नोएडा स्ट्रीट वेंडर को व्यवस्थित करने का कार्य जिला प्रशासन और पुलिस को सौपे सरकार : राईज

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाता
Updated: 25 Oct 2020 , 17:30:35 PM
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भारत के इतिहास मे पहली बार किसी सरकार ने फुट पाथ पर दुकान करने वाले वेंडर को अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग माना है। जिसकों लेकर वेंडर एसोसिएशन और रेहड़ी पटरी संचालकों मे खुशी की लहर है। 2014 मे केन्द्र सरकार के द्वारा पालिसी तो बना दी गयी थी लेकिन इस पर अम्ल आज भी नही किये जा रहे है। वेंडरों को उम्मीद है कि केन्द्र सरकार के घोषणा के बाद उनके भी अच्छे दिन आने वाले है। जमीन पर कितना सुधार होता है यह तो भविष्य ही बतायेगा लेकिन फिलहाल आश्वासन भी एक संजीवनी की काम कर रही है। कल तक जो नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी और अफसर के प्रताड़ना से आत्महत्या की बात कहते नजर आ रहे थे उनमे थोड़ा सा उम्मीद जरूर जगे है।

  
जिलाधिकारी पुलिस की सामुहिक जिम्मेदारी मे हो वेंडर को व्यवस्थिकरण: श्याम किशोर गुप्ता 

नोएडा मे वेंडर के साथ लगातार हो रहे उत्पीड़न को देखते हुए राईज और रेहड़ी पटरी संचालक एसोसिएशन के द्वारा वेंडर को व्यवस्थित करने को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर वेंडरों को परेशान न करने की आदेश पर आभार व्यक्त करते हुए नोएडा मे वेंडर व्यवस्थित करने की कार्य को जिलाधिकारी और पुलिस के कार्यक्षेत्र में देने की मांग की है। महासचिव श्री श्याम किशोर गुप्ता का कहना है कि जब तक प्राधिकरण के पास यह अधिकार रहेंगे वेंडर उत्पीड़न से मुक्त नही हो सकते है। इसलिए जिलाधिकारी और पुलिस के देखरेख मे वेंडर को व्यवस्थित किये जाये।

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्ट्राचार के अभ्यस्त हो चुके है

शहर के वरिष्ठ नागरिक व अधिवक्ता श्री अनिल के गर्ग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वेंडर को व्यवस्थित करना जिला प्रशासन और पुलिस के कार्य क्षेत्र मे होना चाहिए। पहली बार इन गरीब मेहनती लोगों को भारत के सरकार ने अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग माना है इसके लिए सरकार का बहुत बहुत आभार। लेकिन जैसा कि नोएडा मे आये दिन समाचार पत्रों के माध्यम से देखने को मिलता है कि इस अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग के साथ प्राधिकरण के कर्मचारी और आफिसर किस प्रकार से इनका उत्पीड़न करते है। इसलिए मै प्रदेश के मुख्यमंत्री और शहरी आवास मंत्रालय श्री हरदीप पूरी से मांग करता हूँ कि नोएडा मे वेंडर व्यवस्थित करने की कार्य को जिला प्रशासन के अधिकार क्षेत्र मे रखी जानी चाहिए।
आदरणीय महोदय, अभिवादन, भारत के इतिहास में पहली बार, स्ट्रीट विक्रेताओं को सड़क विक्रेताओं (संरक्षण) की शुरुआत के बाद आधिकारिक तौर पर शहरी अर्थव्यवस्था में योगदानकर्ता के रूप में मान्यता दी गई थी जो कि आजीविका और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन) अधिनियम 2014। 1. शहरी भारत में स्ट्रीट वेंडिंग एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है। शहरी गरीब का यह सबसे बड़ा अनौपचारिक क्षेत्र है जो की आजीविका को पूरा करता है । देश में आर्थिक सुधार के युग के बाद से, इस क्षेत्र ने कई चुनौतियों का सामना किया है।


नोएडा एक स्मार्ट सिटी है और यहाँ पर शहर को साफ रखने के लिए करोड़ो खर्चे किये जा रहे है। लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी वेंडर पाॅलिसी को लेकर कोई खास कार्य नही किये है जिसका नतीजा है कि वेंडर आज भी यहाँ से वहाँ मारा-मारा फिरता है जो शरीफ है। जबकि अधिनियम 2014 के अंतर्गत इनकों जल्द से जल्द व्यवस्थित किये जाने चाहिए थी लेकिन ऐसा नही किया गया। 
प्राधिकरण पर लगातार आरोप लगते रहे है कि उसके कर्मचारी और अफसर वेंडिंग माफिया से सांठगांठ करके गरीब और मजबूर वेंडर को परेशान करते है। इसमे बड़े स्तर पर राजनीतिक दबाब भी है जो कार्य कर रहा है। जिसके कारण वास्तविक वेंडर को उनके अधिकार से वंचित किया जाना एक आम बात बन चुका है। प्राधिकरण के अफसर मिलकर लगातार वेंडर पालिसी 2014 का अवहेलना तो कर रहे है निहित स्वार्थ के लिए माफियाओ का समर्थन कर रहे है। जो कि किसी भी समाज के लिए शर्मनाक है।  

हम उम्मीद करते हैं और अनुरोध करते हैं कि इस मामले में हस्तक्षेप करें जो कि राज्य सरकार की देखरेख में एक केंद्रीय सरकार की नीति और स्व रोजगार प्रक्रिया है। इसलिए, निष्पक्ष कार्यान्वयन मुख्य प्राथमिकता है। इस मामले में, हमारा सुझाव यह है कि उक्त वेंडर्स पॉलिसी 2014 को बिना किसी भ्रष्टाचार और अनियमितता के लागू करने के लिए सक्रिय पहल और कार्रवाई करने की आवश्यकता है, क्योंकि प्राधिकरण के अधिकारी / कर्मचारी और संबंधित अधिकारी भी जनहित के लिए कोई काम नहीं कर रहे हैं । इसलिए अधिकांश सुझाव यह है कि स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी के इस कार्यान्वयन को जिला प्रशासन दिया जाना चाहिए। सबसे भ्रष्ट प्राधिकरण नोएडा से प्राधिकरण के भ्रष्ट अघिकारी और नौकरशाह को स्थानांतरित किया जाना चाहिए। यहाँ लगभग पिछले 20 साल से जड़ जमाए अधिकारी और कर्मचारी में से अधिकांश अधिकारी / कर्मचारी भ्रष्टाचार के अभ्यस्त हो चुके है।
बता दे कि नोएडा प्राधिकरण के आफिसर और जेई से परेशान एक वेंडर जो कि नोएडा सेक्टर 126 में अपना दुकान लगाकार परिवार का भरण पोषण करता है। उसका विडियों सोशल मिडिया पर वायरल हुआ था जिसमे परेशान होकर परिवार सहित आत्महत्या करने की बात कहा था। हालाॅकि लखनऊ मे उस घटना को भी नही भूले जा सकते है जहाँ पर एक 22 वर्षीय वेंडर ने आत्महत्या कर ली थी। इसलिए सरकार को चाहिए की जमीनी स्तर पर कारवाई हो ऐसा सुनिश्चित करे और अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग को सुरक्षित करे।  




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