न्यायाधीश की निगरानी में लखीमपुर खीरी हत्या मामले की जांच के प्रस्ताव पर उप्र सरकार सहमत

संवाद सहयोगी, | पब्लिक एशिया
Updated: 15 Nov 2021 , 21:13:01 PM
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नयी दिल्ली।उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड की विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच की निगरानी के लिए उसके द्वारा प्रस्तावित अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों के नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार राजी हो गई है और अब न्यायालय आज या कल संभावित न्यायाधीशों से संपर्क करने के बाद एक न्यायाधीश को जांच निगरानी की जिम्मेदारी सौंप देगी।

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन ने तीन अक्टूबर को चार किसानों समेत आठ अन्य लोगों की मृत्यु के मामले की निष्पक्ष जांच के लिए दायर जनहित याचिका की आज की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की सहमति व्यक्त किए जाने के बाद कहा, “ अब हम उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश को जांच की निगरानी के लिए नियुक्त करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।”

उन्होंने कहा, “ हमें न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन या अन्य अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों से संपर्क संपर्क करना है। जो न्यायाधीश सहमत होंगे उनकी नियुक्ति कर दी जाएगी।”

पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान आठ नवंबर को पंजाब एवं हरियाणा के अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन और न्यायमूर्ति रंजीत सिंह के नामों का प्रस्ताव एसआईटी जांच निगरानी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के समक्ष रखा था। तब सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि वह अगली सुनवाई यानी 15 नवंबर को राज्य सरकार का पक्ष रखेंगे।

आज की सुनवाई के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य या इस राज्य के बाहर के किसी न्यायाधीश की निगरानी में जांच कराने में कोई आपत्ति नहीं है। पीठ अपनी मर्जी से जांच की निगरानी के लिए न्यायाधीश का नाम तय कर सकती है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि लखीमपुर खीरी के इस मामले में जिन पीड़ितों के परिजनों को अब तक मुआवजा नहीं दिये गये हैं, उनके बारे में सरकार आवश्यक कदम उठाए।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति सूर्य कांत और हिमा कोहली की पीठ ने आठ नवंबर को पिछली सुनवाई में राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की जांच पर कई सवाल खड़े किए थे। पीठ ने यहां तक कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि एक व्यक्ति विशेष (केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा) को बचाने के लिए अलग-अलग की गई प्राथमिकी के सबूतों में घाल-मेल किया जा रहा है। पीठ ने एसआईटी दल में शामिल अधिकारियों पर भी सवाल खरीद किए थे । इस संदर्भ में आज आज की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि जांच दल स्तर बढ़ाते हुए में वरिष्ठ अधिकारियों को भी शामिल किया जाए।

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने लखीमपुर खीरी की सड़कों पर 3 अक्टूबर को प्रदर्शन किया था। किसान श्री मिश्रा के पैतृक गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में आने वाले उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या के आगमन का विरोध कर रहे थे। इसी दौरान एक कार से कुचलकर चार किसानों की दुखद मृत्यु हो गई थी। किसानों का आरोप है कि जिस कार से चार लोगों को कुचला गया, उस पर आशीष सवार था और जानबूझकर किसानों को कुचला गया था। आशीष ने हालांकि इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था। किसानों के कुचले जाने के बाद बाद भड़की हिंसा में भारतीय जनता पार्टी के दो कार्यकर्ताओं, एक स्थानीय पत्रकार समेत चार अन्य लोगों की भी मृत्यु हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में आशीष मिश्र और उनके कई मित्र शामिल हैं। आशीष को मुख्य आरोपी बताया जा रहा है।

उच्चतम न्यायालय ने घटना के बाद इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था, जिसे दो वकीलों के पत्रों के आधार पर पहली सुनवाई के दिन ही जनहित याचिका में तब्दील कर दिया गया था। वकीलों की ओर से इस मामले की न्यायिक जांच और सीबीआई जांच की मांग की गई है।

गौरतलब है कि कई किसान संगठन केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ करीब एक साल से लगातार देशव्यापी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। करीब 40 से अधिक किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले राजधानी दिल्ली की सीमाओं के अलावा देश के अन्य हिस्सों में लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं ।

किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों- कृषक उपज व्यापार (वाणिज्य संवर्धन और सरलीकरण) कानून-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून-2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020 का विरोध कर रहे हैं। किसानों के विरोध के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने जनवरी में इन कानूनों के लागू किए जाने पर रोक लगा दी थी।





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