रोहिणी कोर्ट शूटआउट से अदालतों की सुरक्षा पर सवालिया निशान

मनोज कुमार अग्रवाल |
Updated: 25 Sep 2021 , 17:11:45 PM
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देश की सबसे सुरक्षित कानून व्यवस्था वाली राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में  शूटआउट की वारदात ने एक बार फिर अदालतों की मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है। यह पहला मौका नहीं है जब किसी अपराधी पर भरी अदालत में राइवल गैंग के बदमाशों ने अटैक किया है देश भर की अदालतों में इस तरह की वारदातों को अंजाम दिया जाता रहा है लेकिन चूंकि राष्ट्रीय राजधानी की अदालतों में सुरक्षा के बेहतर इंतजाम का दावा किया जाता है यहां तक कि प्रवेश के तमाम रास्तों पर पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों के जवान मैटल डिटेक्टर के साथ जांच.पड़ताल कर ही प्रवेश देते हैं इस सबके बावजूद जिस तरह दो हमलावर वकील की ड्रेस पहन कर बिना किसी जांच के अदालत में जाकर बैठ गए और उन्होंने कोर्ट के भीतर पेशी पर आए राइवल क्रिमिनल को जज के सामने ही गोलियों से भून दिया यह बयान करने के लिए काफी है कि हमारी मौजूदा सुरक्षा व्यवस्थाओं में कितना बड़ा झोल या सुराख मौजूद हैं। जाहिर है कि तमाम चैकिंग का नाटक सिर्फ आम नागरिकों के लिए होता है न कि अपराधियों के लिए वरना सिर्फ एक काले कोट के सहारे दो हमलावर अदालत के भीतर हथियारों के साथ कैसे पहुंचते। इस तरह की लापरवाही भरी व्यवस्था कितनी खतरनाक साबित हो सकती है।


जब साधारण से अपराधी इस तरह वारदात को अंजाम दे रहे हैं तो प्रशिक्षित आतंकी कितनी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैंघ् आखिर क्या वजह है कि हमारी बेसिक फर्स्ट स्टैप सुरक्षा के जवान इतनी मूर्खता व लापरवाही से अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं। इस वारदात में दिल्ली की सुरक्षा एजेंसियों के मुंह को पूरी तरह कलंकित होने सेए स्पेशल सेल के जवानों ने अपनी त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों हमलावरों को ढेर कर बचा लिया है अगर दोनों हमलावरों पर जवाबी कार्रवाई नहीं होती तो पल भर की चूक से  वह फरार हो जाते और फिर  दिल्ली पुलिस को  चेहरा छुपाने के लिए मुश्किल होती। 


जैसा कि पता हो कि शुक्रवार को रोहिणी कोर्ट में पेशी के लिए लाए गए मोस्ट वॉन्टेड जितेंद्र उर्फ गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई है।जितेंद्र पर हमला करने वाले हमलावर वकील के भेष में कोर्ट में आए थेए इसी का फायदा उठाकर कोर्ट परिसर में हमला किया गया।  तिहाड़ जेल में बंद जितेंद्र उर्फ गोगी को  रोहिणी कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था। जितेंद्र दिल्ली के मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर में से एक है। दोपहर को कोर्ट नंबर 206 के बाहर जितेंद्र पर गोलीबारी की गई। 


पुलिस के अनुसार दिल्ली के ही टिल्लू ताजपुरिया गैंग के लोगों ने ही वकील के ड्रेस में जितेंद्र पर हमला किया है। जो दो हमलावर हैंए उनमें से एक का नाम राहुल है जिसपर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित है। वकील के काले कोट पहन कर आए बदमाशों पर स्पेशल सेल के जवानों ने जवाबी फायरिंग की थीए जो कि जितेंद्र उर्फ गोगी के साथ में थे। इसी फायरिंग में दोनों हमलावर ढेर हुए हैंए इस दौरान एक महिला वकील भी घायल हुई है। इस पूरे घटनाक्रम में करीब 30.40 गोलियां चलना बताया जा रहा हैं। 


शुक्रवार दोपहर को जब रोहिणी कोर्ट परिसर में ये फायरिंग हुईए उसके बाद हर जगह अफरा.तफरी मच गई। पुलिस द्वारा तुरंत ही जगह को घेरा गया और लोगों को सुरक्षित करने की कोशिश की गई।घटना के बाद आसपास के इलाके को सील कर दिया गया है।


याद रहे कि जितेंद्र उर्फ गोगी को साल 2020 में गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था। स्पेशल सेल ने ही उसकी गिरफ्तारी की थीए तभी से उसे तिहाड़ जेल में बंद किया गया था। सुरक्षा एजेंसी को पेशी के दौरान विरोधी गैंग के शूटर्स द्वारा गोगी पर हमले की आशंका थी। इसे देखते हुए नॉर्दन रेंज सेल की टीम के अलावा दूसरी रेंज की स्पेशल सेल की टीम भी कोर्ट में थी।लेकिन सुरक्षा एजेंसी को खास सटीक इनपुट नही था कि कहां और कब हमला हो सकता है। हमलावर वकील की ड्रेस में कोर्ट के अंदर आकर हमला करेंगेए इसका अंदाजा सुरक्षा एजेंसी नहीं था। यही चूक भारी पड़ गई। बताया जा रहा है कि मारे गए बदमाश गोगी का नाम सुनवाई सूची में पहले नंबर पर था। लेकिन सबसे बाद में उसे पेश किया गया। जैसे ही भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गोगी को दोपहर एक बजे के करीब कोर्ट रुम में लाया गया।


वकील के वेश में बैठे दो हमलावरों ने उस पर गोली चला दी। इसके जवाब में अदालत में पहले से मौजूद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारियों ने दोनों हमलावरों पर फायरिंग की। सुरक्षा पहले से पुख्ता होने के चलते हमलावरों को भागने या कहीं और गोलीबारी करने का मौका नहीं मिल सका। देश की कई अदालतों में इस तरह की गोलीबारी की वारदातें हो चुकी है ऐसे में गवाही देने आने वाले गवाहों व सुनवाई कर रहे न्यायिक अधिकारियों का मनोबल भी टूटता है हमारा समूचा न्यायिक ढांचा पहले से ही विसंगतियों व राजनीतिक अपराधिक गठजोड़ के दबाव का शिकार है दो तीन माह पहले ही धनबाद झारखंड के एक जज को मार्निंग वाक के दौरान जानबूझकर कुचल कर मार दिया गया। ऐसी परिस्थिति में न्याय के मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है वरना जंगलराज के हालात को रोकना कठिन होगा।





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