अर्थी बाबा राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा प्रत्याशी उपचुनाव देवरिया सदर ने प्रधानमंत्री जी को पोर्टल पर ज्ञापन भेज कर कहा कि देवरिया जनपद के सभी पशु चिकित्सालय बेदहाल है। जबकि किसानों का मुख्य रोजगार पशुपालन ही है जिससे उनकी रोजी रोटी चलती है ।और पशु अस्पताल की बदहाली का आलम यह है पशुओं की दवा भी नदारद है।
पशु पालकों को दवाई प्राइवेट से खरीदना पड़ता है, विभाग के जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शासन के गलती के नाम पर अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं और परेशानी तो पशुओं व पशु पालकों को होती है। मानक अनुसार कर्मचारी व पशु डॉक्टर नही है। कोई भी मोबाइल एक्सरे मशीन नही है जिससे पशु जिस स्थान पर ह वही उसका उपचार हो सके।
पशुपालको सब्सिडी पर पूरा चारा बीज भी नही मिलता है। पशु के नाम पर पशु विभाग में भ्रष्टाचार व लापरवाही भरी हुई है। इसपे न तो कोई नेता बोलता है न तो कोई मंत्री बोलता है न ही कोई अधिकारी इसपे ध्यान देता है। पशुओं के गोबर व पेशाब खरीदने का कोई प्रावधान नही है जबकि चुनाव के प्रचार में कहा जाता है पशुओं के गोबर व पेशाब को सरकार खरीद कर पशुपालको की आमदनी बढ़ाएगी सरकार लेकिन सब भाषण में ही रह गया।
अर्थी बाबा ने कहा कि गौरतलब है कि देवरिया जनपद के नगर सहित क्षेत्र 116 गांवों के पशुओं के उपचार प्रमुख केंद्र है। जहां पशुओं के सही इलाज के लिए संसाधन का टोटा बना हुआ है। सिर्फ कागज में यहां पर जानवरों का उपचार का रस्म अदायगी की जाती है। संक्रामक बीमारी होने के बाद पशुपालक पशु को लेकर इलाज के लिए यहां आते हैं।
साधारण दवा देकर चिकित्सक उन्हें अन्य दवा लेने के बाहर का रास्ता दिखाते हैं। कहने को तो विभाग के जिम्मेदार इलाज के नाम बेहतर उपचार करने की बात कह अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। रहा सवाल टीकाकरण का वह तो वर्षों से कागजी खेल में होता है। अस्पताल पर कोई भी जाय तो की वह पशु अस्पताल तो खुला मिलेगा लेकिन मौके पर सन्नाटा रहता है, वहीं एक भी मरीज पशु नहीं दिखाई देते हैं।
विभाग के स्टाफ के लोग कमरे में बैठक कर आपस में बातचीत करने में व्यस्त रहते हैं। उनसे जब पशु के बीमारी के बारे पूछा गया तो वे तपाक से जबाब दिए कि इस पशुओं में संक्रामक रोग फैलने की सूचना नहीं मिल रही। जनपद के सभी पशु अस्पताल पर पशुओं के टीकाकरण के लिए दवा नहीं रहता है जो संसाधन शासन से मुहैया होता है, उसके अनुरूप पशुओं का उपचार किया जाता है। पशुओं का इन्सुरेंस नही किया जाता है न ही उसका प्रचार प्रसार किया जाता है ।
पशुओं की मौत हो जाने पर उनको दफनाने के लिए कोई सरकारी स्थान (श्मशान) नही बना हुआ है जिससे खुले में छोड़ने व नदियों में बहाने को मजबूर हैं पशुपालक। जिससे प्रदूषण व हवाई जहाज़ का दुर्घटना होने का खतरा रहता है। अर्थी बाबा ने कहा कि यदि उक्त पशुपालको की समस्याओं को तत्काल दूर कर मांग पूरी नही हुई तो देवरिया के सभी पशु अस्पतालो पर धरना देने को मजबूर होंगे।
पब्लिक एशिया ब्यूरो : पब्लिक एशिया, विशेष संवाददाता
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