मोदी ने प्रशासन,अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर उठाएं हैं दूरगामी कदम : विश्लेषक

संवाद सहयोगी | पब्लिक एशिया
Updated: 07 Oct 2021 , 22:33:32 PM
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नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर देश के प्रधानमंत्री के रूप में योजनाओं के क्रियान्वयन, प्रशासन में प्रौद्योगिकी के प्रयोग और कारोबार सुगमता की दिशा में कई दूरगामी प्रभाव वाले कदम उठाए हैं और उनकी इस निर्णय क्षमता, नीतियों में पारदर्शिता तथा बुनियादी ढ़ांचे के विकास की दृष्टि के कारण भारत में निवेशकों का विश्वास और पूंजी प्रवाह बढ़ा है।

यह मत  मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री तथा देश के प्रधानमंत्री के रूप अनवरत 20 साल के शासन के बारे में विशेषज्ञों तथा विश्लेषकों ने व्यक्त किया है।  मोदी के नोटबंदी जैसे कुछ विवादास्पद निर्णयों के बारे में कुछ विश्लेषकों का मानना है कि उनकी सरकार के कुछ निर्णय ऐसे है जो उनके पास अच्छे आर्थिक सलाहकारों की कमी का संकेत देते हैं तो उनमें से कुछ का कहना है कि कुछ निर्णय ऐसे होते ही है जिनके कुछ विपरीत प्रभाव भी हो जाते हैं।

मोदी सरकार पर सत्ता के केंद्रीयकरण और अलोकतांत्रिक होने जैसे आरोपों के बारे में एक विश्लेषक ने कहा “इस तरह की उल्टी पल्टी कहानी तथाकथित वामपंथी उदारवादी खेमे’’ की देन है जिसमें उनके साथ सहानुभूति रखने वाले कुछ विदेशी मीडिया संगठनों का भी हाथ है।

बाजार प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता अधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन कट्स इंटरनेशन के महासचिव प्रदीप मेहता ने मोदी के राज-काज के आज 20 साल पूरे होने पर यूनीवार्ता के साथ बातचीत में कहा , ‘‘मैं उनके इन बीस वर्षों को सकारात्मक रूप से देख रहा हूं। उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण-डीबीटी और जनधन खाता जैसे कुछ ऐसे काम हुए हैं जो पहले किसी ने नहीं सोचे थे। कुछ कमजोरियां भी रही है लेकिन श्री मोदी का परिश्रम देख कर ताज्जुब होता है।’’

 मेहता ने कहा कि  मोदी के गुजरात माडल या वायब्रैंट गुजरात अभियान इसलिए लोगों को आकर्षित किया क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में  मोदी ने नौकरशाही में काम के प्रति ‘तत्परता की भावना जागृत और स्थापित की।’ मेहता की राय में ‘गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने नौकरशाही पर विश्वास किया और अधिकारियों ने उनको काम कर के परिणाम दिए। अन्य राज्यों की नौकरशाही में वह तत्परता नहीं दिखती।’ लेकिन मेहता का यह भी कहना है ‘केंद्र सरकार के काम अलग है। यहां पीएमओ-प्रधानमंत्री कार्यालय में सब कुछ केंद्रित नहीं किया जा सकता। यह नकारात्मक है। यहां पूरे मंत्रिमंडल को साथ लेकर चलना होता है।भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता और आर्थिक विश्लेषक गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा “मोदी की सारी योजनाओं को देखें तो उसका लक्ष्य गरीबों, महिलाओं और दलितों को उनका पूरा लाभ बिना भेदभाव के और भ्रष्टाचार से मुक्त तरीके से उन तक पहुंचाना है।”

