दिवस विशेष:भारतके आइंस्टीन,सत्येंद्र नाथ बोस

चिन्मय पाठक | पब्लिक एशिया
Updated: 29 Dec 2021 , 15:21:15 PM
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भारत के आइंस्टीन माने जाने वाले  हमारे महान  भारतीय गणितज्ञ और सैद्धांतिक भौतिकी में विशेषज्ञता वाले डॉक्टर,सत्येंद्र नाथ का आज दिनांक 1 जनवरी को जन्म दिवस है।उनकी आज 127वी जयंती है।सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894 को कोलकाता में हुआ था।इनके पिता सुरेंद्र नाथ बोस ईस्ट इंडिया रेलवे में इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत थे। इनकी पत्नी का नाम उषाबाई बोस था।अपने माता-पिता के इक लौते  बेटे थे इनकी छह बहनें थी,बहन भाइयों में ये यह सबसे बड़े थे। वह एक बहुआयामी  विद्यार्थी थे जिनकी रूचि कई सारे क्षेत्रों में थी. जिसमें मैथमेटिक्स, केमिस्ट्री फिजिक्स, लिटरेचर, फिलॉसफी, आदि शामिल थे।

इनका पैतृक घर नाडिया नाम के एक गांव में था जो कि पश्चिम बंगाल में है। जब यह 5 साल के हुए तो इनका प्रवेश पास के ही एक सामान्य से स्कूल में कर दिया गया।उसके बाद उन्होंने न्यू स्कूल और हिंदू स्कूल में एडमिशन लिया. इन्होंने अपनी एंट्रेंस एग्जाम मैट्रिकुलेशन सन 1909 में पास की जिसमें इनकी पाँचवीं रैंक आई।इसके बाद इन्होंने कोलकाता के एक प्रसिद्ध कॉलेज प्रेसिडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया, इस प्रकार उन्होंने अपनी शिक्षा पूर्ण की।अपनी पूरे विद्यार्थी जीवन में बोस ने हमेशा अच्छे अंक प्राप्त किए,एक बार उनके अध्यापक ने उन्हें गणित विषय मे 100 में से 110 नंबर दिए थे और कहा था कि “यह एक दिन बहुत बड़ा गणितज्ञ बनेगा”बोस ने क्वांटम फिजिक्स को एक नई दिशा दिया, पहले वैज्ञानिकों के द्वारा यह माना जाता रहा कि परमाणु ही सबसे छोटा कण होता है लेकिन जब इस बात की जानकारी लगी कि परमाणु के अंदर भी कई सूक्ष्म कण होते हैं जो कि वर्तमान में प्रतिपादित किसी भी नियम का पालन नहीं करते हैं, तब डॉ बोस ने एक नए नियम का प्रतिपादन किया जो “बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी सिद्धांत” के नाम से जाना जाता है।इस नियम के बाद वैज्ञानिकों ने सूक्ष्म कणों पर बहुत रिसर्च किया जिसके बाद यह निष्कर्ष निकाला कि परमाणु के अंदर पाए जाने वाले सूक्ष्म परमाणु कण प्रमुखता दो प्रकार के होते हैं जिनमें से एक का नामकरण डॉ बोस के नाम पर ‘बोसॉन’ रखा गया तथा दूसरे का एनरिको फर्मी के नाम पर ‘फर्मीऑन’ रखा गया।

आज भौतिकी में कण दो प्रकार के होते हैं एक बोसॉन और दूसरे फर्मियान,बोसॉन यानि फोटॉन, ग्लुऑन, गेज बोसॉन (फोटोन, प्रकाश की मूल इकाई) और फर्मियान यानि क्वार्क और लेप्टॉन एवं संयोजित कण प्रोटॉन, न्यूट्रॉन, इलेक्ट्रॉन ( चार्ज की मूल इकाई)यह वर्तमान भौतिकी का आधार हैं।जिस वैज्ञानिक की मेहनत का लोहा स्वयं आइंस्टीन ने माना हो, जिसके साथ स्वयं आइंस्टीन का नाम जुड़ा हो, जिसने सांख्यकी भौतिकी को नए सिरे से परिभाषित किया हो, जिसके नाम का आधार लेकर एक सूक्ष्म कण का नाम ‘बोसॉन’ रखा गया हो, उस व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार न मिलना अपने आप मे कई प्रश्न खड़े करता हैं.वर्तमान में अधिकांश वैज्ञानिकों का मत है की बोस- आइंस्टीन सांख्यकी सिद्धांत का जितना प्रभाव क्वांटम फिजिक्स में है उतना तो शायद "हिंग्स बोसॉन "का भी नहीं होगा।माँ भारती के यह वीर सपूत जिसने भारत की मेधा का पूरे विश्व मे लोहा मनवाया था अंततः 80वर्ष की अवस्था में4 फ़रवरी 1974 को पंचतत्वों में विलीन हो गये।उन्हें भारत के द्वितीय सर्वश्रेष्ट सम्मान ‘पद्मविभूषण‘से सम्मानित किया गया था।
बोस – आइंस्टीन सांख्यकी सिद्धांत,इनके नाम पर एक सूक्ष्म परमाणु कण का नाम “बोसॉन” रखा हैं।बोस-आइंस्टीन कंडनसेट फेज (बी ई  सी)अर्थात  पदार्थ की पांचवी अवस्था का नाम रखा गया था।  द्वारा:चिन्मय पाठक कक्षा 5वी केंद्रीय विद्यालय नंबर 2सतना मध्यप्रदेश।




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