पीएम का सुझाव सराहनीय

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी | पब्लिक एशिया
Updated: 25 Oct 2021 , 16:30:59 PM
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भारत ने आज लगभग 103 करोड़ टीकाकरण का आंकड़ा पार कर लिया है इसी सामर्थ्य का ज़ज़बा और संकल्पों की सिद्धि के लिए परिश्रम ज़ज़बे और जांबाज़ी की पराकाष्ठा को देखते हुए सारा विश्व हैरान, अचंभित है कि विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्त्रिक, धर्मनिरपेक्ष देश जिसमें अनेकता में एकता, लाखों जातियां, प्रजातियां, अनेक धर्म के लोग बड़ी खूबसूरती से एक साथ, प्यार मोहब्बत से रहते हैं, उस देश ने एक अनूठा कार्य कर दिखाया!!! इतनी जल्दी रणनीतिक रोडमैप बनाकर 103 करोड़ से अधिक कोरोना डोज़ लगाकर भयंकर कोरोना महामारी को पच्छाड़ने में पूरी ताकत झोंक दी है और समानांतर रूप से अपनी अर्थव्यवस्था को भी गति, उसके विकास के अन्य क्षेत्रों प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, जलवायुज इक्विटी और लैंगिक अवसरों का खूबसूरती पूर्वक तालमेल से विकास की भारी गति को चालू रखे हुए हैं!!!

साथियों आज सारे विश्व की निगाहें भारत के इस अभूतपूर्व कौशल का पर टिकी है याने अमेरिका जैसे बड़े प्रभावशाली, पावरफुल देश की कंपनी यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन (डीएफसी) के प्रमुख ने भी कहा भारत टीके का पावर हाउस है!!! साथियों बात अगर हम अमेरिकी डीएफसी की करें तो उनके प्रमुख के नेतृत्व में उच्चअधिकार प्राप्त प्रतिनिधिमंडल की करें तो वे 24 से 26 अक्टूबर 2021 तक भारत की यात्रा पर हैं और उन्होंने कहा कि भारत डीएफसी को 2.3 अरब डालर से अधिक धनराशि के निवेश के लिए सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा साझेदार है। साथियों बात अगर हम डीएफसी प्रमुख के भारत यात्रा करने के पहले दिए बयान की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार, डीएफसी के प्रमुख ने भारत की अपनी यात्रा से पहले कहा कि भारत वैक्सीन का पावरहाउस है और वैक्सीन के निर्माण में देश के साथ अमेरिका के काम करने से लोगों की जिंदगियां बच रही हैं। डीएफसी अमेरिका का विकास बैंक है जो दुनियाभर में विकासशील देशों में निवेश करता है।

उन्होंने कहा कि भारत वैक्सीन का पावरहाउस है। भारत बड़ी संख्या में वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है। महामारी से निपटने के लिए निश्चित तौर पर भारत एक अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत का एक अरब वैक्सीनेशन का लक्ष्य तय करना असाधारण है। उन्होंने कहा कि डीएफसी का ध्यान खासतौर पर चार क्षेत्रों- जलवायु, स्वास्थ्य, इक्विटी और लैंगिक अवसरों तथा टेक्नोलॉजी पर है। जाहिर तौर पर ये भारत की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए चार अहम क्षेत्र हैं। साथियों बात अगर हम डीएफसी के भारत आने की करें तो, कोविड-19 के टीके के विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के क्वाड के प्रयासों के तहत अमेरिका के डीएफसी के प्रमुख भारत यात्रा पर हैं। डीएफसी एक सरकारी विकास वित्त संस्थान है, जो निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में विकास परियोजनाओं में निवेश करता है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि हैदराबाद में यह प्रतिनिधिमंडल भारतीय टीका विनिर्माता बायोलॉजिकल-ई के कार्यालय भी जाएगा। साथियों इधर बात अगर हम पीएम के घरेलू टीका निर्माताओं के साथ बातचीत की करें तो दिनांक 23 अक्टूबर 2021 की पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार पीएम ने टीका निर्माताओं के प्रयासों की प्रशंसा की, जिसके परिणाम स्वरूप देश ने 100 करोड़ टीकाकरण का मील का पत्थर पार कर लिया है और कहा कि उन्होंने भारत की सफलता की कहानी में एक बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने महामारी के दौरान उनकी कड़ी मेहनत और उनके द्वारा दिए गए भरोसे की सराहना की। पीएम ने कहा कि देश को पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान सीखी गई सबसे अच्छी चीजों को संस्थागत बनाने की जरूरत है और कहा कि यह वैश्विक मानकों के अनुरूप हमारी चीजों को बेहतर करने का एक अवसर है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण अभियान की सफलता को देखते हुए पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने हेतु तैयार रहने के लिए टीका निर्माताओं कोलगातार मिलकर काम करना चाहिए। घरेलू टीका निर्माताओं ने टीकों के विकास की दिशा में निरंतर मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने में पीएम की दूरदर्शिता और गतिशील नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने सरकार और उद्योग के बीच अभूतपूर्व सहयोग भावना व समन्वय की भी प्रशंसा की, जो पहले कभी नहीं देखे गए थे।

टीके का उत्पादन करनेवाली कंपनियों ने इस पूरे प्रयास में सरकार द्वारा किए गए नियामकीय सुधारों, सरलीकृत प्रक्रियाओं, समय पर मंजूरी देने के साथ ही सरकार के दृष्टिकोण और सहायक प्रकृति की सराहना की। उन्होंने कहा किया कि अगर देश पुराने मानदंडों का पालन कर रहा होता, तो काफी देरी हो जाती और हम अब तक टीकाकरण के इस स्तर तक नहीं पहुंच पाते। साथियों बात अगर हम स्वास्थ्य क्षेत्र में और एक बड़े कदम की करें तो दिनांक 25 अक्टूबर 2021 को पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना (पीएमएएसबीवाई) के शुभारंभ की करें तो, पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार, यह पीएमएएसबीवाई पूरे भारत की स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना को मज़बूत करने संबंधी देश की सबसे बड़ी योजनाओं में एक होगी। यह योजना,राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त होगी।

पीएमएएसबीवाई का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में विशेषकर गहन चिकित्सा (क्रिटिकल केयर) सुविधाओं तथा प्राथमिक देखभाल संबंधी सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना में मौजूद कमियों को दूर करना है। यह योजना विशेष रूप से चिन्हित 10 राज्यों के 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को समर्थन प्रदान करेगी। इसके अलावा, सभी राज्यों में 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए जाएंगे। 5 लाखसे अधिक आबादी वाले देश के सभी जिलों में एक्सक्लूसिव क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक के माध्यम से गहन चिकित्सा (क्रिटिकल केयर) सेवाएँ उपलब्ध होंगी, जबकि शेष जिलों को रेफरल सेवाओं के माध्यम से कवर किया जाएगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत टीके का पावरहाउस है। प्रौद्योगिक, स्वास्थ्य, जलवायु, इक्विटी और लैंगिक अवसर भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के चार अहम क्षेत्र हैं। देश को पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान सीखी गई सबसे अच्छी चीजों को संस्थागत बनाने की ज़रूरत का पीएम का सुझाव सराहनीय है।






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