कोविड19 टीकाकारण महा अभियान :चमत्कार नौ माह में सौ करोड़ पार

डॉ घनश्याम बादल | पब्लिक एशिया
Updated: 21 Oct 2021 , 18:40:35 PM
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मेहनत, संकल्प, निरंतरता, आलोचनाओं की परवाह किए बगैर सतत कार्य करने की क्षमता और लक्ष्य तक पहुंचने की प्रतिबद्धता व योजनाबद्ध तरीके से वैक्सीनेशन को गति देने तथा उच्च गति दर को बनाए रखने का ही परिणाम है कि मात्र 9 महीनों में सारी दुनिया की शंकाओं एवं आशंकाओं के बीच भारत ने गुरुवार को कोविड-19 टीकाकरण में 100 करोड़ के चमत्कारिक आंकड़े को पार कर लिया । यदि सरकारी आंकड़ों की बात की जाए तो गुरुवार तक भारत में 103 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड-19 रोधी टीके की डोज दी जा चुकी है ।


भले ही राजनीतिक विरोध के लिए कुछ भी कहा जाए टीकाकरण के अभियान में कितनी ही कमियां हों अथवा ढूंढी जाएं मगर जिस तरह इस टीकाकरण के यज्ञ को कोरोनावायरस की फ्रंटलाइन ने अंजाम दिया है वह प्रशंसनीय है । डॉक्टर नरेंद्र अरोड़ा के नेतृत्व में कोविडरोधी टीकाकरण अभियान आज दुनिया भर में एक मिसाल बनकर सामने आया है । ऐसे में अपनी जान जोखिम में डालकर देश के लोगों की जान बचाने एवं उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का महा अभियान चलाने वाले इन महान योद्धाओं को सलाम तो बनता है। 


शंख बजा, लोक जगा:

मोदी सरकार के थाली, शंख ,घंटे घड़ियाल बजवा कर कोविड-19 को डराने के तमाशे की आलोचना करने वाले विपक्ष को आज यह देखने की जरूरत है कि किस प्रकार से कार्य करके उस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है और अच्छा तो यह रहेगा कि सारे पूर्वाग्रह छोड़कर विपक्ष कम से कम इस वैक्सीनेशन महा अभियान के लिए सरकार को आगे बढ़कर बधाई दे । 


मील का पत्थर : 

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि आज तक देश में टीकाकरण के पात्र वयस्कों में से करीब 75 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक खुराक लग चुकी है, जबकि करीब 31 प्रतिशत लोगों को टीके की दोनों खुराकें लग चुकी हैं।  वैक्सीनेशन की शुरुआत के करीब 9 महीने से ज्यादा समय बाद भारत ने गुरुवार को 100 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज देने का मील का पत्थर हासिल किया है। 


शानदार उपलब्धि : 

यह सरकार इस बात पर अपनी पीठ थपथपा सकती है कि विश्व स्तर पर दी जाने वाली प्रत्येक 100 डोज में से करीब 15 भारत में दी गई हैं।  यह संख्या इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि भारत में दी गई कुल वैक्सीन डोज में से 65 प्रतिशत से ज्यादा देश के ग्रामीण हिस्सों में दी गई हैं।  इंडिकेटर्स में ये बेहतरीन पहुंच की तरफ इशारा कर रहा है। आज विश्व भर में  कम आय वाले देशों में सिर्फ 3 फीसदी लोगों को ही वैक्सीन की एक डोज मिल सकी है। जबकि भारत में यह आंकड़ा बिना किसी जाति धर्म या क्षेत्र के भेदभाव के एक शानदार उपलब्धि की ओर इशारा कर रहा है।


आलोचनाओं का काम से उत्तर: 

भारत का वैक्सीनेशन कवरेज लगातार बढ़ रहा है. करीब 75 फीसदी आबादी को देश में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज मिल चुकी है, वहीं दूसरी ओर 31 फीसदी वयस्क आबादी को दोनों. जब देश दूसरी लहर की चपेट में था, उस वक्त देश के कोरोना वैक्सीनेशन अभियान को काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ा था। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक की वैक्सीन के उत्पादन में आ रही बाधाओं के चलते मई में भारत में टीकों की कमी देखी गई थी, हालांकि प् उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ ही देशभर में 103.4 करोड़ वैक्सीन की डोज राज्यों को दी गईं, वहीं 10.85 करोड़ डोज अब भी उपलब्ध हैं ।  छोटे से काल खंड में आई कमी से सरकार ने सीख ली और उसने कंपनियों पर उत्पादन के लिए न केवल दबाव बनाया अपनी तो उसे उपयुक्त सुविधाएं भी मुहैया कराई जिससे यह चमत्कारी आंकड़ा छूने में मदद मिली। 


दूसरे राज्य भी लें सीख: 

