प्रभु अवलंबन

संवाद सहयोगी | पब्लिक एशिया
Updated: 22 Nov 2021 , 14:33:39 PM
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"प्रभु अवलंबन"

है सम्बल मुझे तेरा,

तुझ पर अवलंबित जीवन मेरा।

इस विश्व के मकड़जाल में,

भौतिकता की सुरताल में,

भटका गया लक्ष्य से,

विषयों ने मुझको घेरा।।

तेरी ही आभा से सृष्टि झूम रही,

वसुधा भी तेरी शक्ति से घूम रही।

हर मानस के अंतस में है तेरा बसेरा।

तुझ पर अवलंबित जीवन मेरा।।

तेरी ही सत्ता का जलवा,

है सर्वत्र बिखर रहा,

नील गगन के विशाल आंगन में,

शशि दिनकर का जोड़ा थिरक रहा।

तुझसे है निशा, है तुझसे ही सवेरा।

है सम्बल मुझे तेरा,

तुझ पर अवलंबित जीवन मेरा।।


"आचार्य दीप चन्द भारद्वाज"






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