जलसंरक्षण को लेकर एक ग्रुप नन्हाबालक पिछले 10साल से संघर्षरत है,जब भी वह नन्हाबालक
सार्थकसारथी गली-गली घूम कर लोगों को कहते हैं कि अपना बहता पानी बंद कर दो,तो कुछ महिलाएं उन पर अभद्र टिप्पणी करती हैं और कहती हैं कि तू क्या यहां का डीसी लग रहा है, इससे वह तनाव में भर गया, प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी जवाब नहीं आया तो और ज्यादा मन दुखी हुआ, उसने कहा कि वाकई में अब देश का राजनीतिक सिस्टम भी ऐसा हो चला है कि नन्हे बालकों की बात अब सुनी नहीं जाती ना ही उस पर अमल होता, वह कई जगह पर अपने माता पिता के साथ किराए के बने मकानों में रहा, और अक्सर कहता रहा कि जिंदगी एक किराए का घर है, और लोगों को पर्यावरण बचाने के साथ-साथ खुले में आग लगाने और बेहतर नल को बंद करने के लिए प्रेरित करता रहा, लेकिन किसी ने उनकी नहीं मानी और पिछले कई वर्ष से पानीपत का पानी जब चिकना बदबू युक्त और खराब हो चला तो सरकार ने नए नए ट्यूबवेल लगाने की योजना बनाई, उनमें भी गंदा पानी आने लगा तो बालको का मन और उदास हुआ नन्हेबालक ने प्रधानमंत्री राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बाद राज्य बाल कल्याण परिषद और डीसी को शिकायत करने का मन बनाया है,भाई तु डीसी होकर जल बचाने को आगे क्यों नहीं आ रहा है,क्यों लाखों लीटर पानी को बर्बाद करने के लिए लोगों को खुले सांड की तरह छोड़ रहा है,अब भारत के प्रधानमंत्री ने कहा है जल संरक्षणदेश सेवा का ही रूप है तो डीसी क्या, कमिश्नर क्या भारतसरकार हरियाणासरकार भी आगे आएगी।