मुजफ्फरनगर में करोना काल के चलते 200 परिवार खानाबदोश

Public Asia | पब्लिक एशिया ब्यूरो
Updated: 19 Sep 2020 , 15:42:37 PM
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मुजफ्फरनगर देश में पिछले 6 महीनो से वैश्विक महामारी फैली हुयी है। जिसके लिए सरकार ने इस महामारी से देश वासियो को बचाने के लिए लॉक डाऊन के चलते सरकारी खजाने खोलकर जरूरतमंदो को फ्री राशन वितरण किया गया तो कंही महामारी से बचने के लिए मास्क और सेनिटाइजर भी वितरण किये गए। इतना ही नहीं जिला प्रसाशन द्धारा कोरोना संक्रमण को समाप्त करने के लिए सरकारी भवनों प्रसाशनिक कार्यालयों और  मुख्य चोराहो पर सेनिटाइजेशन का कार्य किया जा रहा है। लेकिन मुज़फ्फरनगर में सड़को के किनारे बसी झोपड़ पट्टी के लगभग 200 परिवार कोरोना काल में सरकार की इन इन सभी सुविधाओं से महरूम रहकर अपना जीवन यापन करते नजर आ रहे है। सडको पर कूड़ा बीनकर अपना जीवन यापन करने वाले ये झोपड़ पट्टी के छोटे बच्चे इस भयानक महामारी से अन्जान है इन्हे हाथ धोने के लिए न ही साबुन की जरूरत और न ही सेनिटाइजर और मास्क  जैसे सुरक्षा कवच की आवश्यकता है बस इन सभी लोगो का जीवन कोरोना काल में भगवान के भरोसे चलता नजर आ रहा है। मुज़फ्फरनगर के रूड़की चुंगी के निकट सडको के किनारे बसी ये झोपड़ पट्टिया खाना बदोश उन 200 परिवारों की है जिसमे पुरुष छोटा मोटा काम करके अपना जीवन यापन करता है तो घर की महिलाये सडको पर उतरकर  भीख मांगती है। वंही इन परिवारों के अर्धनग्न छोटे बच्चे भी सडको पर कूड़ा बीनकर और भीख मांगकर अपना पेट भरते है।  सरकार ने भले ही इन परिवारों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए इन परिवारों को आधार कार्ड और राशन कार्ड मुहैय्या करा दीये हो , लेकिन पिछले 6 महीनो से कोरोना जैसी महामारी के चलते यह खानाबदोश लोग सरकार की हर सुख सुविधाओं से महरूम है।  जिला प्रसाशन द्धारा नगर वासियो के लिए जगह जगह कोविड - 19 की जांच के कैंप लगाए गए लेकिन इन झोपड़ पट्टियों में रहने वाले लोगो पर जिला प्रसाशन की नजर नहीं है।  इतना ही नहीं सरकार द्धारा नगरवासियो को सरकारी खजाने से कोरोना सुरक्षा के लिए मास्क और सेनिटाइजर का फ्री वितरण किया गया लेकिन ये परिवार इन सभी सुविधाओं से महरूम रहकर भगवान् का शुक्र अदा  कर रहे है की वह इस भयानक स्थिति में भी स्वस्थ है। झोपड़ पट्टी में रहने वाली स्वरूपी का कहना है की कबाड़ा बीनकर और मांग कर अपना गुजारा चला रहे है , कोई भी ऐसा साधन नहीं की कोई हाथ धोने का साबुन भी देकर नहीं जा रहा हो।  सरकार हमारा कुछ भी नहीं कर रही , हमारी कंही सुनवाई नहीं है।  जब वोट लेने आते है वोट लेकर चले जाते है उसके बाद कोई भी नहीं आता। वोट सभी के बने हुए है,न हमारे घरो में लाइट है न ही सरकार कोई मदद कर रही बाल बच्चे कबाड़ा बीनने जाते है उससे गुजरा चल रहा है। न ही कोई खाना मिल रहा है और ना ही हाथ धोने का साबुन ही मिल रहा बस सरकार को वोट चाहिए हमारा. इस भयानक  बीमारी में माता रानी ने ही बचा रखा है हमें। मुज़फ्फरनगर में कोरोना संक्रमण निरंतर बढ़ रहा है , इस भयानक संक्रमण से बचाव के लिए बुद्धिजीवी वर्ग हो या फिर मध्यवर्गीय लोग अपने अपने ढंग से मास्क लगाकर और सामाजिक दूरिया बनाकर खुद का बचाव कर रहे है इतनी सुरक्षा के बाद भी कोरोना संक्रमण निरंतर बढ़ रहा है। मुज़फ्फरनगर नगर में चाहे न्यायपालिका हो या फिर जेल, प्रसाशनिक अधिकारी कर्मचारी और पुलिस विभाग के आला अधिकारी भी खुद को कोरोना संक्रमण से बचा नहीं पाए है।  लेकिन इसे कुदरत का करिश्मा ही कहेंगे की ये खाना बदोश लोग आज भी भयानक संक्रमण के चलते बिना किसी सुरक्षा या बचाव के स्वस्थ नजर आ रहे है।  झोपड़ पट्टी में रहने वाले युवा नरोत्तम का कहना है की यंहा के बच्चे कूड़ा बीनते है जिससे गुजारा  चलता है। न ही  बच्चो के लिए कोई सेनिटाइजर है और ना ही मास्क है और न ही इन झुग्गियो में सेनिटाइजर किया जा रहा । न जिला प्रसाशन हमारी सुन रहा और न ही यंहा के 6- 6 विधायक है जो गरीबो की सुनवाई कर रहे हो।  सरकार बड़े बड़े लोगो की सुरक्षा में लगी है गरीबो की नहीं सब परमात्मा के भरोसे चल रहा है।   

जाके राखो  साइंया मार सके न कोई .... देश में फैली कोरोना महामारी संक्रमण से देश का राजनेता हो या फिर अभिनेता या फिर सरकारी अधिकारी या कर्मचारी ही क्यों न हो कोरोना सुरक्षा कवच और सावधानियों के बाद भी ये लोग खुद को संक्रमण से बचा नहीं पाए कुछ की मृत्यु हुई तो कुछ कोरन्टाईन होकर अपना उपचार करा रहे है लेकिन इसे कुदरत का चमत्कार ही कहेंगे की बिना सुख सुविधाओं के भी सडको पर रहने वाले ये खानाबदोश लोग इस भयानक बीमारी में भी भगवान् भरोसे स्वस्थ नजर आ रहे है।





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