ध्यान चंद राष्ट्रीय खेल अवार्ड कमेटी ने भले ही ओलंम्पिक रजत विजेता पहलवान रवि दहिया को खेल रत्न देने की सिफारिश की है लेकिन उसे पहले अर्जुन अवार्ड चाहिए।
यह सही है कि रवि ने टोक्यो ओलंम्पिक में रजत पदक जीत कर देश का नाम रौशन किया लेकिन वह बिना अर्जुन बने खेल रत्न नहीं चाहता । इस बारे में उसने खेल मंत्रालय और कुश्ती फेडरेशन को पहले ही बता दिया था। फेडरेशन सचिव तोमर के अनुसार फेडरेशन ने उसकी भावना का सम्मान रखते हुए अर्जुन अवार्ड देने की सिफारिश की थी लेकिन अवार्ड कमेटी ने अपनी मर्जी से उसे उन ग्यारह खिलाड़ियों में स्थान दिया है जिनके लिए खेल रत्न की सिफारिश की गई है।
रियो ओलंम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। उसे बिना अर्जुन अवार्ड दिए खेल रत्न बना दिया गया। साक्षी इस मेहरबानी का बराबर विरोध करती आई है लेकिन किसी ने भी उसकी एक नहीं सुनी।
रवि दहिया का मानना है कि उसनेअर्जुन अवार्ड के लिए पर्याप्त उपलब्धियां अर्जित की हैं तो फिर अर्जुन अवार्ड क्यों नहीं। खेल रत्न उसे अगले साल भी मिल सकता है, जिसका वह प्रबल दावेदार है।
साक्षी के बाद रवि इस दूसरा खिलाड़ी है जिसने खेल रत्न पर एतराज किया है। वह पूछता है कि खेल रत्न के बाद अर्जुन अवार्ड मिल सके तो ठीक। वरना यह कायदा उसे पसंद नही है। इतना तय है कि साक्षी की तरह वह भी अर्जुन नहीं कहलाएगा।