ड्रेगन की अमेरिका से बढती प्रतिस्पर्धा,भारत के लिए नहीं है अच्छे संकेत

संजीव ठाकुर,स्वतंत्र लेखक | पब्लिक एशिया
Updated: 14 Jun 2021 , 17:05:52 PM
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                                                               चीन व् प्रशांत महासागर में आक्रामक होता चीन
वाशिंगटन की समाचार एजेंसी के अनुसार अमेरिका के रक्षा मंत्री लोयेद ऑस्टिन ने सांसदों की बैठक में चीन के हिन्द,प्रशांत महासागर में कई बेडो की गस्त ने अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है| चीन उस इलाकों में बेहद आक्रामक हो गया है|उन्होंने कहा कि हिन्द प्रशांत इलाके में चीन के बदले तेवर को देख कर एसा लगता है कि वहां कुछ एसा घाट सकता है की वहां की शांति को संकट हो सकता है|
चीन अंदरूनी तौर पर काफी डरा हुआ है,उसके अंदरूनी हालात बहुत ही ख़राब हैं, वहां नौजवानों को जबरिया सेना में भर्ती करने से युवा पीढ़ी में जबरदस्त आक्रोश पैदा हुआ है,चीन में भारत जैसी स्वेच्छिक सेना में कार्य करने की नीती नहीं है, वहां कालेज के बाद सेना में सेवाएं देना अनिवार्य है| एसे से में राष्ट्रपति शी चिन पिंग के खिलाफ बड़ा तबका नाराज है, वहीँ दुशरी तरफ चीन कोरोना के हालातों का अभी तक अधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं हुआ है,युहाँन में विश्व स्वाथ्य संघटन के प्रतिनिधि अधिकारिओ को अन्तराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से युहाँन से हुए करोना विस्फोट की जाँच हेतु जाने पर युहान में अनावश्यक लोगडाउन कर दिया गया| फिर अन्तराष्ट्रीय स्तर के अधिकारीयों को 14 दिनों का जबरिया क्वारेंटाइन भी कर दिया गया|इसका स्पष्ट मतलब है  चीन अपने अंदरूनी हालातों का खुलासा दुनिया के सामने नहीं करना चाहता और वह वैश्विक नियमों की धज्जियाँ उड़ने से भी परहेज नहीं करता है |    

वैश्विक स्तर पर जहां अमेरिका रूस और चाइना पूर्व में महाशक्ति के रूप में जानें  जाते थे| पर पिछले कुछ वर्षों से जब से सोवियत संघ के विभाजन  के बादअ लगग -अलग टुकड़े हुए, वहां शनै शनै यू,एस.एस.आर की शक्ति  कम होती गई, पर राष्ट्रपति पुतिन अपने बाहुबल से उस शक्ति को फिर से पाने के प्रयास से सैन्य शक्ति को दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि  दिलाई है| पुराना शौर्य  तथा ताकत को पाने का  वे प्रयास लगातार  कर रहे हैं | दूसरी तरफ  चीन जो खुद अपनी हरकतों से अपने आप को पूरे विश्व से अलग-थलग कर चुका है और रही सही कसर कोविड-19 करोना को सभी राष्ट्रों को महामारी का रूप देकर पूरी कर ली है| यह जानते हुए भी की कोरोनावायरस  खतरनाक एवं प्राण   लेवा है उसने पूरे विश्व में इसे विस्तारित करके पूरी दुनिया को अपना निजी दुश्मन बना  लिया है| ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, दक्षिण पूर्व एशिया मैं वह अपनी दादागिरी एवं विस्तार वादी नीति आजमाता रहा है| पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान को आर्थिक मदद देकर अपने कई सैन्य अड्डे स्थापित कर चुका है क्योंकि पाकिस्तान आर्थिक रूप से बहुत कमजोर एवं आतंकवादी  राष्ट्र होने  के कारण उसे  विकसित राष्ट्र पहले से ही उसकी  आतंकवादी गतिविधियों के कारण   क्रोधित और नाराज बैठे हुए हैं| पाकिस्तान का एकमात्र सहारा चीन ही है और कुछ मुसलमान राष्ट्र हैं जो उसकी गाहे-बगाहे मदद किया करते हैं| भारत से मित्रता के बाद पाकिस्तान को अमेरिका से दी जाने वाली धनराशि एवं युद्ध के लड़ाकू विमान और  सामग्री में  भरपूर  कटौती कर  दी गई  है| वर्तमान में एकमात्र बाहुबली अमेरिका सर्वमान्य एवं शक्ति संपन्न देश के रूप में जाना माना जाता रहा  है, पर चीन द्वारा दिए गए कोरोनावायरस के चलते अमेरिका भी भारी आर्थिक नुकसान में पड़ गया है| अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव बहुत निकट हैं ऐसे में महाशक्ति अमेरिका किसी भी तरह युद्ध करने की स्थिति में नहीं किंतु वाह चीन को किन स्थितियों में बर्दाश्त करने के लिए तैयार भी  नहीं है|
               चीन भारत का स्वतंत्रता के पश्चात परंपरागत दुश्मन की श्रेणी  का  राष्ट्र रहा है,| भारत पर 1961 में हमला कर अपनी नीति और नियत दोनों दिखा चूका है, लद्दाख में कुछ दिनों पूर्व  सैनिक  खुराफात कर अपनी विस्तार वादी  नीति को स्पष्ट  कर दिया है| पर  भारत गणतंत्र और भारतीय सेना ने वह तो जवाब देकर चीन को यह स्पष्ट संकेत दे दिया है की वर्तमान का भारत अब  पुराना भारत नहीं रहा अब हिंदुस्तान सैन्य क्षमताओं से भरपूर सशक्त राष्ट्र बन चुका है|  वह किसी भी अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं करेगा| वही  एशिया के प्रमुख देश जापान के नए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने पदभार संभालते ही अपनी विदेश नीति को मजबूत करने के लिए कई देशों की कूटनीति की यात्रा भी की है| जिसके चलते हैं वह अन्य देशों को दरकिनार करते हुए इंडोनेशिया और वियतनाम की यात्रा कर उसे अपने संबंध मजबूत करने चाहे| उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए जो दो देश चुनें हैं  वह उनकी भावी विदेश नीति को इंगित करते हैं| ऐसा माना जाता है जापान में विदेश नीति को मजबूत करने वाला ऐसा प्रधानमंत्री आने की संभावना कम ही  दिखती है|उनकी विदेश नीति  के अंतर्गत आसियान सदस्य देशों को अमेरिका दक्षिण कोरिया चीन और यूरोपीय देशों को वरीयता देने की क्यों आवश्यकता हो सकती है? जापान के प्रधानमंत्री का  झुकाव स्पष्ट रूप से कई वाकयों में भारत की तरफ  दिखाइ  दिया है| मौका पड़ने पर जापान चीन की जगह भारत को तवज्जो देने की नीति भी बना चुका है और भारत के प्रधानमंत्री और जापान के प्रधानमंत्री की मुलाकात भी हुई है| जो आगामी दक्षिण एशिया दक्षिण पूर्व एशिया में स्पष्ट रूप से निर्णायक होंगे | चीन कूटनीतिक राजनीतिक स्तर पर एकदम अलग  पड़ चुका है| वह छोटे देशो को आर्थिक प्रलोभन देकर अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है  पर सामरिक रूप से अंदरूनी स्तर पर कमजोर खोखला हो चुका है|  वह किसी भी स्थिति में मानसिक रूप से युद्ध करने की तैयारी में नहीं है|





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