बस फूटने ही वाला है क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला

नरविजय यादव | पब्लिक एशिया
Updated: 26 Nov 2021 , 13:35:24 PM
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संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू हो रहा है। इसमें कृषि कानून समेत 26 बिल शामिल रहेंगे, जिनमें एक बिल क्रिप्टो करेंसी का होगा। क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल करेंसी बिल का मकसद भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी होने वाली डिजिटल करेंसी के लिए रास्ता खोलना है। केंद्र सरकार सभी निजी क्रिप्टो करेंसी प्रतिबंधित कर देश की अपनी डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी में है। दुनिया भर में इस समय करीब छह हजार क्रिप्टो करेंसी प्रचलित हैं। इनका मूल्य बुलबुले की तरह बढ़ा है, जो जल्द ही फूटने वाला है। आगे चलकर इनमें से कुछेक ही बचेंगी। कानून न होने पर भी लोग लालच में आकर क्रिप्टो करेंसी में पैसा लगाये जा रहे हैं, इसलिए यह सौदा भरोसेमंद नहीं है। भारत में इस वक्त 15 क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज हैं, जिन पर गाज गिरने वाली है। देश में दस करोड़ से ज्यादा क्रिप्टो खरीदार हैं।     

पिछले दिनों कुछ अखबारों में क्रिप्टो करेंसी के फुल पेज विज्ञापन दिखायी दिये थे। विज्ञापन में बॉलीवुड स्टार आयुष्मान खुराना का बड़ा सा फोटो था, जिस पर रोमन अक्षरों में लिखा था– फ्यूचर यही है। विज्ञापन में एक ऐप का जिक्र था, जिसके जरिए 100 रुपये का निवेश करके भी क्रिप्टो करेंसी के खेल में शामिल हुआ जा सकता है। फिर लिखा था कि यह सेफ है, सिम्पल है। सच्चाई यह है कि क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन पर निगाह रखने के लिए भारत में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। न ही इस तरह के लेनदेन पर किसी तरह के सरकारी नियमों का बंधन है।

ब्लॉकचेन विश्लेषण करने वाली कंपनी सिफेरट्रेस के अनुसार, वर्ष 2020 में क्रिप्टो करेंसी की चोरी और धोखाधड़ी से 14 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ। ऐसे लेनदेन में यदि कोई नुकसान होता है, तो पुलिस या अदालत भी कोई मदद नहीं कर सकती, क्योंकि इसके लिए फिलहाल कोई कायदे-कानून नहीं बने हैं। नुकसान की जिम्मेदारी पूरी तरह से निवेशक की खुद की होती है। भारत में क्रिप्टो करेंसी का व्यापार करने वाले एक्सचेंज के सर्वर भारत से बाहर स्थित हैं और किसी को नहीं पता कि उन पर किस देश का कानून लागू होगा। सेबी जैसी संस्था भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकती।

क्रिप्टो करेंसी में बिटकॉइन के रूप में निवेश किया जाता है। ये बेहद उतार-चढ़ाव वाला खेल है। जून 2021 की बात है, जब 24 घंटे के भीतर टाइटन नामक क्रिप्टो करेंसी का मूल्य करीब साढ़े चार हजार रुपये से घट कर 15 पैसे पर पहुंच गया था। विज्ञापनों के जाल में फंसने की कतई गलती न करें। इनके दावे भ्रामक हो सकते हैं। 

भारत में क्रिप्टो करेंसी को मान्यता न होने से निवेशकों को नुकसान होने का भय है, लेकिन आर्थिक अपराधी इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। इसी कारण से पिछले छह माह में चार लाख से अधिक क्रिप्टो अकाउंट ब्लॉक करने पड़ गये। कर चोरी, धोखाधड़ी और अपराधों के शक में देश के तीन प्रमुख क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों ने ऐसा किया। कॉइनस्विच कुबेर एक्सचेंज ने अप्रैल से सितंबर के बीच 1.8 लाख अकाउंट निलंबित किये। इतने ही अन्य अकाउंट अभी शक के दायरे में हैं। वजीरएक्स एक्सचेंज करीब 15 हजार अकाउंट ब्लॉक कर चुका है। सरकार की सक्रियता देखते हुए भारतीय क्रिप्टो करेंसीज में 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हुई, जो अभी और नीचे जायेगी, ऐसी आशंका है।






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