मुरादाबाद : ह्रदय रोगों के उपचार में विज्ञान के क्षेत्र में हाल में हुई तरक्की ने ह्रदय रोगों के मामलों में तेज वृद्धि के बावजूद मरीजों को नया जीवन दिया है। हाल के दिनों में ओपन हार्ट सर्जरी के बगैर मरीज का ऑपरेशन बीटिंग हार्ट बाईपास से करना न सिर्फ सबसे आधुनिक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, बल्कि सबसे जटिल मामलों में भी इससे सफल इलाज संभव हो गया है।
इस तरह की आधुनिक चिकित्सा न सिर्फ मरीज का प्रभावी इलाज करने में मदद करती है, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर बनाती है। देश में हर साल अलग-अलग प्रकार के हृदय रोग के कम से कम 50 फीसदी मामले अन्य बीमारियों और अकाल मृत्यु से जुड़े होते हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि 25-40 साल की उम्र के लोगों में हृदय रोग का खतरा बढऩे लगा है। एक अनुमान है कि भारत में हर चार में से एक मौत मामूली लक्षणों की अनदेखी करने से होती है और हृदय रोग 25 से 35 साल की उम्र की महिलाओं व पुरुषों में मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है।
बीएलके मैक्स हार्ट सेंटर के सीटीवीएस प्रमुख और मुख्य निदेशक डॉ. रामजी मेहरोत्रा ने कहा भारत में होने वाली मौतों में कोरोनरी आर्टरी रोग अहम वजहों में से एक है। इसके इलाज के लिए सीएबीजी (जिसको बाईपास के नाम से भी जाना जाता है) ऑपरेशन किया जाता है। भारत में परिवर्तनशील और अपरिवर्तशील रिस्क फैक्टर्स समेत कई कारणों से लोगों में कार्डियक संबंधी रोग बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। युवाओं में खराब और व्यायामरहित जीवनशैली, अल्कोहल का अधिक सेवन तथा धूम्रपान की आदतें न सिर्फ डायबिटीज और हाइपरटेंशन का खतरा बढ़ाती हैं, बल्कि आगे चलकर उन्हें दिल की बीमारियों की चपेट में भी ले लेती हैं।’
आम तौर पर दिल में ब्लॉकेज के कारण इलेक्ट्रिकल व्यवधान से सडेन कार्डियक डेथ की नौबत आती है, जिसमें पंपिंग की क्रिया थम जाती है और शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त प्रवाह नहीं हो पाता है। यही वजह है कि ऐसी स्थिति में कुछ ही मिनटों के अंदर मरीज को इलाज नहीं मिल पाए तो उसकी मौत भी हो सकती है। लेकिन त्वरित, उचित चिकित्सा देखभाल से मरीज को बचाना संभव है।
डॉ. रामजी मेहरोत्रा ने कहा कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज से ग्रस्त ऐसे मरीज जिनपर कोरोनरी धमनियों की एंजियोप्लास्टी नहीं की जा सकती है, उन्हें कोरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी (सीएबीजी) की सलाह दी जाती है। सीएबीजी ऑपरेशन के लिए आज भी मरीज के पैरों से नस निकाली जाती है। सीएबीजी के अधिकतर मामलों में एक धमनी (बाईं अंदरूनी मैमरी आर्टरी) और अन्य सभी वीनस ग्राफ्ट का आपरेशन किया जाता है। लेकिन यह देखा गया है कि वेन ग्राफ्ट की तुलना में आर्टरी वाले ग्राफ्ट बेहतर होते हैं।
इसके अलावा वेन ग्राफ्ट में जमा होने वाला कचरा हार्ट की आर्टरीज में जाकर उन्हें पूरी तरह बंद भी कर सकता है। वेन ग्राफ्ट या स्टेंट के इस्तेमाल के बाद जल्द ही फिर से ऑपरेशन करवाने की जरूरत भी पड़ सकती है। जबकि आर्टरी वाला ग्राफ्ट लंबे वक्त तक काम करता है और जल्दी ब्लॉक नहीं होता।
भारत में अधिकतर कोरोनरी सर्जन बाईपास, ऑफ पंप करते हैं जिसे बीटिंग हार्ट सर्जरी भी कहते है। ऑन पंप ऑपरेशन में हार्ट का काम मशीन में शिफ्ट कर दिया जाता है और हार्ट को रोककर ऑपरेशन किया जाता है। ऑफ पंप में ऑपरेशन के दौरान हार्ट धडक़ता रहता है। दोनों ही विधियों में अच्छे नतीजे मिलते हैं।