क्योंकि आज हरिया ने खाना नहीं खाया

संवाद सहयोगी, | पब्लिक एशिया
Updated: 14 Jan 2022 , 18:17:37 PM
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संजीव-नी|

क्योंकि आज  हरिया ने खाना नहीं खाया|

क्योंकि आज  हरिया ने खाना नहीं खाया,

हथौड़े की तेज आवाज से भी तेज,

मस्तिष्क के तंतु कहीं तेजी से

शून्य में विलीन हो जाते,

फिर तैरकर,

वापसी की प्रतीक्षा किए बिना,

आकर वापस बैठ जाते,

किसी अलग जगह में

जो पुरानी नहीं होती,

लेकिन हरिया

कबाड़ में हथोड़ा चलाकर

वापस आए उन विचारों का

विरोध खुलकर करना चाह रहा था,

जिसकी उसे आजादी थी,

पर इतनी ऊर्जा,ताकत और चाहत नहीं थी,

जो बेवजह उसकी अपनी जिंदगी में,

अन्चाहों  की तरह,

आकर, दिमाग में चक्कर लगाते,

हथोड़ा और जंग लगा लोहा,

आपस में जुगलबंदी कर

कोई मंगल गीत नहीं गा सकते,

कोई आशा या संकेत नहीं दे सकते,

की  आने वाला समय या कल

 खुशहाली, हरीतिमा का होगा, 

किसी को शायद मालूम न था

की  कि हरिया ने

हथोड़ा चलाने से पहले

और बहुत पहले, और

बहुत बाद तक खाना नहीं खाया था| 

संजीव ठाकुर,रायपुर,छ.ग.9009415415.


 





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