रेहाना मरियम नूर’ बनी कांस में प्रदर्शित पहली बंगलादेशी फिल्म

पब्लिक एशिया ब्यूरो | विशेष संवाददाताl
Updated: 08 Jul 2021 , 18:51:13 PM
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नयी दिल्ली,   बंगला भाषा की फिल्म ‘रेहाना मरियम नूर’ ने दुनिया के सबसे बड़े फिल्म समारोह ‘कांस’ में प्रदर्शित होने वाली पहली बंगलादेशी फिल्म बनने का गौरव हासिल कर लिया है।
बंगलादेशी निर्देशक अबुल्लाह मोहम्मद साद की फिल्म ‘रेहाना मरियम नूर’ ने बुधवार को उस समय इतिहास रच दिया, जब वह कांस में प्रदर्शित होने वाली बंगलादेश की पहली फिल्म बन गयी। निर्देशक साद की दूसरी फीचर फिल्म विश्व सिनेमा में नयी प्रतिभाओं का जश्न मनाने के लिए निर्धारित ‘अनसर्टेन रिगार्ड’ वर्ग का हिस्सा थी। समारोह के दूसरे दिन इसका वर्ल्ड प्रीमियर किया।
बंगलादेश-सिंगापुर के सहयोग से निर्मित 107 मिनट की यह फिल्म एक मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर रेहाना मरियम नूर की कहानी बताती है, जिन्हें एक वरिष्ठ संकाय सदस्य द्वारा किये गये यौन उत्पीड़न का खुलासा करने पर संस्थान से लड़ना पड़ता है। विश्व स्तर पर ‘मीटू’ आंदोलन की शुरुआत के कई वर्षों पहले पिछले दशक के मध्य के समय के की कहानी कहती यह फिल्म उप-महाद्वीप में मौजूद कठोर लैंगिक अन्याय और असमानता को उजागर करती है।
बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के एशियन सिनेमा फंड और दोहा फिल्म इंस्टीट्यूट से पोस्ट-प्रोडक्शन ग्रांट द्वारा समर्थित, ‘रेहाना मरियम नूर’ साद की पहली फीचर फिल्म ‘लाइव फ्रॉम ढाका’ की तरह की फिल्म है, जो समाज में एक विकलांग व्यक्ति के संघर्ष के बारे में है।
यह पहली बार है जब किसी बंगलादेशी फिल्म का कांस में आधिकारिक रूप से चयन किया गया है। बंंगलादेशी फिल्म निर्माता तारिक मसूद की ‘माटीर मोइना’ (द क्ले बर्ड) को कांस के समानांतर चयन ‘डायरेक्टर्स फोर्टनाइदट’ में प्रदर्शित किया गया था। सत्यजीत रे और मृणाल सेन की बंगाली फिल्में पिछली शताब्दी के उत्तरार्ध में कांस के मुख्य प्रतियोगिता खंड में नियमित तौर पर प्रदर्शित की जाती थीं।





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