नेताओं का पार्टी बदलना स्वार्थ की राजनीति करना है

लेखक हाफिज मोइनुद्दीन | पब्लिक एशिया
Updated: 19 Feb 2024 , 14:11:13 PM
  • Share With



लोकसभा चुनाव का समय बेहद ही करीब है इस समय देश का माहौल लगभग चुनाव में बदल चुका है चुनाव की सरगर्मियां जनता से लेकर और नेताओं तक दिखने लगी है हर एक नेता अपनी भविष्य की राजनीति कैसे मजबूत हो इसको लेकर अपना अपना जुगाड़ सेट करने में लग चुके है और खासकर इसलिए नेताओं ने पाला बदलना भी शुरू कर दिया है जो नेता इस समय  पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं 


उनके इस फैसले से साफ जाहिर होता है के वह सिर्फ अपने मफाद और अपने स्वार्थ के लिए ही राजनीति करते हैं इन नेताओं का मकसद संघर्ष करना और जमीन से जुड़कर जनता के लिए सेवा करने का नहीं होता है यह नेता उसे तरफ जाना पसंद करते हैं जिस तरफ सत्ता होती है बगैर  सत्ता के इन नेताओं का पार्टी में रहना बड़ा कठिन है बल्कि ऐसा है जैसा बगैर पानी के मछली का रहना सिद्धांत वचन वसूल विचारधारा से इनका कोइ लेना देना नहीं है जब जी चाहता है पार्टी को अलविदा कह देते हैं और जब मन चाहता है पार्टी में वापस आ जाते हैं यह सभी नेता अनुमान लगाते हैं के देश के अंदर किस पार्टी की हवा चल रही है और किस पार्टी की लहर है 


जिस  पार्टी की हवा और लहर होती है यह उसी तरफ चल पड़ते हैं जिस  तरह से 2014 के बाद से देश के अंदर मोदी की जबरदस्त लहर है इसलिए इन नेताओं ने भी इस लहर को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी की तरफ चलना शुरू कर दिया है इन सभी नेताओं को अच्छी तरह मालूम हो चुका है की फिलहाल देश के अंदर अगर किसी पार्टी की लहर है वह सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की ही है यह अनुमान इन सभी नेताओं को अच्छी तरह हो चुका है यही कारण है जो लगातार कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े नेता पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं क्योंकि अब उनको अहसास हो चला है के कांग्रेस पार्टी का अब देश के अंदर लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी का सत्ता में वापसी आना और मजबूत होना बड़ा कठिन है इसलिए इन नेताओं को कांग्रेस पार्टी के अंदर अपना कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है 


इस पार्टी में रहकर किसी भी सूरत में अब राजनीतिक मैदान में मजबूत होने की कोई संभावना ही नहीं है और नहीं कोई पद मिलने का चांस है इसीलिए लगातार कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का रुख कर रहे हैं और अपनी भविष्य की राजनीति को मजबूत कर रहे हैं लेकिन एक बात जग जाहिर होती है के जितने भी नेता कांग्रेस पार्टी को ऐसे मुश्किल समय में छोड़कर जा रहे हैं जिस  समय पार्टी को सबसे ज्यादा जरूरत है ऐसे मुश्किल समय में पार्टी को छोड़ना इन नेताओं का उससे स्पष्ट पता चलता है यह नेता सिर्फ अपने स्वार्थ और अपने फायदे की ही राजनीति करते है यह सभी मतलब परस्त और पद के पीछे हैं यह सभी नेता उसे तरफ जाते हैं जिस  तरफ इनको कुछ मिलता है और जब पार्टी  नाजुक और कमजोर स्थिति में पहुंचे जाती है जब यह दिखाई देने लगता है कि अब पार्टी का सत्ता में आना मुश्किल है यानी जब हवा पार्टी के विपरीत चलने लगी है तो यह नेता भी पार्टी छोड़ने में किसी भी तरह की देरी नहीं करते हैं फौरन कपड़ों की तरह पार्टी बदल देते हैं जब तक कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही तब तक यह सभी नेता सत्ता की मलाई चाटते रहे लेकिन अफसोस आज कांग्रेस पार्टी अपने सबसे नाजुक दूर से गुजर रही है और पूरे देश के अंदर कांग्रेस पार्टी की स्थिति बेहद ही खराब है लेकिन ऐसे समय में ऐसे नेताओं का साथ छोड़ना जो पिछले काफी लंबे समय से सत्ता की मलाई चाट रहे थे यह गांधी परिवार के लिए बेहद दुखद और बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है 2014 से लेकर और अब तक कांग्रेस पार्टी के तमाम दिग्गज नेता कही भी संघर्ष करते हुए नजर नहीं आये हैं संघर्ष के मैदान से यह सभी नेता पीछे थे सिर्फ कमरो में बैठकर ही राजनीति कर रहे थे ज़मीनी हकीकत से यह बहुत दूर थे उसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी ने इन सभी दिग्गज नेताओं को भरपूर सम्मान दिया लेकिन पार्टी का कठिन समय देखकर पुरी तरह से पार्टी से दूरी बनाते चले गए और पार्टी को अलविदा भी कहते चले गए


