भारत का दुनिया में आगाज़,लोकतंत्र की दिखाई ताकत

एडवोकेट किशन सनमुखदास | पब्लिक एशिया
Updated: 26 Sep 2021 , 15:11:40 PM
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भारत दुनिया का सबसे बड़ा मजबूत लोकतंत्र है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और बहुत ही तेज़ी के साथ मज़बूत संकल्प ज़जबे और जांबाज़ी के साथ विशाल विकास की राह पर रणनीतिक रोडमैप से आगे बढ़ता देख पूरा विश्व हैरान है!! और पूरे विश्व की नज़रें भारत की ओर लगी हुई है कि इतनी बड़ी ज़नसंख्या वाला देश वो भी कोरोना महामारी से ग्रस्त, बाधित अर्थव्यवस्था से तीव्रता से उबरने और लगभग 85 करोड़ सेअधिक नागरिकों को वैक्सीनेशन पूर्ण करने वाला प्रथम देश बनकर अब, बाधित अर्थव्यवस्था सेउबरने पर अतितीव्रता से कदम बढ़ाकर प्रथम पंक्ति के देशों के तुल्य खड़ा होने में समय नहीं लगेगा, ऐसे देश भारत की ओर विश्व की नजरें उत्सुकता से उठ गई है। उसमें भी सोने पर सुहागा कि भारत के पीएम चार दिवसीय अमेरिका दौरे 22 से 25 सितंबर 2021 में संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की बैठक, क्वाड देशों के सम्मेलन, 5 सबसे बड़ी कंपनियों के सीईओ से निवेश चर्चा, अमेरिका के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति से सकारात्मक विचार विमर्श बैठक और अंतिम दिन शनिवार 25 सितंबर 2021 को रात्रि संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली में भी भारत का जोरदार आगाज़ हुआ लोकतंत्र की ताकत और आतंकवाद, कोरोना महामारी, वैक्सीनेशन, जलवायु परिवर्तन पर मजबूत संबोधन से भारत की वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता में तीव्रता से जोरदार इजाफ़ा हुआ है। यही कारण है कि वहां से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा जानकारी आ रहीहै कि अमेरिकन प्रेसिडेंट ने भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थाई सदस्यता के रूप में शामिल करने का सकारात्मक रुख दिखाया है।उम्मीद करते हैं कि भारत शीघ्र ही यूएनएससी का स्थाई सदस्य होगा।इसका फायदा यह होगा कि कई बार भारत अनेक मुद्दों पर अपनी बातें स्पष्टता से वहां रखता है और उनको फॉलो करवाना चाहता है, परंतु अक्सर विस्तारवादी देश द्वारा वीटो पावर का इस्तेमाल कर ख़ारिज करवा देता है और करे कराए रोडमैप पर पानी फ़िर जाता है। परंतु अब अगर भारत के यूएनएससी का स्थाई सदस्य बनता है तो भारत के रुतबे और प्रतिष्ठा में चार चांद लग जाएंगे।... साथियों बात अगर हम दिनांक 25 सितंबर 2021 को रात्रि भारतीय पीएम का संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली में संबोधन की करें तो अपने 22 मिनट के संबोधन में हर पहलू पर मज़बूती के साथ अपनी बात रखी आतंकवाद, कोरोना, जलवायु परिवर्तन और मज़बूत लोकतंत्र सहित पड़ोसीमुल्क और विस्तारवादी देश को भी इशारों में अपने संबोधन में जवाब दे दीया है, जिससे हर भारतीय का सीना गर्व से ऊंचा हो गया है और हम फ़क्र से कह सकते हैं हम भारतीय हैं।...साथियों बात अगर हम संबोधन में पीएम द्वारा उठाए गए मुद्दों की करें तो पीआईबी के अनुसार पीएम ने कहा, परिगामी सोच के साथ, जो देश आतंकवाद का पॉलिटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद, उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। ये सुनिश्चित किया जाना बहुत ज़रूरी है कि अफ़ग़ानिस्तान की धरतीका इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए ना हो। हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहां की नाजुक स्थितियों का कोई देश, अपने स्वार्थ के लिए, एक टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश ना करे।इस समय अफ़ग़ानिस्तान की जनता को, वहां की महिलाओं और बच्चों को,वहां की माइनॉरिटीज को,मदद की जरूरत है, और इसमें हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा। उन्होंने कहा, मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं, जिसे लोकतंत्र की मां का गौरव हासिल है। लोकतंत्र की हमारी हजारों वर्षों की महान परंपरा रही है। इस 15 अगस्त को, भारत ने अपनी आजादी के 75वें साल में प्रवेश किया है। हमारी विविधता, हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है। एक ऐसा देश जिसमें दर्जनों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अलग- अलग रहन-सहन, खानपान है। ये जीवंत लोकतंत्र का बेहतरीन उदाहरण है। ये भारत के लोकतंत्र कीताकत है कि एक छोटा बच्चा जो कभी एक रेलवे स्टेशन के, टी-स्टॉल पर अपने पिता की मदद करता था, वो आज चौथी बार,भारत के पीएम के तौर पर यूएनजीए को संबोधित कर रहा है। कोरोना महामारी ने, विश्व को ये भी सबक दिया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब और अधिक विवरण विविधीकरण किया जाए। इसके लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखला का विस्तार, आवश्यक है। हमारा आत्मनिर्भर भारत अभियान इसी भावना से प्रेरित है। ग्लोबल औद्योगिक विविधता  के लिए भारत, विश्व का एक लोकतांत्रिक और भरोसेमंद पार्टनर बन रहा है और इस अभियान में भारत ने अर्थव्यस्था और परिस्थतकी दोनों में बेहतर संतुलन स्थापित किया है। बड़े और विकसित देशों की तुलना में, जलवायु कर्याहवाही को लेकर भारत के प्रयासों को देखकर आप सभी को निश्चित ही गर्व होगा। हमारे समंदर भी हमारी साझी विरासत हैं।

