भाजपा ने दिया था शामिल होने का प्रस्ताव: शिवपाल

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाता
Updated: 01 Nov 2020 , 20:57:43 PM
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इटावा, 01 नंवम्बर  प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने रहस्योद्घाटन करते हुए दावा किया कि समाजवादी पार्टी (सपा) से अलग होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनको पार्टी में शामिल होने का आफर दिया था लेकिन उन्होंने प्रस्ताव काे दरकिनार कर अपनी खुद की पार्टी बनाई।

इटावा में एक निजी स्कूल के शुभारंभ मौके पर अपने संबोधन में शिवपाल ने कहा “ बेशक उन्होने अपनी पार्टी बना ली हो लेकिन इसके बावजूद आज भी उनके अपने लोग उनके दल को भाजपा की बी टीम बता कर तरह तरह की चर्चाए करते है।

उन्होने कहा “ भाजपा में शामिल नहीं होने और अपनी पार्टी बनाने के निर्णय पर मुझे गर्व है। आज भाजपा की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। आम जनमानस में भाजपा के विरोध में सुर मुखर हो रहे हैं।

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन को आतुर शिवपाल ने 2019 के संसदीय चुनाव में सपा बसपा गठबंधन पर तंज कसते हुए कहा है कि बसपा सपा के बीच गठबंधन हो चुका है जिसका नतीजा सबके सामने आ चुका है । अब अगर बसपा भाजपा की दोस्ती हो रही है तो फिर भाजपा को क्या फायदा पहुंचेगा यह तो तब पता चलेगा जब नतीजे आयेगे ।

लव जेहाद पर कानून बनाने के मुख्यमंत्री के बयान पर यादव ने कहा कि पहले से ही बहुत से कानून बने हुए हैं उनका सही ढंग से क्रियान्वयन अगर किया जाए तो किसी और कानून की जरूरत नहीं पड़ेगी। लोगों को समझाने के लिए नैतिक शिक्षा का इंतजाम किया जाए यह बहुत ही बेहतर रहेगा ।

शिवपाल ने कहा “ बहन जी (मायावती) के बारे में हर कोई बहुत अच्छे से जानता है कि उनका इतिहास कैसा रहा है। नेता जी को भी उन्होंने बदनाम किया है जबकि नेताजी आज की तारीख में हर दल के लिए सर्वमान्य नेता बने हुए हैं ।

भारतीय जनता पार्टी से मिलकर के बहुजन समाज पार्टी ने तीन बार सरकार बनाई है अगर बसपा के विधायक टूट रहे हैं तो फिर इसमें किसी और का कुसूर क्या है ।”

उन्होंने कहा “ ऐसा लगता है कि बहन जी के विधायक टिकट वितरण और शोषण की वजह से उनसे दूर जा रहे है। जब उनके खुद के विधायक उनसे अलग भाग रहे हैं तो फिर दूसरों पर आरोप लगाने से फायदा क्या उन्हें किसी दूसरे पर आरोप नहीं लगाना चाहिए अपने गिरेबान में खुद ही उन्हें झांक करके देखना चाहिए ।”

मंत्री मोहसिन रजा के बयान पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से कट्टरपंथियों के खिलाफ रही है कभी भी कट्टरपंथियों का पक्ष उनकी पार्टी ने नहीं लिया है। उन्होने कहा कि लोग भड़काते है कि प्रसपा के लोग अंग्रेजी भाषा का विरोध करते है। जब अंग्रेजी की अनिवार्यता थी तो गांव के लोगो को परेशानी होती थी यूपीएससी में अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म होनी चाहिए।





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