भारत में उद्योगपति से लेकर गरीब, मजदूर तक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करदाता हैं

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाता
Updated: 03 Jul 2021 , 16:10:54 PM
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भारत में पिछले वर्ष 2020 की शुरुआत से ही कोरोना महामारी ने दस्तक दी थी जिससे वर्षांत में कुछ राहत मिली। परंतु 2021 के शुरुआत से ही कोरोना महामारी अपना तांडव मचा रही है।...साथियों हम सभ ने 2020 में सुने थे कि, केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज और अभी 2021 में 6.29 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज जरूरतमंदों और अर्थव्यवस्था सुधारने में दिया हैं। इसके अलावा वैक्सीनेशन के लिए 35 हज़ार करोड का भी अलग से एलोकेशन किया था और अभी सरकारों का मुख्य ध्यान विकसित स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर, विशाल स्तर पर खड़ा करने का संकल्प है।... साथियों, यह दोनों आर्थिक पैकेज का विशाल अमाउंट लोगों को कोरोना महामारी में आर्थिक राहत के चलते ध्यान में है ।...साथियों, बात अगर हम केंद्र,राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा राज्य के विकास, बुनियादी ढांचे की बेहतरी,समाज के उत्थान, राष्ट्र की कल्याणकारी गतिविधियों को चलाने कई स्तरों पर लाभकारी, कल्याणकारी कार्य करने - जैसे, सड़क, बिजली, पानी सार्वजनिक यातायात, सार्वजनिक शौचालय इत्यादि अनेक तरह की सेवाओं और प्रशासन चलाने के लिए वेतन के लिए व्यय करने होते हैं। इनको हम दो भागों में बांट सकते हैं प्रत्याशित याने रेगुलर व्यय, जो रेगुलर हैं उन्हें प्रतिवर्ष वित्तीय अधिनियम बनाकर बजट पेश किया जाता है और दूसरा अप्रत्याशित याने आकस्मिक व्यय जैसे अभी करोना महामारी, बाढ़, तूफान इत्यादि आपदाओं में विशाल रूप से खर्च हुआ है। दोनों में यह व्यय अरबों करोड़ रुपए में होता है। उसी की व्यवस्था भारतीय कर व्यवस्था में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर से होती है। जो भारत के उद्योगपति से लेकर एक गरीब, मजदूर, रेहड़ी पटरी वाले, रिक्शा वाले इत्यादी हर व्यक्ति द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के रूप में चुकाया जाता है।...साथियों बात अगर हम टैक्स की करें तो हर व्यक्ति को किसी न किसी रूप में टैक्स चुकाना होता है, चाहे वह ग्राम पंचायत,नगर पालिका टैक्स महानगरपालिका टैक्स पेट्रोल डीजल पर वैट, जीएसटी, जो गरीब से गरीब व्यक्ति को भी जीवन आवश्यक वस्तुओं के प्रयोग में जीएसटी जुड़ा होता है अर्थात वह टैक्स के रूप में चुकाना होता है। याने इस देश का हर नागरिक टैक्स चुकाता है।...साथियों बात अगर हम टैक्स चुकाने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर को समझने की करें तो, अप्रत्यक्ष कर यानेआप जिन चीजों को खरीदते हैं, उन पर आपको कोई नकोई टैक्स चुकाना पड़ता है। मसलन आपके बैंक अकाउंट, बाजार से शॉपिंग, रेस्तरां में खाना-पीना, ट्रेन/बस/फ्लाइट टिकट आदि पर भी आपको टैक्स चुकाना होता है, इसे ही अप्रत्यक्ष कर कहते हैं। इसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) शामिल हैं। राज्य सरकारें शराब और पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की दरें तय करती हैं, इसलिए यह राज्यों के बजट का हिस्सा होता है। इसके साथ ही राज्य सरकारें निगम कर का निर्धारण करती हैं। राज्य सरकार के बजट में सड़कों का निर्माण व रखरखाव, बस परिवहन, स्वास्थ्य शिक्षा, बिजली, भूमि विकास,खेती के लिए सिंचाई सुविधा आदि से संबंधित घोषणा होती है। सेवाओं और उत्पादों पर लगाए जाने वाले कर को ही अप्रत्यक्ष कर कहा जाता है। अप्रत्यक्ष कर सेवा या उत्पाद के विक्रेता द्वारा एकत्र किए जाते हैं। कर उत्पादों और सेवाओं की कीमत में जोड़ा जाता है| यह उत्पाद या सेवा की कीमत को बढ़ाता है वर्तमान में सरकार द्वारा केवल एक अप्रत्यक्ष कर लगाया जाता है| इसे जीएसटी या गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कहा जाता है|जीएसटी- यह एक उपभोग कर है जो भारत में सेवाओं और वस्तुओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। किसी भी सामान या मूल्य वर्धित सेवाओं की उत्पादन प्रक्रिया का हर चरण जीएसटी लागू होने के अधीन है।