उन्होंने कहा कि पहले मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री के रूप में  मोदी का यही उद्देश्य है कि सरकारी योजनाओं का लाभा हर वर्ग और हर क्षेत्र को बिना भेदभाव के मिले। उनका कहना था कि मोदी यह जानते हैं कि कल्याणकारी योजनाएं तब ही चलाई जा सकती हैं जब सरकार के पास संसाधन हों और संसाधन आर्थिक वृद्धि को गति देकर तथा बुनियादी ढांचे को सुधार कर ही पैदा किये जा सकते हैं। इसीलिए उन्होंने वायब्रैंट गुजरात और आत्मनिर्भर भारत जैसे कार्यक्रम शुरु किये हैं। इससे भारत कोविड संकट के बाद भी सबसे तेज गति से वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था बनकर फिर उभरा है और विश्व बैंक तथा मुद्राकोष जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भारत की सरहाना कर रही हैं।

 अग्रवाल ने कहा कि राजकाज के क्षेत्र में मोदी ने कुछ स्थायी सुधार किये हैं। उन्होंने सरकारी कार्यप्रणाली को प्रौद्योगिकी और कृत्रिम मेधा तथा ब्लॉक चेन तकनीकी का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने टीकाकरण में कोविन और आरोग्यसेतु जैसे एप के जरिए जो उपलब्धि हासिल की है वह अमेरिका जैसे देश भी नहीं कर सके हैं। यही कारण है कि तकनीकी के प्रयोग से ही भारत टीका पाने वाले हर व्यक्ति को प्रमाण पत्र दे सका है।

उन्होंने कहा कि मोदी की एक बड़ी उपलब्धि नीतिगत निर्णय लेने की क्षमता है। इससे पहले की सरकार पर आरोप था कि वह नीति गत निर्णय के मामले में लुंजपुंज है। नोटबंदी पर विवाद के बारे में अग्रवाल ने कहा “कभी कभी किसी फैसले के कुछ प्रतिकूल परिणाम होते हैं लेकिन यह भी हमें देखना चाहिए इससे अर्थव्यवस्था में संगठित क्षेत्र का विस्तार हुआ। कुछ लोगों ने पुरानी कमजोरियों का फायदा उठाकर कालेधन को वैध करने का प्रयास किया होगा लेकिन कुल मिलाकर यह अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए उठाया गया कदम था।

इस मुद्दे पर कट्स इंटरनेशनल के प्रदीप मेहता का कहना था “यह गलत निर्णय था। आम लोगों ने उसमें सरकार का साथ दिया भले ही वे उससे परेशान हुए हों क्योंकि लोगों को लगता था कि यह अमीर लोगों पर सरकार की तरफ से एक चोट है।” कृषि कानूनों के बारे में  मेहता ने कहा कि लोगों को लगता है कि इससे कृषि का लाभ पूंजीपतियों के हाथ में चला जाएगा। इस बारे में किसानों की आशंका दूर करना जरूरी है। अग्रवाल ने कहा कि वामपंथी उदारवादी ताकतें जिसमें न्यूयार्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट जैसे अखबार भी हैं, वे सब नागरिकता संशोधन कानून-सीएए और कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अनर्गल बातें फैलाते आ रहे हैं।

उद्योग मंडल फिक्की के महासचिव दिलीप चेनॉय ने कहा “मोदी जब से मुख्यमंत्री बने और आज भी उनकी सोच में स्थिरता और स्पष्टता है और यह उनके साथ काम करने वालों के लिए प्रेरणा का काम करती है।  मोदी की नीतियों और कार्यक्रमों काे देखें तो उनका उद्देश्य स्पष्ट है। वह चाहते हैं कि भारत तरक्की करे और देश के हर वर्ग तक विकास का लाभ पहुंचे।”

चेनॉय ने कहा कि मोदी ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने खुलकर उद्योग जगत का पक्ष लिया और उन्हें ‘संपत्ति सृजनकर्ता’ बताया है। उन्होंने सहकारी संघवाद का ढांचा बनाया और राज्यों को विकास और सुधारों के प्रयास में साथ रखा। उन्होंने कहा कि मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का सराहनीय नारा दिया और उसमें अब ‘सबका प्रयास’ भी जोड़ा है। मोदी ने कारोबार सुगमता के साथ साथ जीवन की सुगमता का भी नारा दिया है। फिक्की उनके इस प्रयास में सरकार के साथ है।’





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