रेलवे की एक लाख करोड़ की क्षमता निर्माण परियोजनाओं पर काम तेज

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाता
Updated: 29 Jun 2021 , 18:13:11 PM
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नयी दिल्ली  कोविड महामारी के बीच भारतीय रेलवे मिशन मोड में काम करते हुए अगले कुछ वर्षों में एक लाख 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 58 अति महत्वपूर्ण और 68 महत्वपूर्ण परियोजनाओं का काम पूरा करने के लिए तेजी से अग्रसर है।

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार कोविड की चुनौतियों के बावजूद भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे पटरियों की क्षमता बढ़ाने के लिए अत्यावश्यक परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रहा है। पिछले एक वर्ष में 11 हजार 588 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल एक हजार 44 किलोमीटर लंबाई की 29 अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं चालू हो गई हैं।

अति महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भीड़भाड़ वाले मार्गों पर यात्री और माल ढुलाई की सुचारू आवाजाही, ट्रेनों की गति बढ़ाने, नई रेल सेवा शुरू करने, सुरक्षा में वृद्धि के लिए अधिक लाइन क्षमता उपलब्ध होगी क्योंकि इन व्यस्त मार्गों पर रखरखाव आदि के लिए समय उपलब्ध होगा।

भारतीय रेल ने 39 हजार 663 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल तीन हजार 750 किलोमीटर लंबाई की कुल 58 अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं को चिन्हित किया है। इन 58 अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से 27 परियोजनाएं इसी वर्ष दिसंबर तक पूरी हो जाएंगी जबकि शेष दो परियोजनाएं मार्च 2022 तक सौंपी जाएंगी।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल नेटवर्क का अधिकांश यातायात गोल्डन चतुर्भुज, उच्च घनत्व नेटवर्क मार्गों और अत्यधिक उपयोग किए गए भारतीय रेलवे नेटवर्क मार्गों पर चलता है। उच्च घनत्व और अत्यधिक उपयोग किए जाने वाले नेटवर्क मार्ग का हिस्सा कुल भारतीय रेल नेटवर्क की लंबाई का 51 प्रतिशत है लेकिन इसमें 96 प्रतिशत यातायात हाेता है।

केंद्रीय स्तर पर वित्त पोषण तथा निरंतर निगरानी से इन परियोजनाओं को जल्द पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है ताकि निवेश का लाभ उठाया जा सके। पूरी होने पर ये परियोजनाएं मोबिलिटी, सुरक्षा में सुधार लाएंगी और इन अति व्यस्त मार्गों पर सवारी और मालगाड़ी चलाने की अतिरिक्त क्षमता का निर्माण होगा। शीघ्र पूरी की जाने वाली चिन्हित परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन को उच्च प्राथमिकता दी गई है।

अधिकारियों ने अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि 39 हजार 663 करोड़ रुपए लागत की तीन हजार 750 किलोमीटर कुल लंबाई वाली 58 परियोजनाओं को अति महत्वपूर्ण चिन्हित किया गया है। ये अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं मल्टी-ट्रैकिंग यानी दोहरीकरण/तीसरी लाइन/चौथी लाइन की व्यस्त मार्गों पर हैं। इन परियोजनाओं के पूरी होने पर रेलवे, इन सघन/ अति व्यस्त/व्यस्त मार्गों पर सुरक्षा के साथ तेज गति से अधिक यातायात संचालन में सक्षम होगी। अब तक 11 हजार 588 करोड़ रुपए लागत की एक हजार 44 किलोमीटर कुल लंबाई की 29 परियोजनाएं चालू कर दी गई हैं।

महत्वपूर्ण परियोजनाओं के बारे में उनका कहना है कि 75 हजार 736 करोड़ रुपये की लागत वाली छह हजार 913 किलोमीटर कुल लंबाई की 68 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की पहचान की गई है और एक हजार 408 करोड़ रुपये की लागत वाली 108 किलोमीटर लंबी चार परियोजनाएं अब तक पूरी कर ली गई हैं और शेष परियोजनाओं को मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

भारतीय रेलवे ने कोविड-19 महामारी के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1614 किलोमीटर दोहरीकरण / तीसरी / चौथी लाइन चालू की है। महामारी की स्थिति के बावजूद भारतीय रेलवे ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 133 किलोमीटर दोहरीकरण/तीसरी लाइन चालू की है।

अधिकारियों ने बताया कि भारतीय रेलवे ने असम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कुछ प्रमुख क्षमता निर्माण परियोजनाएं पूरी की हैं। असम में न्यू बोंगईगांव-गुवाहाटी खंड के ब्रह्मपुत्र नदी पर नारायण सेतु पर दूसरी लाइन ट्रैक चालू होने से इस सेक्शन पर काफी राहत मिलेगी। पश्चिम बंगाल दो दोहरीकरण परियोजनाओं यानी कटवा-बाजार साऊ और अजीमगंज-बाजार साऊ का हिस्सा चालू किया है। महाराष्ट्र में अति महत्वपूर्ण परियोजना भुसावल-जलगांव तीसरी लाइन शुरू की है तथा उत्तराखंड में हरिद्वार-लक्सर दोहरीकरण जनवरी में पूरा होने के बाद नई दिल्ली से मेरठ, मुजफ्फरनगर और रुड़की होते हुए हरिद्वार तक इस व्यस्त मार्ग पर समयबद्धता में सुधार हुआ है।





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