अहमदाबाद, गुजरात हाई कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहनने पर लगने वाली 1000 रुपए की दंड राशि में कमी करने के राज्य सरकार के अनुरोध को आज ठुकरा दिया।
मुख्य न्यायाधीश विक्रमनाथ की अगुवाई वाली खंडपीठ ने आज इस मामले और सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक पर्याप्त संख्या में टीके नहीं लग जाते तब तक ऐसा नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि अगर दंड की राशि कम की जाएगी तो लोग और लापरवाही करेंगे। ऐसी ही लापरवाही से दूसरी लहर आयी थी।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कमज़ोर पड़ने पर उक्त दंड राशि को कम करने का अदालत से अनुरोध किया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को तीसरी लहर को पूरी तरह रोकने की तैयारी के साथ काम करना चाहिए ना कि यह मान लेना चाहिए कि तीसरी लहर आएगी ही।
गुजरात में पिछले कुछ दिनो से कोरोना के नए मामले 80-90 के आसपास बने हुए हैं और रोज़ाना दो से तीन मौतें ही हो रही हैं। सक्रिय मामलों की संख्या भी घट कर क़रीब 2500 हो चुकी है। हालांकि कुल मिला कर अब तक राज्य में सवा आठ लाख के क़रीब मामले दर्ज हो चुके है और अब तक दस हज़ार से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं, इनमे से सात हज़ार से आधिक तो दूसरी लहर में ही मरे हैं। राज्य सरकार ने तीसरी लहर से निपटने के लिए एक एक्शन प्लान यानी कार्य योजना की भी घोषणा की है। क़रीब साढ़े छह करोड़ की आबादी वाले गुजरात में अब तक 55 लाख लोगों को टीके की दोनो डोज़ लग चुकी है। दो करोड़ से अधिक लोगों को कम से कम एक डोज़ लगी है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से टीकाकरण की रफ़्तार सुस्त हो गयी है और इससे लोगों को ख़ासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।