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश के आठ राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और राजस्थान ने कुल मिलाकर 6 करोड़ से ज्यादा वैक्सीनेशन किया है। इन प्रदेशों की सरकारें वास्तव में बधाई के पात्र हैं और अन्य राज्यों को भी इससे प्रेरणा लेते हुए आगे वैक्सीनेशन को गति देने का भागीरथ प्रयास करना होगा। 


16 जनवरी 2021,को भारत ने हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन शॉट देने के साथ  वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत की थी । इस महा अभियान के अंतर्गत 20 अक्टूबर 2021 यानी गत बुधवार सुबह तक करीब 1.03 करोड़ हेल्थ वर्कर्स को पहली डोज मिल चुकी है और 90.98 लाख को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी हैं. इसी तरह से 1.83 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को उनकी पहली डोज और 1.55 करोड़ को दोनों शॉट मिल चुके हैं। 


कमजोर वर्ग का खास ख्याल: 

1 मार्च को केंद्र ने सबसे कमजोर वर्ग के लिए वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत की।  इसमें 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और 45 साल से ज्यादा उम्र के गंभीर बीमारी वाले लोगों को शामिल किया गया. इसके बाद दूसरी लहर के बीच 1 अप्रैल को देश में वैक्सीनेशन का नया चरण शुरू किया गया।  इस चरण में 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को वैक्सीन की डोज देने का लक्ष्य बनाया गया। आंकड़ों के मुताबिक 60 साल से ज्यादा उम्र के 10.62 करोड़ लोगों ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज और 6.20 करोड़ लोगों को पूरी तरह से वैक्सीनेट किया जा चुका है। 45 से ज्यादा आयु वर्ग में 16.88 करोड़ लोगों को पहली डोज दी जा चुकी है, वहीं इस वर्ग में 8.76 करोड़ को दोनों डोज मिल चुकी हैं। 1 मई को भारत ने 18 वर्ष और उससे ज्यादा आयु के सभी लोगों सहित अपने वैक्सीनेशन कवरेज का विस्तार किया. इस वक्त 18-44 साल के आयु वर्ग के लोगों को 50 फीसदी डोज राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों के जरिए लगाई गईं।  ये नियम 21 जून को बदल दिया गया। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 18-44 आयु वर्ग के 39.73 करोड़ लाभार्थियों को पहली डोज जबकि 11.57 करोड़ को दोनों डोज दी जा चुकी हैं। 


विपक्ष ने की थीआलोचना : 

अप्रैल और मई में देश, कोविड -19 वैक्सीन की भारी कमी का सामना कर रहा था, ऐसे में राज्य सरकारों और विपक्ष ने केंद्र सरकार की आलोचना भी की थी । महाराष्ट्र ने आरोप लगाया था कि उसे भाजपा शासित राज्यों की तुलना में कम वैक्सीन की डोज दी गईं।  हालांकि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे का “राजनीतिकरण” करने का प्रयास कह कर नकार दिया था । मगर  सरकार का पूरा फोकस ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन करने का रहा और आज उसने 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। 


राजनीति तो राजनीति है: 

राजनीति में ऐसी बातें होती रहती हैं आलोचना प्रत्यय लोचना लोकतंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा है निरर्थक आलोचना करना उचित नहीं है । आलोचनाओं का शिकार जवाब शब्दों से देने में शक्ति बर्बाद करने से बेहतर होता है आलोचनाओं को अपने कार्य से निष्प्रभावी कर देना और मोदी सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान में यह कर दिखाया है । जहां मोदी अग्रिम पंक्ति में रहकर नेतृत्व करते हैं वही उनकी टीम को भी कड़ा परिश्रम करना पड़ता है और यह उसी परिश्रम का परिणाम है कि आज महज़ 9 माह के अल्पकाल में ही 103 करोड़ लोगों को कोविडरोधी टीके  दिए जा चुके हैं । 

 जहां प्रधानमंत्री मोदी अपने कार्यकर्ताओं की पीठ पर थपकी वाला हाथ रखते हैं वही कार्यकर्ता भी उन्हें वक्त वक्त पर तोहफे देने से नहीं चूकते और इसका एक उदाहरण नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर देखने को मिला जब एक ही दिन में इन कार्यकर्ताओं ने रिकॉर्ड तोड़ वैक्सीनेशन किया था । 

अस्तु, बधाई भारत, बधाई सरकार और बधाई फ्रंटलाइन वर्कर्स, डॉक्टर नर्स तथा उन सब भारतीयों को जिन्होंने इस  महाअभियान को इस मुकाम तक पहुंचाया । उम्मीद करें कि आगे भी यह अभियान ऊंचाइयां छूते हुए न केवल तीसरी लहर को आने से रोकेगा अपितु दुनिया को बता देगा कि भारत भारत है और जब वह कुछ करने पर आता है तो फिर करके दिखाता ही है। 

डॉ घनश्याम बादल


( वरिष्ठ टिप्पणी कार हैं)







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