यह उन पार्टियों को वापस किया जाना है जो उत्पादन प्रक्रिया में शामिल हैं (और अंतिम उपभोक्ता नहीं) जीएसटी के परिणाम स्वरूप अन्य प्रकार के करों और शुल्कों जैसे कि मूल्य वर्धित कर (वैट), ऑक्ट्रई, सीमा शुल्क, केंद्रीय मूल्य वर्धित कर, साथ ही सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क समाप्त हो गए। जिन उत्पादों या सेवाओं पर जीएसटी के तहत कर नहीं लगाया जाता है, वे हैं बिजली मादकपेय व पेट्रोलियम उत्पाद। व्यक्तिगत राज्य सरकारों द्वारा पिछले कर व्यवस्था के अनुसार इन पर कर लगाया जाता है। अन्य कर- डायरेक्ट और इनडायरेक्ट करों के अलावा छोटे उपकर भी होते हैं जो विभिन्न उप-श्रेणियों में आते हैं| आयकर अधिनियम के भीतर, इन करों को नियंत्रित करने वाले अलग-अलग कार्य हैं| अन्य कर मामूली राजस्व जनरेटर हैं और छोटे उपकर टैक्स हैं। अन्य करों की विभिन्न उप श्रेणियां इस प्रकार हैं। प्रॉपर्टी टैक्स-इसे रियल एस्टेट टैक्स या म्यूनिसिपल टैक्स भी कहा जाता है। आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति के मालिक संपत्ति कर के अधीन हैं। इसका उपयोग कुछ मूलभूत नागरिक सेवाओं के रखरखाव के लिए किया जाता है। प्रत्येक शहर में स्थित नगर निकायों द्वारा संपत्ति कर लगाया जाता है, व्यावसायिक कर यह रोजगार कर उन लोगों पर लगाया जाता है जो किसी पेशे का अभ्यास करते हैं या एक वेतन भोगी आय जैसे वकील, सीए, डॉक्टर आदि कमाते हैं। यह कर अलग-अलग राज्यों में अलग अलग है। सभी राज्य व्यावसायिक कर नहीं लगाते हैं। मनोरंजन कर-यह वह कर है जो टेलीविजन श्रृंखला, फिल्मों, प्रदर्शनियों आदि पर लगाया जाता है। कर को कमाई से होने वाले सकल संग्रह पर लगाया जाता है। पंजीकरण शुल्क, स्टांप शुल्क, स्थानांतरण कर-ये संपत्ति खरीदने के समय या उसके बाद संपत्ति कर के पूरक के रूप में एकत्र किए जाते हैं। शिक्षा उपकर-यह भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए और बनाए गए शैक्षिक कार्यक्रमों को निधि देने के लिए लगाया जाता है। एंट्री टैक्स-यह वह कर है जो किसी राज्य में प्रवेश करने वाले उत्पादों या वस्तुओं पर लगाया जाता है, विशेष रूप से ई-कॉमर्स प्रतिष्ठानों के माध्यम से लगाया जाता है। रोड टैक्स और टोल टैक्स-यह टैक्स सड़कों और टोल इन्फ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव के लिए उपयोग किया जाता है।...साथियों बात अगर हम प्रत्यक्ष टैक्स की करें तो 135 करोड़ वाली जनसंख्या के भारत देश में मात्र कुछ प्रतिशत ही लोग हैं जो प्रत्यक्ष कर के रूप में देते हैं। आपकी कमाई से सरकार सीधे जो टैक्स काट लेती है उसे प्रत्यक्ष कर कहते हैं, इनमें इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स शामिल हैं। कंपनियों को अपने मुनाफे पर जो टैक्स चुकाना पड़ता है, उसे कॉर्पोरेट टैक्स कहा जाता है। आप जिन चीजों को खरीदते हैं, उन पर आपको कोई न कोई टैक्स चुकाना पड़ता है। जिसका भुगतान व्यक्ति या कानूनी संस्था ने सीधे सरकार को करना होता है| प्रत्यक्ष करों को किसी अन्य व्यक्ति या कानूनी संस्था को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। आयकर, कैपिटल गेनस टैक्स, सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स, कॉर्पोरेट कर और गिफ्ट टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स के प्रकार हैं| इस आर्टिकल में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साइट का साभार सहारा लिया गया है। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर हमअध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम देखेंगे कि भारतीय कर व्यस्था प्रणाली में हर नागरिक करदाता है। कोई पेट्रोल-डीजल कोई जीएसटी रूपी अप्रत्यक्ष करदाता कोई आयकर रूपी प्रत्यश कर देता है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि भारत में उद्योगपति से लेकर गरीब मजदूर तक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर देता है।





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