फसल विविधिकरण अपनाकर आमदनी बढाएं किसान

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाता
Updated: 07 Jul 2021 , 17:28:35 PM
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जुलाई वर्तमान परिस्थितियों में किसानों के लिए फसल विविधिकरण अत्यंत जरूरी हो गया है। फसल विविधिकरण से किसान परम्परागत फसल चक्र को छोडक़र कम खपतकम पानी एवं कम लागत वाली फसलों तथा आय बढाने वाले अन्य गैर कृषि विकल्पों  को   अपनाता है तो वह अवश्य ही आर्थिक सम्पन्नता की ओर बढता है। 

सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि फसल विविधिकरण के क्षैतिज विविधिकरण के तहत एक ही फसल में जैसे गेंहू-धानगेंहू-कपासबाजराचना की बजाये अन्य फसलों या फसलों के मिश्रण से संबंधित खेती होती है। फसल विविधिकरण के वर्टिकल विविधिकरण में अन्य फसलों से खाद्य प्रसंस्करण के साथ औद्योगिकीकरण का भी समावेश होता है। इसमें किसानों के कदम निवेश की ओर भी बढते हैं 

प्रवक्ता ने बताया कि फसल विविधिकरण अपनाने से किसान का जोखिम भी कम होता है। यदि मौसम फसल उत्पादन के अनुकूल नहीं रहता तो भी किसान अपने अन्य संसाधनों को नहीं खोते  फसल विविधिकरण से किसानों का उत्पादन भी कई गुणा तक बढ़ सकता है और इससे आय भी पर्याप्त होगी। फसल विविधिकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी सर्जित होते हैं  इसके साथ ही फसल विविधिकरण से मिट्टी की उपजाऊ एवं उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है तथा इससे भूमि में कीट नियंत्रण भी रहता है।

उन्होंने बताया कि फसल विविधिकरण में मिश्रित मौसमीय सब्जियों की काश्त विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। विविधिकरण किसानों की फसलों में तीव्रता से वृद्वि करके अधिक उत्पादन करने में मददगार होता है। इसके साथ ही किसान बागवानी फसलों में फलफूलसब्जीखुम्भीशहद उत्पादन के साथ-साथ छोटे उद्योग धंधे जैसे जैमजैलीमुरब्बाचटनीआचार आदि में निवेश करके बागवानी संबंधित प्रसंस्करण ईकाईयों से भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं 

उन्होंने बताया कि कृषि के साथ पशुपालनमुर्गीपालनऔर बागवानी जैसी गतिविधियां भी किसानों की आय का अच्छा साधन होती हैं। इसके साथ ही ऐसी गतिविधियां वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार साबित होती हैं। किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए फसल एवं कृषि विविधिकरण को अपनाएंगे तो सरकार के लक्ष्य को भी आसानी से पूरा किया जा सकेगा।





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