पेट्रोल डीजल से कम कीमत में चलेंगे भविष्य के वाहन

नरविजय यादव पत्रकार, ब्लॉगर,स्तम्भकार | पब्लिक एशिया
Updated: 08 Nov 2021 , 14:58:29 PM
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इसमें कोई दो राय नहीं कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इस समस्या का तोड़ है बिजली से चलने वाले वाहन। इनमें दोपहिया और चौपहिया दोनों तरह के वाहन शामिल हैं। कारों की बात करें तो बिजली से चलने वाली कारों के मामले में टाटा मोटर्स भारत में सबसे अव्वल है। कंपनी अपनी इस पोजीशन को बरकरार रखने के लिए अगले पांच वर्षों में करीब दस नये इलेक्ट्रिक वाहन लाने की योजना बना चुकी है। अर्थात हर साल औसतन एक-दो नये मॉडल बाजार में आते रहेंगे। इसके लिए कंपनी को टीपीजी और एडीक्यू से एक अरब डॉलर का निवेश मिल चुका है। टाटा मोटर्स को विश्वास है कि जितने ज्यादा नये मॉडल बाजार में आयेंगे, उतना ही इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में वृद्धि होगी।

 

इस बीच जानकारी मिली है कि एपल के लिए आईफोन बनाने वाली फॉक्सकॉन कंपनी अब बिजली चालित कारों के निर्माण में भी उतरेगी। शुरुआत भारत, यूरोप और लैटिन अमेरिका में इलेक्ट्रिक कारों के उत्पादन से होगी। फॉक्सकॉन ताइवान की कंपनी है। इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन पहले यूरोपीय कारखाने से होगा। इसके बाद भारत में इस तरह की कारें बनेंगी। कंपनी इलेक्ट्रिक कारों के तीन नमूने पहले ही तैयार कर चुकी है। उधर, हरियाणा सरकार ने राज्य सरकार के कर्मचारियों को पहला इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर विशेष छूट प्रदान करने की घोषणा की है। हरियाणा के एक वित्त संगठन लोनटैप ने ई-वाहन खरीदने के लिए बाकायदा एक डिजिटल लोन प्लेटफार्म शुरू किया है, ताकि लोगों को बिजली से चलने वाले दोपहिया वाहन खरीदने में सहूलियत रहे।

 

उड़ने उड़ाने के दिन आ गये


 खुशी की बात है कि पर्यटन उद्योग पटरी पर लौटने लगा है। आने वाले दिन और भी अच्छे रहने वाले हैं, जब विदेशी नागरिकों को सामान्य उड़ानों से भारत आने की इजाजत मिल जायेगी। शायद एक-दो हफ्ते में ही। फिलहाल विदेशियों को सिर्फ चार्टर्ड विमानों से ही भारत आने की अनुमति है। अनुमान है कि नया वर्ष पर्यटन और आतिथ्य उद्योग के लिए बेहतर रहने वाला है। कहते हैं कि पर्यटन उद्योग की तरक्की का मतलब है अन्य कई सारे उद्योगों की तरक्की और स्थानों, राज्यों व देश का हर तरह से विकास। एक ताजा सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 57 प्रतिशत विमान यात्रियों को लगता है कि अगले कुछ माह में वे व्यापार के सिलसिले में विमान यात्रा कर सकते हैं। अन्य देशवासियों की बात करें, तो ऐसे आशावादी विमान यात्रियों का वैश्विक आंकड़ा पचास प्रतिशत है। मौजमस्ती के लिए विमान यात्रा करने की इच्छा रखने वाले तो पहले ही घरों से निकल पड़े हैं। यह सर्वे एमेडियस नामक एक ट्रेवल टैक्नोलॉजी कंपनी ने पिछले दिनों फ्रांस, जर्मनी, रूस, सिंगापुर, स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात, यूके, अमेरिका और भारत में करवाया था। इसमें ऐसे नौ हजार व्यक्तियों की राय ली गयी जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में कम से कम एक विदेश यात्रा की थी।

 

पॉइंट यह है कि साल में दो-चार बार कहीं घूमने जरूर जाना चाहिए, चाहे पर्यटन के लिए या कामकाज की खातिर। घूमने-फिरने से माइंड फ्रेश रहता है और व्यक्ति अपने आसपास के वातावरण और प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनता है।

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