पुलिस की काली करतूत और घिनौने सच की जांच कर रही सीबीआई

श्याम बहादुर यादव | पब्लिक एशिया
Updated: 23 Sep 2021 , 21:43:39 PM
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जौनपुर। जनपद में हौसला बुलंद दबंग ,बदमाश और पेशेवर अपराधी,तस्कर ,भूमाफिया  खुलेआम अपराध का परचम लहरा रहे हैं । चोरी ,लूट, छिनैती तथा डकैती का शिकार हो चुके लोग तहरीर के लिए चौकी,थानों तक थक हार कर न्यायालय की चौखट का चक्कर लगा रहे हैं वहीं  कानून की निगाह में धूल झोकते हुए पुलिसकर्मी न सिर्फ किसी भी बेबस, लाचार, शरीफ, इज्जतदार, व्यापारी, व्यवसायी अथवा वकील , पत्रकार को फर्जी आरोपी बनाकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं बल्कि आला अधिकारियों के रहमो करमपर पुलिसकर्मी किसी भी व्यक्ति के घर, मकान अथवा प्रतिष्ठान में अपराधियों की तरह लालफीताशाही की आड़ में खुलेआम दिनदहाड़े जुर्म ढाते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय और मानवाधिकार आयोग की धज्जियां उड़ाकर अपराध की पराकाष्ठा को बेखौफ होकर लांघते नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में 11  फरवरी 2021  को बख्शा थाना अंतर्गत कृष्णा यादव उर्फ पुजारी को पुलिस द्वारा जबरन जुर्म कबूलनामा से इनकार करना भारी पड़ा। जिस कारण उसे अपनी जान गवानी पड़ी।  तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को कृष्णा यादव की मौत का कारण पेट का दर्द बताया। जबकि परिजनों ने कृष्णा की मौत का कारण पुलिस बर्बरता और उद्दंडता तथा उत्पीड़न बताया। शरीर पर पुलिस की काली करतूत का घिनौना सच तथा शरीर पर अनगिनत घाव के निशान मौत का शिकार हो चुके मृतक के शरीर पर अलग ही राग अलापते नजर आ रहे थे। मौत का विरोध स्वरूप चक्का जाम कर रहे 350 ग्रामीणों के खिलाफ लाइन बाजार थाना अध्यक्ष की तहरीर पर बक्सा थाने में मुकदमा दर्ज करके पुलिस द्वारा आपसी भाईचारे की नजीर पेश की गयी। इतना ही नहीं कृष्णा के हत्यारे आरोपी पुलिसकर्मी उच्च अधिकारियों के शरण में पनाह लेते नजर आए कुल मिलाकर मामला उच्च न्यायालय के आदेशानुसार सीबीआई के जांच दायरे तक जा पहुंचा जिस कारण अब परिजनों को कृष्णा यादव की मौत के असल गुनाहगार और जिम्मेदार तथा मददगार के प्रति न्याय की आस प्रखर होती नजर आती है।

माधवेन्द्र प्रताप सिंह




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