 इन नेताओं का ऐसे कठिन समय में गांधी परिवार का साथ छोड़ना गांधी परिवार के लिए यह एक बहुत बड़ा सबक है इन नेताओं का ऐसी दुख की घड़ी में साथ छोड़ने से इनके चेहरों से नकाब उत्तर रहे हैं और उनकी हकीकत भी जाहिर हो रही है के यह सभी दुख के साथी नहीं है बल्कि सुख के साथी है और इस बात में भी कोई शक नहीं है जिस  तरह से मुश्किल समय में कांग्रेस पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं भारतीय जनता पार्टी की तरफ हो सकता है भविष्य में जो समय कांग्रेस पार्टी का चल रहा है वह समय भाजपा का भी चल सकता है फिर इन सभी मतलबी नेताओं का यहां रहना भी बड़ा मुश्किल होगा यह नेता भारतीय जनता पार्टी को छोड़ने में किसी भी तरह का कोई देरी नहीं करेंगे इसलिए देश की जनता को लोकसभा के चुनाव में इन नेताओं को लेकर मंथन जरूर करना चाहिए जो अपने स्वार्थ और अपनी राजनीति चमकाने के लिए इधर से उधर पाला बदलते रहते हैं ऐसे नेताओं को जनता किसी भी सूरत में वोट ना दे क्योंकि इनकी ना कोई विचारधारा होती है 


और ना ही कोई वसूल और सिद्धांत होते हैं यह सिर्फ राजनीति में अपने आप को मजबूत करने के लिए ही करते हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी को भी इन नेताओं के ऊपर थोड़ा मंथन करना चाहिए के कल तक जिन नेताओं के ऊपर बड़े-बड़े घोटाले थे और उनके घोटालौ को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष किया है और जनता को खुलेआम बताया है कि यह सभी लोग बड़े भ्रष्टाचारी और घोटाले बाज है इनके घोटाले और भ्रष्टाचारों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने देश की जनता से वोट मांगा और सत्ता में आई लेकिन अफसोस आज भारतीय जनता पार्टी उन्हें सभी नेताओं को क्लीन चिट देकर अपनी पार्टी में शामिल करके तुरंत बड़े-बड़े पद दे रही है क्या यह देश की जनता के जनमत का अपमान नहीं है तो फिर क्या है देश की जनता को यह सवाल भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जरूर पूछना चाहिए के जिन नेताओं के ऊपर इतने बड़े-बड़े घोटाले थे जिन को लेकर आपने तरह-तरह की बयान बाजी की थी और कहा था 


किस देश के अंदर जितने भी भ्रष्टाचारी और घोटाले बाज नेता है वह किसी भी सूरत में छोड़े नहीं जाएंगे उनके सभी घोटालां की जांच करके   उनके ऊपर कारवाई की जाएगी यह बात और यह वादा प्रधानमंत्री ने देश की जनता के साथ किया था लेकिन वह भी आज अपने सारे वादे और अपनी सारी विचारधाराए भूल ऐसे नेताओं को पार्टी में शामिल कर रहे हैं जिनके मुद्दे को लेकर आप सत्ता में आए हैं अब सवाल यह खड़ा होता है भारतीय जनता पार्टी की सरकार से के जो नेता कल तक भ्रष्टाचार और घोटाले बाज थे आज वह पाक साफ और पवित्र कैसे हो गए हैं जिनको पार्टी में शामिल करके बड़े पदों से नवाजा जा रहा है क्या उन सभी घोटाले बाज नेताओं को माफ और पार्टी में शामिल करने के लिए ही देश की आम जनता ने वोट दिया था आपका वादा था कि में भ्रष्टाचार और घोटाले बाज नेताओं को जड़ से खत्म कर दूंगा लेकिन आपने भी इन नेताओं को सम्मान देकर आप भी अपने वादे से मुकर गए हैं, और देश के प्रधानमंत्री के सवाल यह भी है आपने महाराष्ट्र के अंदर भरी सभा को संबोधित करते हुए कहा था


 अजीत  पवार को लेकर जिनके  ऊपर सत्तार हजार  करोड़ का घोटाला है वह जेल की सलाखो के पीछे होंगे वही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने भी कहा था अजीत पवार को लेकर के वह  जेल के अंदर चक्की पीसेंगे लेकिन आपने उनको अपने साथ ले लिया और उपमुख्यमंत्री के पद से भी नवाज दिया है वही अभी हाल या में कांग्रेस पार्टी को छोड़कर शामिल हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री  अशोक चव्हाण जिनके ऊपर आदर्श घोटाले को लेकर  भारतीय जनता पार्टी लगातार आरोप लगती रही है उनको भी शामिल करके तुरंत राज्यसभा जैसी अहम  सेटी दे दी गई है वहीं कांग्रेस पार्टी को छोड़कर शामिल हुवे  नारायण नारे उनके ऊपर भी घोटाला का आरोप है फिलहाल वह भी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं अब सवाल पुरी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है कि कल तक इन सभी नेताओं के ऊपर घोटालो के आरोप लगाते रहे हैं अब यह सभी नेता आपकी पार्टी में शामिल होकर पवित्र कैसे हो गए इसको लेकर भी भारतीय जनता पार्टी को मंथन और विचार करना चाहिए की कल तक जो गुनहगार थे अब वह बेगुनाह कैसे हो गए हैं क्या यही सिद्धांत और विचारधारा है भारतीय जनता पार्टी की


          




रिलेटेड न्यूज़

टेक ज्ञान