भ्रष्टाचार के हर मामले में अनिवार्य नहीं प्रारंभिक जांच :सुप्रीम कोर्ट

संवाद सहयोगी | पब्लिक एशिया
Updated: 08 Oct 2021 , 21:16:02 PM
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नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा है कि भ्रष्टाचार के हर मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले केद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के लिए प्रारंभिक जांच करने की अनिवार्यता नहीं है, वह सीधे मामला दर्ज कर सकती है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने अपने फैसले में शीर्ष अदालत की परंपरा एवं सीबीआई मैनुअल के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से जुड़े हर मामले में प्रारंभिक जांच करने की आवश्यकता है। सीबीआई यदि प्रारंभिक जांच करने का फैसला करती है तो आरोपी इसे (प्रारंभिक जांच के लिए) अधिकार के तौर मांग नहीं कर सकता है।

शीर्ष अदालत ने यह फैसला तेलंगाना के तत्कालीन शिक्षा मंत्री ऑडिमुलपु सुरेश एवं उनकी आईआरएस पत्नी टी एन विजयलक्षमी के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के एक मामले में दर्ज प्राथमिकी पर उठे सवाल के मामले से जुड़ी याचिका की सुनवायी करते हुए दी। वर्ष 2017 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने रद्द करने का आदेश दिया था। सीबीआई ने उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया।





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