ब्रेक थ्री इंफेक्शन का खतरा और करोना की तीसरी लहर

संजीव ठाकुर | विशेष संवाददाता
Updated: 27 Jun 2021 , 16:14:21 PM
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ब्रेक थ्री इंफेक्शन का खतरा और करोना की तीसरी लहर जी हां ब्रेक थ्री इन्फेक्शन के खतरे का बढ़ता दायरा ब्रेक अब भारत में ज्यादा खतरनाक हो गया है।ब्रेक थ्री यानी दोनों इंजेक्शन लगवाने के बाद भी करोना संक्रमण का भयानक खतरा,जिससे संक्रमित व्यक्ति को बचाना बहुत कठिन हो जाता है। क्योंकि यह संक्रमण सभी एंटीबॉडी से लड़कर उनसे जीत कर शरीर पर संक्रमण फैलाता है। यह खतरनाक संक्रमण डेल्टा वेरिएंट ही है। भारत में यह वैरीअंट के प्रकरण तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में अभी लगभग 8000 सैंपल डेल्टा वैरीअंट के मिल चुके है। और डेल्टा वैरीअंट की भयानक तथा आक्रामक व्यवहार के कारण ही भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर काफी खतरनाक हुई थी।जिससे हजारों लोग मारे गए थे ।डेल्टा वायरस का आधुनिक संस्करण भारत में तो फैल ही रहा है ।लेकिन इसकी आक्रामकता इतनी तेज है, कि दोनों वैक्सीन लगाने के बावजूद व्यक्ति संक्रमित होकर मौत को प्राप्त हो जाता है। ऐसे में डॉक्टरों के पास भी औषधि का होना एक रिसर्च का विषय होगा। वैश्विक स्तर पर अभी ब्रिटेन में डेल्टा वायरस के सबसे ज्यादा प्रकरण दिखाई दिए हैं ब्रिटेन के शहर लंदन तथा लेस्टर और बर्मिंघम में लगभग 70000 डेल्टा वायरस के सैंपल प्राप्त हो चुके है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों के अनुसार डेल्टा प्लस वायरस और उसका वैरीअंट ज्यादा खतरनाक और ज्यादा संक्रामक हो सकता है। यदि करोना की तीसरी लहर हिंदुस्तान में आई तो वह युवकों तथा बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित होगी। ब्रिटिश वैज्ञानिक होगी। इसे रोकने के तरीकों की खोज में वैज्ञानिक लगे हुए हैं । क्योंकि यह वायरस धीरे-धीरे रूप बदलता है, इसलिए समय गुजरने के साथ साथ इसके म्यूटेशन भी दिखाई देंगे। इसलिए यह संक्रमण सभी वैज्ञानिकों के लिए चिंता का कारण है। वैज्ञानिक इसके निराकरण की खोज में अनेक प्रयोगों में लगे हुए हैं।
भारत में डेल्टा वायरस के प्रकरण दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल ,आंध्र प्रदेश तथा गुजरात में देखे गए हैं। वहां इससे संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा है। भारत में डेल्टा वायरस के अभी कुल 150 मामले सामने आए हैं। तथा यह वायरस देश के आंध्र प्रदेश, केरल तमिलनाडु कर्नाटक पंजाब जम्मू मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में पाए गए हैं। दिल का वायरस प्रकरण की शुरुआत भारत से होकर आज लगभग 80 देशों में यह तेजी से फैल चुका है। डेल्टा वायरस के प्रभाव के कारण पैटर्न में अब अनलॉक डाउन करने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया गया। वहां डेल्टा वायरस के प्रकरण तेजी से बढ़ रहे हैं ।इसी तरह भारत अमेरिका,पुर्तगाल, स्विजरलैंड, जापान, पोलैंड ,नेपाल ,चीन और रूस में भी डेल्टा वैरीअंट तेजी से फैल रहा है। भारत की कोवीशील्ड तथा को वैक्सीन इनवेरिएंट के खिलाफ कितनी प्रभावी होगी या तो रिसर्च ही बता पाएगा। लेकिन जिस तरह से भारत में लॉकडाउन खोल दिया गया है ,और हिंदुस्तान की जनता बिना निर्देश के पालन के बाजारों में खरीदारी करने और पर्यटन स्थलों में तफरीह करने में लग गई है, उससे कोविड-19 के तीसरी लहर की आने की काफी आशंका नजर आती है। और इस बार तीसरी लहर को संभालना केंद्र और राज्य सरकारों को अत्यंत कठिन हो जाएगा ।भारत की जनसंख्या को देखते हुए यदि यह वैरीअंट प्रभावी होता है,तो संक्रमण से ज्यादा व्यक्तियों के संक्रमित होने तथा मृत्यु का भय ज्यादा होगा। भारत में अशिक्षा अंधविश्वास तथा धर्मांधता के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग वैसे भी वैक्सीन लगाने में बहुत पीछे हैं, और वैक्सीन लगाने से कई तरह की अफवाह के चलते एवं अशिक्षित होने के कारण वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते हैं। जिससे संक्रमण का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। लेकिन दूसरी तरफ ब्रेक थ्री इन्फेक्शन का खतरा भी भारत में मंडराने लगा है। इसीलिए जिन्होंने एक या दो वैक्सीन लगवाई है उन्हें भी सरकार अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के द्वारा दी गई गाइडलाइंस का पालन करने का निवेदन लगातार कर रही है। क्योंकि इंजेक्शन लगाने के बाद भी यदि भीड़ में संक्रमित व्यक्ति होता है। तो उसकी जान बचाना बहुत कठिन हो जाता है। ऐसे में आमजन को स्वयं को कर अपने आप को बचाने के लिए भीड़ से अलग अपने घर में रहकर लगातार हाथ धोकर और अत्यावश्यक हो तब बाहर निकल कर मास्क लगाना अनिवार्य होगा।तब इस इस तरह के किसी भी संक्रमण से बचा जा सकता है।दूसरी तरफ भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन की गति अत्यंत सुस्त और धीमी हो गई है, और वैक्सीन ही नहीं लग पा रही है। भारत की इतनी बड़ी जनसंख्या का बड़ा प्रतिशत वैक्सीनेशन से अछूता है। उत्तर प्रदेश,बिहार, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में अभी भी अफवाहों के कारण ग्रामीण जन नागरिक वैक्सीन लगवाने के मामले में अशिक्षा अंधविश्वास तथा सोशल मीडिया में आती खबरों के कारण भयभीत तथा डरे हुए हैं। वैक्सीनेशन ना होने के अन्य प्रमुख कारण वैक्सीन का उपलब्ध ना होना और ग्रामीण तथा अर्ध शहरी क्षेत्र में शिक्षा तथा वैक्सिंन के फायदे के प्रति जागरूकता का अभाव ही है। मेट्रोपोलिटन शहरों मुंबई, दिल्ली, कोलकाता,अहमदाबाद, बेंगलुरुऔर चेन्नई को छोड़ दिया जाए तो करोना की लहर धीमी पड़ गई है। पर डेल्टा वायरस का संक्रमण का खतरा अभी भी सर पर मंडराने लगा है अतः डेल्टा वायरस के बचने के सरकारी आदेशों तथा उपायों को आम जनता को बड़ी गंभीरता से अमल में लाकर इस संक्रमण से बचने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।


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