भारत अब अमेरिका का सिर्फ़ सहयोगी नहीं बल्कि तेज़ी से उभरती हुई विश्व की महाशक्ति है

public asia | पब्लिक एशिया ब्यूरो
Updated: 12 Dec 2022 , 14:43:13 PM
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वैश्विक स्तरपर भारत की बढ़ती हुई प्रतिष्ठा, हाल ही में मिली जी-20 की अध्यक्षता, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बढ़ती भारत के रुतबे का सैलाब, रूस यूक्रेन युद्ध में भारतीय हस्तक्षेप से सहयोगजनक साथ की विश्व को अपेक्षा, विश्व के प्रमुख नेताओं के भारतीय सत्कार के प्रति बॉडी लैंग्वेजेस, भारत में बढ़ता हुआ वैश्विक विनियोग और दिनांक 11 दिसंबर 2022 को व्हाइट हाउस से आए बयान से दुनिया में हड़कंप मच गया है, दुनिया हैरान हुई है! खासकर के पड़ोसी और विस्तारवादी देशों को हैरानी हुई होगी कि यह कैसे हो सकता है कि भारत कुछ ही वर्षों में इतनी तेज़ी के साथ विकास की पटरी बिछाकर अर्थव्यवस्था इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, वाणिज्य, परिवहन, विदेशनीति सहित सभी क्षेत्रों की ट्रेन तेज़ी से उस पटरी पर दौड़ाकर डेडलाइन से पहले ही लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं,और अभी विज़न 2047, 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था,विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था का लक्ष्य सहित अनेक विज़न लेकर भारत दूरगामी परिणामों के रणनीतिक रोडमैप बिछा दिए हैं और उनमें आरही दिक्कतों को दूर करने में भी भिढ़ गए हैं जैसे अनेक संकटों और मुद्दों से विरोधी देश हैरान हैं।जबकि हम अपना काम अपनी मौज में रहते हम अपनी भारतीय संस्कृति सभ्यता के दायरे में रहकर कर रहे हैं जो तारीफे काबिल है।चूंकि व्हाइट हाउस के बयान ने विश्व में भारत को चर्चा में ला दिया है,इसीलिए आज हम मीडिया में आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि भारत तरक्की की बुलंदियों को छू रहा है और तेजी से उभरती हुई विश्व की महाशक्ति है। जो व्हाइट हाउस के बयानों की धरातल पर वास्तविकता भी है। 
साथियों बात अगर हम व्हाइट हाउसके एक शीर्ष अधिकारी से एक कार्यक्रम में पूछे गए सवाल के जवाब में आए बयान की करें तो, अमेरिका ने भारत को लेकर दिए एक बयान से न सिर्फ दुनिया को हैरान कर दिया है बल्कि पड़ोसी और विस्तारवादी देश की भी टेंशन बढ़ा दी हैं। अमेरिका ने कहा कि भारत अब अमेरिका का सिर्फ सहयोगी ही नहीं है, बल्कि वह तेजी से उभरती हुई विश्व की महाशक्ति है। व्हाइट हाउस ने माना है कि पीएम के नेतृत्व में भारत दिनों-दिन दुनिया पर अपनी अलग धाक जमा रहा है। अमेरिका के इस बयान से विस्तारवादी दे को टेंशन हो गई होगी। वहीं पड़ोसी मुल्कों में खलबली मची होगी। एक सिक्योरिटी फोरम में भारत को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ह्वाइट हाउस के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारत ने सामिरक और आर्थिक दोनों क्षेत्रों में बड़ी तरक्की की है।तकनीकि,स्वास्थ्य और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत नई इबारतें लिख रहा है। मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार दी है। इससे भारत दुनिया की सबसे बड़ी पांचवीं अर्थ व्यवस्था बन गया है। 
साथियों अमेरिका ने कहा है कि पिछले करीब 20 वर्षों से भारत के साथ हमारे रिश्तों में बहुत मज़बूती आई है। अब यह रिश्ता धीरे-धीरे और प्रगाढ़ हो रहा है। पीएम के नेतृत्व में भारत तरक्की की बुलंदियों को छू रहा है।दुनिया कासबसे बड़ा लोकतंत्र अब सिर्फ अमेरिका का सहयोगी ही नहीं रहा, बल्कि वह अब विश्व की तेजी से उभरती महाशक्ति बन रहा है। उन्होंने कहा कि  यही वजह है कि अमेरिका और भारत के रिश्ते जितने अधिक गहरे हुए हैं, वैसा संबंध अमेरिका का अन्य किसी देश के साथ इस दौरान नहीं हुआ है। अब अमेरिका को भारत को अपना मित्र बताने में गर्व की अनुभूति होती है। व्हाइट हाउस के अधिकारी के इस बयान ने विसरवादी देश के राष्ट्रपति और पड़ोसी मुल्कों के प्रधानमंतत्री को तनाव में ला दिया होगा। विस्तारवादी देश नहीं चाहता है कि भारत की वैश्विक मंच पर इस तरह की तारीफ हो। वहीं पड़ोसी मुल्क भारत के बढ़ते प्रभुत्व को लेकर परेशान हो सकता है।
