देश के चहुंमुखी विकास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल पर जोर दिया राजनाथ ने

पब्लिक एशिया | विशेष संवाददाता
Updated: 15 Jul 2021 , 19:41:07 PM
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नयी दिल्ली  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के चहुमुखी विकास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा कि सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इसकी संभावनाओं का पता लगाया जाना चाहिए।

 सिंह ने आज रक्षा मंत्रालय के रक्षा विभाग, प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग और आईआईटी कानपुर के संयुक्त प्रयासों से बनाए गए कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित शिकायत विश्लेषण ऐप का वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें वैज्ञानिक जानकारी और टेक्नोलॉजी के उपयोग से, हम नागरिक केंद्रित सुधारों की ओर आगे बढ़ रहे हैं।” उन्होंने कहा कि जब कोई कर्मचारी शिकायत विभाग में अपनी शिकायत दर्ज कराता है तो उसकी उम्मीद एक शिकायत तक ही नहीं, बल्कि उसके लोकतांत्रिक अधिकारों और देश में काम कर रही शिकायत प्रणाली से जुड़ी होती है। शिकायत निवारण तंत्र की और से तुरंत की गई कार्रवाई इसमें बड़ी सकारात्मक भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि यदि शिकायत का समय पर निपटारा नहीं किया जाता है तो यह बहुत बड़ी समस्या बन जाती है और शिकायतकर्ता को कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं और कई बार उसके बाद भी उसकी शिकायत का समाधान नहीं हो पाता।

 सिंह ने कहा, “आज दुनिया तेजी से साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। हर क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग हो रहा है। रक्षा मंत्रालय इसमें कई स्तरों पर आगे रहा है। जन शिकायत के संदर्भ में हम आज यह ऐप शुरू कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पिछले कुछ समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में काफी काम किया है। उसने सैन्य उपयोग में आने वाले रोबोट, नेत्रा प्रणाली जैसे ऐप, एक्सरे से कोरोना की जांच करने वाले उपकरण विकसित किए हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें राष्ट्र के विकास के लिए सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल पर जोर देना चाहिए। इस बारे में अध्ययन कर संभावनाओं का पता लगाए जाने की जरूरत है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “देश के चहुमुखी विकास के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, कौशल , विनिर्माण और रिटेल जैसे क्षेत्रों में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संभावनाएं तलाशे जाने की जरूरत है इसके लिए तकनीकी अध्ययन कराया जाना चाहिए।”

इस मौके पर रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार आईआईटी कानपुर के निदेशक तथा कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।





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