चीन,और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा पाकिस्तान पर आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक,पाकिस्तान दिवालियापन की कगार पर

संजीव ठाकुर ,चिंताक,लेखक, | पब्लिक एशिया
Updated: 18 Oct 2021 , 20:21:30 PM
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पाकिस्तान चीन को हर मौसम हर परिस्थिति का सहयोगी मानता था और पाकिस्तान ने सपने में भी नहीं सोचा था कि चीन उसके ऊपर इतना बड़ा आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक कर देगाl विगत दिनों पाकिस्तान में दसु डैम हादसे में मारे गए चीनी इंजीनियरों के बदले में पाकिस्तान से 38 मिलियन डॉलर का मुआवजा मांगा हैl ड्रैगन ने अपने खास चेले और शागिर्द पाकिस्तान को एक बहुत बड़ा झटका दिया है।


चीन ने अपने हर मौसम के साथ पाकिस्तान से दासु डैम परियोजना में बम विस्फोट के दौरान मारे गए चीनी इंजीनियरों की जान के बदले 38 मिलियन डॉलर का मुआवजा बड़े कठोर शब्दों में मांग लिया हैl इंटरनेशनल न्यूज़ के बिजनेस रिकॉर्डर की खबर के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान को साफ कहा है कि जब तक पाकिस्तान चीन को मुआवजा नहीं देता है, तब तक दासू डैम का काम फिर से शुरू नहीं किया जाएगाl यह विदित हो कि किसी साल पाकिस्तान में चीनी चीनी इंजीनियर को ले जा रही बस में भीषण धमाका हुआ था जिसमें चीन के 9 इंजीनियरों के साथ दो कांस्टेबल जवानों की मौत हो गई थी साथ ही 2 नागरिक भी मारे गए थे।


दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल भी हुए थेl दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आई,एम,एफ ने पाकिस्तान को बड़ा झटका देकर पाकिस्तान को कर्ज देने से इनकार कर दिया हैl आर्थिक एवं वित्तीय नीतियों के ज्ञापन तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और पाकिस्तान के बीच कर्ज को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है।जिसके फलस्वरूप आई एम एफ खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहे पाकिस्तान को कर्ज देने से साफ इनकार कर दिया। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार पाकिस्तान को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड से $1 अरब डॉलर का कर्ज मिलने वाला था, जिससे वह अपना खर्चा चलाने वाला था पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा यह कर्ज देने से इनकार करने पर इमरान सरकार पर बड़ा वित्तीय संकट मंडराने लगा है। इस कर्ज को पाने के लिए पाकिस्तान के कई अधिकारी अमेरिका में डेरा डाले हुए हैं। पाकिस्तान के अधिकारियों को यह उम्मीद है कि बातचीत सफल हो जाएगी और उन्हेंएक अरब डॉलर का कर्ज मिल जाएगा। इसके लिए पाकिस्तान ने आईएमएफ को मनाने के लिए पेट्रोल की कीमत में ₹11 और डीजल में ₹12 का इजाफा किया है इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अधिकारी पाकिस्तान द्वारा टैक्स वसूली के कदमों से संतुष्ट नहीं हैं।


अब इमरान सरकार पर सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि आईएमएफ से कर्ज नहीं मिलने पर वह कहां झोली फैलाने जाएंगे। चीन सरकार दूसरी तरफ उससे बेहद खफा है और 38 मिलियन डॉलर का मुआवजा मांग रही है। इमरान सरकार दो तरफा आर्थिक स्ट्राइक से परेशान होकर आम जनता पर बिजली के बिलों में ₹1 50 पैसा प्रति यूनिट बढ़ा दिया है फिर भी आईएमएफ के अधिकारी पाकिस्तान की नीतियों से संतुष्ट नहीं है। एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को झटका दिया है तो परंपरागत दोस्त चीन ने भी पाकिस्तान को कहीं का नहीं छोड़ा है। पाकिस्तान में चीनी इंजीनियरों के बम ब्लास्ट में मारे जाने को लेकर चीन काफी सख्त है। वो लगातार मुआवजा मांग रहा है। उससे नया कर्ज मिलने की उम्मीद तो नहीं के बराबर है, ऊपर से उसे 38 मिलियन डॉलर देने के लिए पाकिस्तान सरकार अब मुसीबत में फंस कर छटपटा रही है। आपको यह बता दें कि इमरान खान नियाजी और सेना के जनरल कमर जावेद बाजवा के बीच खासा मनमुटाव पाकिस्तानी आईएसआई के चीफ की नियुक्ति को लेकर हो गया है। यदि दोनों के बीच समझौता नहीं होता है तो सेना मार्शल ला लगाने में नहीं रुकेगी। पाकिस्तानी अंदरूनी हालात बहुत ज्यादा खराब है। विपक्ष की मरियम नवाज सत्ता परिवर्तन के लिए लगातार हमले कर सत्ता में आने का प्रयास कर रही है। उसने अमेरिकी राजदूत से भी अलग से मुलाकात कर अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है।


पाकिस्तान सरकार महंगाई, बेरोजगारी और कर्मचारियों की मांग तथा हड़ताल से वैसे भी जूझ रहा है। आर्थिक रूप से कंगाल पाकिस्तान के सामने अंधेरा ही अंधेरा दिखाई दे रहा है। इन परिस्थितियों में इमरान सरकार किसके सामने देश चलाने के लिए हाथ फैलाएगी? इतने सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि खाड़ी के देशों के साथ पाकिस्तान के संबंध खराब चल रहे हैं और सऊदी अरब ने $1 अरब डॉलर पाकिस्तान से वापस मांग लिए थे, जिसे पाकिस्तान ने चीन से कर्ज लेकर चुकाया था। इमरान को उम्मीद थी कि अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के आने के बाद उसे कुछ वित्तीय सहायता तालिबानी समर्थक देंगे, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी है। इमरान खान के सामने अब आईएमएफ के सामने गिड़गिड़ानाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।






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