इसलिए हमें ये ध्यान रखना होगा कि महासागर संसाधन को हम उपयोग करें, दुर्पयोग नहीं। हमारे समंदर, अंतरराष्ट्रीय व्यापार की लाइफ - लाइन भी हैं। इन्हें हमें एक्सपेंशन और एक्सक्लूजन की दौड़ से बचाकर रखना होगा। रूल-बेस्ड वर्ल्ड ऑर्डर को सशक्त करने के लिए, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक सुर में आवाज उठानी ही होगी।सुरक्षा परिषद में भारत की प्रेसिडेंसी के दौरान बनी विस्तृत सहमति, विश्व को मैरीटाइम सेक्योरिटी के विषय में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है। उन्होंने कहा आज विश्व का हर छठा व्यक्ति भारतीय है।

जब भारतीयों की प्रगति होती है तो विश्व के विकास को भी गति मिलती है। भारत में हो रहे साइंस और टेक्नोलॉजी आधारित नवाचार विश्व की बहुत मदद कर सकते हैं। हमारे तकनीकी समाधान का स्केल और उनकी कम लागत, दोनों अतुलनीय है। संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपनी प्रभवशीलत को सुधारना होगा, विश्वनीयता को बढ़ाना होगा।यूएन पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।इन सवाल को हमने जलवायु संकट  में देखा है, कोविड के दौरान देखा है। दुनिया के कई हिस्सों में चल रही प्रॉक्सी वॉर-आतंकवाद और अभी अफ़ग़ानिस्तान के संकट ने इन सवालों को और गहरा कर दिया है। कोविड के मूल के संदर्भ में और ईजी ऑफ ड्यूइंग बिजनेस रैंकिंग को लेकर, वैश्विक गवर्नेंस से जुड़ी संस्थाओं ने, दशकों के परिश्रम से बनी अपनी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है।

हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को जवाब देना है कि जब फैसले लेने का समय था, तब जिन पर विश्व को दिशा देने का दायित्व था, वो क्या कर रहे थे? आज विश्व के सामने  प्रतिगामी सोच और उग्रवाद का खतरा बढ़ता जा रहा है। इन परिस्थितियों में, पूरे विश्व को विज्ञान आधारित, तर्कसंगत और प्रगतिशील सोच को विकास का आधार बनाना ही होगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत का दुनिया में आगाज़ हुआ है, मज़बूत लोकतंत्र की ताकत दिखाई दी है और हमारे पीएम ने आतंकवाद कोरोना और जलवायु परिवर्तन पर मजबूत संबोधन किया है।




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