नौसेना दिवस:भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत

डॉ0 लक्ष्मी ‘ांकर यादव | पब्लिक एशिया
Updated: 03 Dec 2021 , 17:29:52 PM
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 वर्तमान समय में चीन ने केवल थलीय सीमा पर ही रक्षा चुनौतियां नहीं उत्पन्न कर रखी हैं बल्कि वह भारत की सामुद्रिक घेराबन्दी करने में भी लगा हुआ है। चीन की रक्षा तैयारियों को देखते हुए भारतीय नौसेना को अत्यन्त आक्रामक बनाया जा रहा है। हिन्द महासागर ़क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए नौसेना का मुख्य फोकस रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण जलमार्गों की निगरानी बढ़ाने पर हो गया है। हिन्द महासागर ़क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना ने अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ाने की योजना तैयार कर ली है जिसके तहत नौसेना आने वाले दिनों में मानवरहित एरियल ड्रोन और अंडरवाटर सर्विलांस प्लेटफॉम्र्स की संख्या में बढ़ोत्तरी करेगी।                                                                                                                                                                                                                                                                नौसेना की मारक क्षमता में बढ़ोत्तरी करने के लिए विध्वंसक युद्धपोत विशाखापट्टनम उसे प्राप्त हो गया है। यह पोत ‘ात्रु की पनडुब्बियों, युद्धपोतों, एंटी सबमरीन मिसाइलों और युद्धक विमानों का मुकाबला करने में क्षमता रखता है। इस विध्वंसक युद्धपोत के सुपरसोनिक ब्रहमोस एवं बराक मिसाइलों से लैस होने के कारण भारतीय नौसेना की सामरिक व रणनीतिक क्षमता में काफी बढ़ोत्तरी हो गई है। यह सबसे लम्बा विध्वंसक युद्धपोत है जो गहरे समुद्र में दुश्मन का सम्पूर्ण सफाया करने में सक्षम है। 

   राष्ट्रीय सुरक्षा के मददेनजर भारतीय नौसेना को अत्यन्त घातक श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस बेला 25 नवम्बर को प्राप्त हो गई है। इससे पहले इसी तरह की पनडुब्बियां आईएनएस कलवारी, आईएनएस खंडेरी व आईएनएस करंज नौसेना को मिल चुकी हैं। आईएनएस बेला समुद्र के नीचे 37 किलोमीटर यानि कि 20 नॉटिकल मील समुद्री दूरी तक चल सकती है। यह एक चक्कर में 1020 किलोमीटर अर्थात 550 नॉटिकल मील की यात्रा करती है। ‘ात्रु के जहाजों पर हमला करने के लिए इस पर 18 तारपीडो व अनेक प्रकार की मिसाइलें तैनात की गई हैं। 

     पनडुब्बी रोधी प्रणाली से लैस आईएनएस युद्धपोत कवरत्ती को पिछले वर्ष नौसेना में ‘ाामिल किया गया था। आईएनएस कवरत्ती को दुश्मन देशों में पनडुब्बियों का काल माना जाता है। यह युद्धपोत ‘ात्रु देशों के राडार की पकड़ में नहीं आता है। स्वदेशी रुप से विकसित यह पोत अत्याधुनिक हथियारों, सेंसर और सुइट से सुसज्जित किया गया है। यह ‘ात्रु की पनडुब्बी सूंघ लेता है और उसका पीछा करते हुए उसे नष्ट करता है। इस युद्धपोत के अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सूट दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और उचित कार्रवाई करने में सक्षम हैं। भारतीय नौसेना के पास इस समय जंगी जहाज आईएनएस कोरा, आईएनएस किर्च, आईएनएस कुलिश एवं आईएनएस करमुक भी हैं जो इसी तरह के हमले करने की ताकत रखते हैं। अभी कुछ दिन पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रान्त का सफल परीक्षण किया गया था। अगले वर्ष इसे भी नौसेना में ‘ाामिल कर लिया जाएगा। तब नौसेना की मारक क्षमता और बढ़ जाएगी। भारतीय नौसेना द्वारा दिए गए 41 जलपोतों के निर्माण के आर्डर में से 38 पोत भारत में ही बन रहें हैं। 

      भारतीय नौसेना इस समय विश्व की पांचवीं ताकतवर नौसेना है और देश की रक्षा के लिए दिन-रात मुस्तैद रहती है। सम्प्रति हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान के मौजूदा प्रत्यक्ष खतरों को देखते हुए भारतीय नौसेना की अमेरिका, आस्ट्रेलिया एवं जापान के साथ चतुष्कोणीय भागीदारी बनने पर हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र में वह असरदार भूमिका निभा सकेगी।





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