ड्रैगन फिर आक्रमण की ओर,अरुणाचल में अतिक्रमण का प्रयास

संजीव ठाकुर, चिंताक लेखक | पब्लिक एशिया
Updated: 09 Oct 2021 , 15:12:23 PM
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चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला है।यह तो तय है कि चीन के प्रमुख सी जिनपिंग बहुत बड़ी महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं कि वह अपने देश चीन का जल्दी से जल्दी विस्तार कर कई छोटे छोटे देश पर तब जाकर अपना राज प्रारंभ कर देगा।दूसरी तरफ चीन अभी बिजली संकट से गुजर रहा है और उसका 50% उत्पादन बिजली की कमी से ठप पड़ गया है।

वर्तमान परिस्थितियों में रक्षा इधर एल.ए.सी में अरुणाचल प्रदेश तथा लद्दाख की सीमा में उसके सैनिक अपने कमांडरों का कहना या तो नहीं मानते या सोची समझी साजिश के तहत लगातार सीमा पर अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहे हैं।चीन के सैनिकों ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश में अतिक्रमण करने की कोशिश की भारत के जांबाज जवानों ने चीन की नापाक कोशिश को नाकाम करते हुए उन्हें खदेड़ दिया था। यह अतिक्रमण की घटना गुमला क्षेत्र में हुई है।

भारतीय सेना के सैनिकों ने चीनी सैनिकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया लगभग 200 सैनिकों को रोक भी दिया था पर कमांडर की बातचीत करके उन्हें छोड़ दिया गया।एक तरफ शांति बहाली के लिए कमांडर स्तर पर लगातार वार्ताएं चल रही है और दूसरी तरफ चीनी सैनिक अरुणाचल तथा लद्दाख क्षेत्र में लगातार घुसने की कोशिश कर रहे हैं।यह तो तय है कि भारतीय सेना मुस्तैदी से जुटी हुई है और चीन को मुंहतोड़ जवाब दे रही है।वीशेषज्ञ मानते हैं कि चीन भारत को गई अलगाववादी आंदोलनों में उलझा कर उसे व्यस्त कर देना चाहता है। और उसका ध्यान अरुणाचल प्रदेश तथा अन्य सीमांत इलाकों से हटाना चाहता है। इसके अलावा चीन ऐसे मौके पर जब भारत अपनी अंदरूनी स्थितियों से निपटने में उलझा रहेगा तब वह अरुणाचल प्रदेश तथा अन्य क्षेत्रों में हमला कर अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करना चाहेगा।


विशेषज्ञों के अनुसार यदि ऐसा नहीं हुआ तो चीन अपने दूसरे एक्शन प्लान के अनुसार चीन, पाकिस्तान तथा तालिबान को कश्मीर पर हमला करने को प्रेरित करेगा। चीन अपने नए शागिर्द तालिबान और जड़ खरीद गुलाम पाकिस्तान को मोहरा बनाकर जम्मू और कश्मीर में हमला करने को उत्प्रेरित करेगा। इसी समय ड्रैगन अरुणाचल पर हमला कर उस पर कब्जा करना चाहेगा। ड्रैगन का मानना है कि भारत एक साथ दो मोर्चे पर युद्ध नहीं कर सकता है।परिणाम स्वरूप चीन के अनुसार भारत जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को खोने की स्थिति में होगा।और ड्रैगन इस मंसूबे को 2025 तक पूरा करना चाहेगा।


इसके विपरीत सच्चाई यह है कि वेबसाइट पर चीन की यह साजिश पूरी दुनिया के देशों ने देख और पढ़ कर, उसके इस खतरनाक मंसूबे की खुलकर आलोचना की है।वेबसाइट की सूचना के अनुसार ड्रैगन 2025 तक ताइवान पर भी कब्जा कर लेना चाहता है।  इस आर्टिकल के अनुसार 2030 तक वियतनाम फिलीपींस जैसे देशों को हराकर दक्षिण चीन सागर पर संपूर्ण कब्जा कर लेना चाहता है।  और इसी दौरान ड्रैगन सेनकाकूस द्वीप से जापान को हटाकर अपने देश का लाल झंडा वहां पर फहराना चाहेगा। इसके बाद मंगोलिया पर हमला करके चीन इनर मंगोलिया का हिस्सा बना देगा। मंगोलिया पर कब्जा करने के बाद रूस पर भी हमला कर रूस के नियंत्रण वाले चीनी क्षेत्र को चीन में मिलाना चाहेगा। वह यह सपने देख रहा है कि चीन की सेना रूस तथा जापान की सेनाओं को हराने में सक्षम होगी।


ड्रैगन अपनी अंदरूनी ताकत व्यापारिक, आर्थिक शक्ति और लगातार बढ़ाने में लगा हुआ है। उसकी वायु थल तथा जल सेना निसंदेह ड्रैगन एक बहुत शक्तिशाली देश है। और वह अपने पड़ोसी देशों के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। चीन अपनी पॉलिसी के अनुसार अपने पड़ोसियों को कभी चैन से नहीं रहने देना चाहता है। चीन के साथ सबसे मुश्किल बात यह है कि उसकी कोई अंदरूनी योजना तथा खबर वैश्विक मीडिया पर खुलकर नहीं आ पाती और ना ही उसकी किसी भी साजिशों से भरी हुई रूपरेखा भी दूसरे देश के खुफिया तंत्र पता नहीं लगा सकते हैं। ऐसे में चीन गुप्त रूप से अपने पड़ोसियों की सीमाओं को धीरे-धीरे कब्जा करने में कई बार सफल भी रहा है।


इन परिस्थितियों में जब तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है एवं पाकिस्तान की सरकार उसे कामकाज तथा प्रशासन चलाना सिखा रही है। और चीन तालिबान को आर्थिक मदद दे रहा है, इन तीनों की युति भारत के साथ-साथ रूस तथा अन्य एशियाई देशों के लिए एक बहुत बड़ा खतरे का संकेत है। यह विदित भी है कि भारत लगातार मित्र देशों के संपर्क में है । तालिबान के प्रति अपने रुख के पत्ते नहीं खोल कर सामने नहीं ला पाया है। ऐसे में इन तीनों के त्रिगुट के सामने मित्र देश क्या नई नीति निर्मित करते हैं। यह तो भविष्य ही बताएगा, पर भारत को विशेष सतर्कता की वर्तमान में आवश्यकता होगी।






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