चोर जासूस हैं मोबाइल ऐप्स,इनसे सतर्क रहें

नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार | पब्लिक एशिया
Updated: 27 Oct 2021 , 19:42:06 PM
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मोबाइल ऐप्स लोगों की आदतों, स्थानों, जीवन शैली व स्वास्थ्य आदि को ट्रैक करते हैं, यानी आपके जीवन में क्या कुछ चल रहा है, सब कुछ उनकी निगाह में रहता है

देश की अधिकांश आबादी स्मार्टफोन प्रयोग कर रही है। सोशल मीडिया एक प्रभावी संचार तंत्र की भूमिका में है। उधर, धन के लेनदेन में मोबाइल व नेट बैंकिंग, डेबिट-क्रेडिट कार्ड आदि का इस्तेमाल बढ़ा है। इसी के साथ साइबर अपराध बढ़े हैं। इनमें धोखाधड़ी, फेक न्यूज, वीडियो वाइरल करने व सोशल मीडिया पर चरित्र हनन और ब्लैकमेलिंग जैसे मामले शामिल हैं। इन अपराधों के बारे में सचेत करने हेतु, अक्टूबर को 'साइबर सुरक्षा जागरूकता माह' के रूप मनाया जाता है। ब्लॉगर्स एलायंस की ट्विटर चैट में इस बार साइबर सुरक्षा पर चर्चा हुई। एडवोकेट सुमित नागपाल, दिल्ली हाई कोर्ट की वकील ज्योति वशिष्ठ एवं विचारक डॉ. नीरज कुमार ने अनेक सावधानियों पर प्रकाश डाला।


मोबाइल में वही ऐप रखें जिन पर आपको भरोसा हो। कभी ऐसी अनुमति न दें जो ऐप्स के कामकाज के लिए आवश्यक न हो। अपने फोटो व वीडियो को एक्सेस करने की अनुमति न दें। आपके मोबाइल के ऐप्स ऐसे चोर और जासूस हैं जो आपकी गोपनीय जानकारी और डेटा चुरा लेते हैं। ऐप्स आपकी आदतों, स्थानों, जीवन शैली, स्वास्थ्य को ट्रैक करेंगे, यानी आपके जीवन में क्या कुछ चल रहा है, सब कुछ उनकी निगाह में रहता है।


 व्हॉटसएप का प्रयोग बेतहाशा बढ़ा है। इसकी चैट का इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति के खिलाफ हो सकता है जो अवैध गतिविधियों में लिप्त हो। जांच एजेंसियों के लिए अवैध गतिविधियों की गहराई से जांच करने का यह एक बड़ा जरिया है। आर्यन खान के ताजा मामले में देखा गया कि एनसीबी व्हॉटसएप चैट्स पर भरोसा कर रहा है। व्हॉट्सएप या किसी अन्य ऐप पर लिखा गया प्रत्येक शब्द आगे चलकर आपके खिलाफ एक सबूत हो सकता है। हमेशा मान कर चलें कि रिसीवर के अलावा कोई और भी है जो आपके मैसेज पढ़ रहा है। याद रखें इंटरनेट की दुनिया में जो कुछ भी चला जाता है, हमेशा के लिए वहीं रहता है। लोगों को लगता है कि सोशल मीडिया पर वे जो कुछ लिखते हैं, यदि उसे डिलीट कर दें तो बच जायेंगे। ऐसा नहीं है, डिलीट की हुई चैट बैकअप सर्वर या दूसरे व्यक्ति की हिस्ट्री में मिल सकती है।


अपने मोबाइल या कंप्यूटर से सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील या अश्लील सामग्री कभी भी फॉरवर्ड या प्रसारित न करें। ऐसे अपराधों से निपटने के लिए आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत विशिष्ट प्रावधान हैं। फर्जी और संदिग्ध लोगों के संपर्क में आने से बचें। उनके सवालों के जवाब न दें। व्हॉट्सएप पर फर्जी, झूठे, मानहानि और चरित्र हनन करने वाले वीडियो न तो डाउनलोड करें, न आगे भेजें और न ही फोन में सेव करें।


ऑनलाइन धोखाधड़ी के कारण वित्तीय नुकसान हो जाये तो टोल फ्री नंबर 112 या 55260 पर 24 घंटे के अंदर पुलिस को सूचित करें। पुलिस की कोशिश होती है कि गायब रकम की जल्द रिकवरी हो जाये। पूर्वी झारखंड में जामताड़ा एरिया भारत में साइबर अपराधों का बड़ा केंद्र है। वहां गरीबी है, बिजली नहीं आती, लेकिन सैकड़ों गांवों में साइबर ठगी खूब होती है। ये अनपढ़ ठग मोबाइल से ठगी में माहिर होते हैं।  


अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स को नियमित रूप से जांचते रहें। अपना प्रोफ़ाइल सभी के लिए खुला न रखें। फेसबुक पर अनजान लोगों की रिक्वेस्ट स्वीकार न करें। अगर किसी ने आपके नाम से फर्जी अकाउंट बनाया है, तो उस प्लेटफार्म और साइबर क्राइम सेल को रिपोर्ट करें। फर्जी खाते इसलिए अस्तित्व में आते हैं क्योंकि लोग विभिन्न ऐप्स को अपनी फोटो व कॉन्टेक्ट लिस्ट तक पहुंचने की अनुमति देते हैं। फेक सोशल मीडिया अकाउंट एक बड़ा खतरा है। हमेशा क्रॉस चेक करें कि क्या आपको किसी ऐसे व्यक्ति से फ्रेंड रिक्वेस्ट मिल रही है जो पहले से ही आपकी फ्रेंड लिस्ट में मौजूद है? सोशल मीडिया पर कोई पैसे मांगे तो हर्गिज न दें, न ही किसी अनजान को अपने बैंक खाते का विवरण दें। इसी तरह से दफ्तर के कंप्यूटर पर कभी भी व्यक्तिगत काम न करें, न ही पेन ड्राइव में डेटा सेव करें। ऐसा करना कर्मचारी को भारी मुसीबत में डाल सकता है।






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