भारत अब तीव्रता से कोरोना महामारी से उबरने की ओर गति से बढ़ रहाहै अधिकतम पेशेंट अब एक राज्य तक सीमित हो गए हैं, जिसे उबारने के लिए शासन-प्रशासन तेजी से कवायत करने की रणनीतियां क्रियान्वयन कर रहा है। उधर वैक्सीनेशन अभियान बड़े ही तेजी के साथ अभियान चलाकर रोज एककरोड़ से अधिक डोज़ लगाए जा रहे हैं और भारत अपने डेडलाइन दिसंबर 2021 तक सभी नागरिकों को वैक्सीनेशन करने की ओर गति से बढ़ रहा है, इसके साथ ही अगला पड़ाव अब आत्मनिर्भर भारत बनाने की ओर तेज़ी से रणनीतियां काम करना शुरू हुई है ऐसा देखने को मिल रहा है...साथियों बात अगर हम आत्मनिर्भर भारत बनाने में भारत की विरासत आध्यात्मिकता की करें तो यह हमारी राष्ट्रीय पहचान रही है हमें अपनी विरासत पर गर्व है और हम भविष्य की ओर आत्मनिर्भर भारत बनाने तेजी से बढ़ रहे हैं।
जिसमें भारतीय शिक्षा नीति 2020 जैसे अनेक रोडमैप रणनीतियां, सभी केंद्रीय विभागों में बनाना और क्रियान्वयन करने की तैयारियां हम प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, पीआईबी सूचना प्रणाली के माध्यम से सुन, देख रहे हैं...साथियों बात अगर हम कौशलता सॉफ्टवेयर की परिवर्तनीय शक्ति की करें तो भारत में 135 करोड़ जनसंख्या में अधिकतम युवा साथी हैं। जिनके पास भारत की विरासत अध्यात्मिक उपचार की अपार ताकत है!!! जिसके कारण अनेक क्षेत्रों में बस!!! कुछ ट्रेनिंग देने की जरूरत है। आध्यात्मिक इमानदारी से सीखने में माहिर भारतीय जवान आसानी से कौशलता प्राप्त करने पर निपुण हो जाएंगे जिससे हम अब कौशलता सॉफ्टवेयर के नाम से जान सकते हैं, क्योंकि यह सॉफ्टवेयर अगर हर भारतीय युवा के पास आ गया तो वह स्वयं रोज़गार की उपलब्धता कराने में याने रोज़गार देने वाले बन जाएंगे और एक चैन क्रिएट होगी।
अधिकतम लोगों का स्वयं का मालकीया रोज़गार होगा। वह भी कौशलता सॉफ्टवेयर के रूप में!! एक साधारण भाषा में कहें तो एक मिस्त्री के रूप में वह कुचल सॉफ्टवेयर कारीगर होगा!! बस!! यही से उसके साथ भारत की भी काया पलटना शुरू हो जाएगी और इस मानव बल के आधार पर भारत का 2047 का विज़न उसके कई वर्ष पहले ही पूर्ण होने की संभावना निर्मित हो जाएगी!! बस जरूरत है ज़जबे और जांबाज़ी से इस कौशलता सॉफ्टवेयर को ग्रहण करने की और अपना जीवनस्तर उच्च कर भारत को आत्मनिर्भर बना कर 5 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक अर्थव्यवस्था का धनी देश बनाने की!! हम सब भारतीयों का सपना साकार होगा जिसकी प्रेरणा हमें हमारे माननीय पीएमसे मिली है...साथियों बात अगर हम 135 करोड़ भारतीयों के अपने- अपने क्षेत्रों में वैज्ञानिक कौशलता सॉफ्टवेयर ग्रहण करने और विशेष मंत्रालय, विशेष विभाग, आधारित परियोजनाओं के बजाय एकीकृत रूप से मिलकर काम करने और तालमेल से काम करने को अहमियतता दें, जिसके आधार पर हम सटीक कौशलता सफलता प्राप्त कर सकते हैं...साथियों बात अगर हम 11 सितंबर 2021 को भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने कहा कि भारत आर्थिक परिवर्तन के मुहाने पर खड़ा है, सभी संकेतक आने वाले महीनों में दीर्घकालिक विकास और रिकवरी की ओर इशारा करते हैं। विभिन्न संकेतों के आधार पर ही, आरबीआई ने 2021-22 के लिए 9.5 प्रतिशत के विकास अनुमान को बरकरार रखा है। उन्होंने कहा अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारकों की मजबूती, लगातार होते सुधारों, एफडीआई को खोलने और कारोबार करने में आसानी से प्रेरित होकर, आने वाले वर्षोंमें भारतीय अर्थव्यवस्था के 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है।
