जीवन जीने के लिए बुनियादी जरूरतों को उपलब्ध कराना कार्यपालिका का कर्तव्य: भावनानी

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाता
Updated: 03 Mar 2021 , 22:38:52 PM
  • Share With




गोंदिया - भारत आज तकनीकी विकास और डिजिटलाइजेशन में विश्व स्तर पर तीव्र गति से विकास कर रहा है और वैश्विक स्तर पर भारत तकनीकी में चुनिंदा देशों की गिनती में आ खड़ा हुआ है और तीव्र गति से पूरी लगन से आत्मनिर्भर भारत के रूप में स्थापित होने के लिए आगे बढ़ रहा है। परंतु इस तकनीकी और डिजिटलाइजेशन के युग में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय समाज में आज भी कुछ ऐसे तबके, गांव या क्षेत्र हैं जहां जीवन जीने के लिए बुनियादी जरूरतों की वस्तुएं भी उपलब्ध नहीं है। जो हम भारतीय समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए उसके बाद आता है तकनीकी विकास और डिजिटलाइजेशन हालांकि, केंद्र राज्य केंद्र शासितप्रदेश सरकारों की अनेक ऐसी योजना चालू है जैसे केंद्र सरकार की सिलेंडर योजना, शौचालय योजना, पक्का घर योजना, राज्य सरकार की हर हर नल हर घर जल योजना इत्यादि अनेक योजनाएं अपने अपने स्तर पर कार्यान्वित हो रही है और नागरिक उसके लाभ भी उठा रहे हैं। परंतु इस बीच भी कुछ राज्यों में कुछ तबके व गांव, इलाके ऐसे हैं जहां जीवन जीने की बुनियादी जरूरतों की सुवधिएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यह हम सब भारतीयों के लिए दुर्भाग्य की बात है और प्रबुद्ध नागरिकों को अदालतों की चौखट तक जाने की जरूरत महसूस हो गई है हालांकि, यह समस्या सरकारों के संज्ञान में लाने पर पूर्ण होने की संभावना रहती है। फिर भी कहीं ना कहीं कुछ छूट जाता है और मामला अदालतों की चौखट तक जा पहुंचता है... इसी से संबंधित एक मामला मेघालय हाईकोर्ट शिलांग में, मंगलवार दिनांक 23 फरवरी 2021 को माननीय 2 जजों की बेंच जिसने माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच एस थंगख्वी और न्यायमूर्ति बिश्वनाथ सोमदर की बेंच के सम्मुख जनहित याचिका क्रमांक 12/ 2017 याचिकाकर्ता बनाम मेघालय राज्य व अन्य के रूप में आया जिसमें माननीय बेंच ने अपने 2 पृष्ठों के आदेश में कहा कि मुख्य सचिव द्वारा एडिशनल एफिडेविट फाइल किया गया है जिसमें तीन व चार नंबर के पॉइंट में कहा गया है कि भारत पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय द्वारा पाइप लाइन जलाशय व गुरुत्वाकर्षण जल आपूर्ति योजना, पंपिंग, सतह की पानी की अनपलब्धता के कारण वह कुएं, सेंटिंग, टैब, आदि हैं पंप, हैंडपंप प्रयुक्त किए जाते हैं। आगे कहा गया कि भारत सरकार द्वारा नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम (एनडीडब्ल्यूपी) में जल जीवन मिशन जलशक्ति मंत्रालय के तहत 15 अगस्त 2019 को लांच की गई है और प्रत्येक ग्रामीण घर में 2024 तक हर घर में कार्यात्मक घरेलू टेप कनेक्शन प्रदान किया जाएगा। ऐसा कहा गया। आदेश कॉपी के अनुसार बेंच ने हाल ही में मेघालय राज्य को यह निर्देश दिया कि राज्य में रहने वाले उन लोगों के लिए एक रोडमैप और नीति तैयार की जाए, जिनके पास आज तक पीने योग्य और आर्सेनिक मुक्त पीने के पानी तक आसान पहुँच नहीं है। बेंच यह आदेश तब दिया जब अदालत ने यह पाया कि मेघालय राज्य की अपनी कोई योजना/नीति नहीं है, जो यह सुनिश्चित कर सके कि मेघालय राज्य के प्रत्येक गाँव तक पीने योग्य और आर्सेनिक मुक्त पीने के पानी तक आसान पहुँच हो।यह ध्यान दिया जा सकता है कि 16 फरवरी, 2021 को कोर्ट ने मेघालय राज्य को यह निर्देश दिया था कि वह एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे - जिसमें मेघालय राज्य के उन गाँवों की सही संख्या और नाम हों, जिन तक आज तक पीने योग्य और आर्सेनिक मुक्त पीने के पानी तक पहुंच नहीं हो।हालाँकि,जब मेघालय राज्य ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, तो इसने जल शक्ति मंत्रालय (भारत सरकार का एक कार्यक्रम) के जल जीवन मिशन कार्यक्रम का उल्लेख करने के अलावा राज्य सरकार की कोई नीति नहीं बताई। अदालत ने इस पर राज्य सरकार को निर्देश दिया, एक नीति तैयार की जाए जो इस राज्य में रहने वाले उन लोगों के लिए एक रोडमैप तैयार करे जिनके पास आज तक पीने योग्य और आर्सेनिक मुक्त पीने के पानी की कोई आसान पहुंच नहीं है।इसके साथ ही अदालत द्वारा राज्य की नीति को राज्य सरकार की ओर से न्यायालय के समक्ष रखने का निर्देश दिया गया। संबंधित समाचार में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में माना कि पीने के पानी तक पहुंच का अधिकार, जीवन के लिए मौलिक है और अपने नागरिकों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना राज्य का कर्तव्य है।

*संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एड किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*




रिलेटेड न्यूज़

टेक ज्ञान