भारतीय संस्कृति की रीढ़ हैं जनजातीय समाज: ठाकुर

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाता
Updated: 07 Jul 2021 , 16:41:12 PM
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भोपाल मध्यप्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने आज कहा कि प्रदेश का जनजातीय समाज भारतीय संस्कृति की रीढ़ है। जनजातीय समाज ने भारतीय संस्कृति और संस्कारों से जुड़े रहकर अपनी चित्रकारी के माध्यम से भारतीय मूल्यों को सहेजा है।
सुश्री ठाकुर यहां जनजातीय संग्रहालय में भील एवं गोंड समुदाय के चित्रकारों पर एकाग्र 'चित्र शिविर' के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। सुश्री ठाकुर ने कहा कि जनजातीय समाज की सुंदर चित्रकारी की पावन परंपरा को बढ़ावा देने तथा कलाकारों को मेहनत का उचित मूल्य और सम्मान दिलाने के लिए 'चित्र शिविर' का आयोजन किया गया है। उन्होंने प्रसिद्ध भीली चित्रकार भूरी बाई के साथ कैनवास पर चित्र उकेर कर शिविर का शुभारंभ किया।
संस्कृति मंत्री ने भूरी बाई को शाल और श्रीफल देकर उनके कला क्षेत्र में योगदान के लिए भी सम्मानित किया और आमंत्रित सभी कलाकारों का पुष्प-गुच्छ से स्वागत किया।
संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि संस्कृति विभाग के जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा गोंड और भीली चित्रकारों द्वारा 'परंपरा में प्रकृति की महिमा' पर केंद्रित 'चित्र शिविर' का आयोजन किया जा रहा है। 'चित्र शिविर' में आमजन, 70 से अधिक आमंत्रित चित्रकारों के निजी संग्रह से पेंटिंग खरीद सकेंगे।   शुक्ला ने बताया कि संस्कृति और पर्यटन विभाग द्वारा जनजातीय कलाकारों की पेंटिंग बेचने और खरीदने के लिए पोर्टल तैयार कर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा।
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर ‘गमक’ श्रंखला के अंतर्गत 7 से 11 जुलाई तक दोपहर 12 से शाम 6 बजे तक 'चित्र शिविर' आगुंतको के लिए प्रदर्शित किया जायेगा। इस अवसर पर संचालक संस्कृति अदिति कुमार त्रिपाठी सहित आमंत्रित चित्रकार और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।





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