उनके अनुसार हिंदुस्तान चैम्बर ऑफ कॉमर्स(एचसीसी) जैसी संस्थाएं युवाओं के प्रशिक्षण और कौशल बढ़ाने की जिम्मेदारी लें और यह सुनिश्चित करें कि वे न केवल रोजगार के योग्य बनें बल्कि स्वरोजगार में भी सक्षम हों। उन्होंने कहा, उन्हें नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाला बनाने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए। भारत में शिक्षित, प्रतिभाशाली युवाओं की विशाल आबादी और वैज्ञानिक जनशक्ति की बात करते हुए कहा कि अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाकर नवाचार के लिए उचित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इस संदर्भ में उन्होंने सार्वजनिक और निजी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने की बात कही। उन्होंने एचसीसी जैसी संस्थाओं को इस तरह के गठजोड़ को सुगम बनाने में सक्रिय भूमिका निभाने की सलाह दी।...साथियों बात अगर हम पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति दिनांक 12 सितंबर 2021 को केंद्रीय विज्ञान एक्स प्रौद्योगिकी पृथ्वी विज्ञान मंत्री की एक विशेष मीडिया साक्षात्कार की करें तो उन्होंने कहा कि माननीय पीएम हमारे सबसे बड़े मार्गदर्शक हैं, जिनकी न केवल विज्ञान के लिए एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है, बल्कि वे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित पहल तथा परियोजनाओं को समर्थन व बढ़ावा देने में भी काफी आगे रहते हैं।
आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भारत के वैज्ञानिक कौशल की प्रमुख भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा हमारे वैज्ञानिक मानव संसाधन की गुणवत्ता दुनिया के अधिकांश विकसित देशों की तुलना में कहीं ज़्यादा बेहतर है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में एक अग्रणी राष्ट्र है और इसका तथ्य यह है कि नासा भी इसरो द्वारा प्राप्त आंकड़ों की खरीद करता है, इससे हमारी वैज्ञानिक प्रगति के बारे में बहुत कुछ पता चलता है। पिछले हफ्ते हुई एक नई पहल पर कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष / इसरो, सीएसआईआर, जैव प्रौद्योगिकी आदि सहित सभी विज्ञान मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधि अलग-अलग मंत्रालयों में से प्रत्येक के साथ व्यापक मंथन में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार कृषि, रेलवे, सड़क व जल शक्ति आदि से लेकर किस क्षेत्र में कौन से वैज्ञानिक अनुप्रयोगों का इस्तेमाल किया जा सकता है, इस पर काम करने के लिए लगातार प्रयासरत है।
इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि आज हर क्षेत्र वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी पर काफी हद तक निर्भर हो गया है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत की विरासत आध्यात्मिक उपचार की ताकतके साथ कौशलता सॉफ्टवेयर की परिवर्तनकारी शक्ति का उपयोग आत्मनिर्भर भारत बनाने में करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि भारत 135 करोड़ भारतीयों का एक युवा राष्ट्र है जो आत्मनिर्भर भारत बन कर दुनिया का नेतृत्व करने को तैयार है।