साथिया बात अगर हम उक्त बयान की वास्तविकता  के समर्थन में उपलब्ध जानकारी को देखें तो, आज भारत के अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विदेशनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, मानव पूंजी, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में जो बदलाव हो रहे हैं,भौतिक संसाधनों के अलावा भारत के पास सॉफ्ट पावर का भी विशाल खजाना है, इनमें से कुछ हैं, बॉलीवुड, भारतीय भोजन, क्रिकेट और योग की जन्मस्थली होने जैसी वैश्विक ब्रांड, इनके कारण विश्वभर में भारत की पहचान निरंतर बढ़ती जा रही है और सुदूर भविष्य में वह अमरीका और विस्तारवादी देश के समकक्ष आने में भी सक्षम है। 
साथियों भारत की आर्थिक और सैन्य शक्ति को बढ़ाने में देश की विशाल आबादी (भारत पूरी दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला दूसरा देश है और 2030 तक सबसे अधिक आबादी वाला पहला देश हो जाएगा) और (दुनिया में सातवें सबसे बड़े) विशाल आकार वाला देश बन जाएगा। इसके कारण मौजूदा वैश्विक रैंकिंग को बनाये रखने और उसमें सुधार लाना संभव हो जाएगा। खास तौर पर जहाँ तक जनसांख्यिकी का संबंध है, भारत अमरीका और विस्तारवादी देश (और निश्चय ही यूरोपीय संघ) की तुलना में कहीं अधिक युवा देश है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इसके पास श्रमिकों की इतनी बड़ी तादाद है कि यह कई दशकों तक अपने आर्थिक और सैन्य कौशल को बरकरार रख सकता है। हाल ही के दशकों में भारत धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सोपान पर ऊपर चढ़ता जा रहा है और इसके कारण विश्व की एक प्रमुख महाशक्ति के रूप में इसका वैश्विक प्रभाव भी नज़र आने लगा है। 
साथियों पिछले चार दशकों में विस्तारवादी देश एक जबर्दस्त ताकत के रूप में उभरकर सामने आया है और इसके साथ-साथ भारत ने भी काफ़ी ऊँचाइयाँ हासिल कर ली हैं. इसके कारण विश्व की आर्थिक शक्ति का केंद्र यूरोप और उत्तर अमरीका से हटकर एशिया की ओर स्थानांतरित होने लगा है। साथ ही साथ एशिया की इन दोनों महाशक्तियों के उभरने के कारण सच्चे अर्थों में एशिया-शताब्दी की शुरुआत होने लगी है।इस शताब्दी में एशिया की ये महाशक्तियाँ न केवल अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों कीरूपरेखा का निर्धारण और निर्देशन करेंगी, बल्कि अंततः उसे परिभाषित भी करेंगी। 
साथियों समसामयिक वैश्विक राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका का एक कारण आर्थिक क्षेत्र में उसकी सफलता है। महाशक्ति की अन्य साधन-सामग्री के अनुरूप भारत के पास विशाल और निरंतर बढ़ती सैन्य-शक्ति है। विश्लेषक मानते हैं कि भारत 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सैन्यशक्ति बन जाएगा, भारत की ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार संबंधी सुरक्षा की आवश्यकताओं की दृष्टि से इस प्रकार की क्षमताओं के विकास से भारत की रणनीतिक पहुँच उत्तरोत्तर बढ़ती जाएगी। 
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका का बयान- दुनिया हैरान। भारत अब अमेरिका का सहयोगी नहीं बल्कि तेजी से उभरती हुई विश्व की महाशक्ति है। भारत तरक्की की बुलंदियों को छू रहा है और तेजी से उभरती हुई विश्व की महाशक्ति है, जैसे व्हाइट हाउस के बयानों से हर भारतीय गौरवविंत और गदगद है। 




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