुक पोस्ट में श्री मोदी का नाम लिए बिना कहा , “ जिनके ऊपर देश बचाने की जिम्मेदारी थी वे सिर्फ अपना चेहरा चमकाते रहे। साल की शुरुआत से ही श्री मोदी अपने बड़बोले और प्रचार के अंदाज में बार-बार राष्ट्रीय और वैश्विक मंचों पर कोरोना की जंग जीतने का की घोषणा कर अपना चेहरा चमका रहे थे।”

उन्होंने कहा कि यह कोरोना की दूसरी लहर का मुकाबला करने का वक़्त था लेकिन मोदी सरकार ने तब कोरोना के लिए निर्धारित बेडों की संख्या कम की और लगातार ऑक्सीजन बेड, आईसीयू एवं वेंटीलेटर बेड घटाए जा रहे थे।

मोदी सरकार पर स्वस्थ्य बजट में कटौती का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि श्री मोदी 2014 में सत्ता में आए तो सबसे पहले उन्होंने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य बजट में 20 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की। पिछले वर्ष स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति ने कोरोना की भयावहता का जिक्र करते हुए अस्पताल के बेडों, ऑक्सीजन की उपलब्धता पर विशेष फोकस करने की बात कही , लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

श्रीमती वाड्रा ने कहा कि गत वर्ष सितम्बर में भारत में दो लाख 47 हज़ार 972 ऑक्सीजन बेड थे, जो इस साल 28 जनवरी तक 36 फीसदी कम कर 15,7344 रह गए। इसी दौरान आईसीयू बेड 66638 से 46 प्रतिशत घटाकर 36,008 और वेंटीलेटर बेड 33,024 से घटाकर 23,618 किए गए।
उन्होंने कहा कि अप्रैल में भारत में कोरोना के लगभग 66 लाख मामले सामने आए और लोग अस्पतालों तथा अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाते और सोशल मीडिया पर एक-एक बेड की गुहार लगाते रहे।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अपने पहले कार्यकाल में श्री मोदी ने हर जिले की मेडिकल सुविधा को अपग्रेड करने की घोषणा की थी लेकिन 2021 तक देश के 718 जिलों में से मात्र 75 जिलों में इस पर काम शुरु हुआ। इसी तरह से
2014 में 15 एम्स बनाने की घोषणा की लेकिन आज तक एक भी सक्रिय अस्पताल के रूप में काम नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा कि 2018 से संसद की स्थाई समिति ने एम्स अस्पतालों में शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों की कमी की बात सरकार के सामने रखी लेकिन एक भी एम्स पूरी क्षमता के साथ अब तक सक्रिय नहीं हुआ।





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