लगभग दो महीने बाद ही सही , खेल मंत्रालय को फुर्सत मिल गई है और हर साल 29 अगस्त को दिए जाने वाले राष्ट्रीय खेल अवार्डों के लिए गठित अवार्ड कमेटी को फाइनल लिस्ट सौंप दी गई है। स्क्रीनिंग कमेटी ने मेजर ध्यान चंद खेल रत्न अवार्ड, अर्जुन अवार्ड, द्रोणाचार्य अवार्ड, और ध्यान चंद अवार्ड के लिए श्रेष्ठ खिलाडियों और गुरुओं की लिस्ट तैयार कर ली है जिस पर 26 और 27 अक्टूबर को अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने खेल अवार्डों से पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गाँधी का नाम हटा कर मेजर ध्यान चंद के नाम पर सम्मान देने का फैसला लिया है। हालाँकि ध्यान चंद अवार्ड पहले से ही गठित है लेकिन इस साल पहली बार से सभी अवार्ड हॉकी जादूगर मेजर ध्यान चंद के नाम पर दिए जायेंगे। देश के राष्टपति चैम्पियन खिलाडियों और कोचों को अपने हाथों सम्मान देंगे, जिनमें संभवतया टोक्यो ओलम्पिक के बहुत से पदक विजेता खिलाडी और उनके कोच भी शामिल होंगे।
खेल मंत्रालय कि स्क्रीनिंग कमेटी ने एक ऐसा नाम भी अवार्ड कमेटी के सामने रखा है जिसने भारतीय तीरंदाजी में बढ़ चढ़ कर भूमिका निभाई है। पहले एक खिलाडी और फिर कोच के रूप में तीरंदाजी को बढ़ावा देने वाले लिम्बा राम के नाम को लाइफ टाइम द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए फाइनल लिस्ट में शामिल किया गया है , जोकि सराहनीय कदम है।
राजस्थान के आदिवासी समाज के इस प्रतिनिधि ने आजीवन तीरंदाजी का मान सम्मान बढ़ाया। पहले एक तीरंदाज और फिर राष्ट्रीय कोच के रूप में उसने जो योगदान दिया है उसे देखते हुए आम और खास भारतीय उसके मुरीद रहे हैं। भले ही वह ओलम्पिक में एकदम करीब पहुँच कर पदक चूक गया लेकिन खेल जानकार मानते हैं कि लिम्बा के समय में अच्छे कोच उपलब्ध होते और आज की तरह कि सुविधाएं मिल पातीं तो वह निश्चित ओलम्पिक पदक जीत सकता था। वह जो कुछ बन पाया उसमें खुद की मेहनत का हाथ रहा। देश के जाने माने तीरंदाज अतनु दास , दीपिका कुमारी , प्रवीण जाधव, तरुण दीप रॉय, जयंत तालुकदार, सनम, मंजूधा सोय और दर्जनों अन्य तीरंदाजों ने लिम्बा से ट्रेनिंग ली और बड़ा नाम कमाया । वर्ल्ड चैम्पियनशिप और एशियन चैम्पियनशिप में लिम्बा द्वारा प्रशिक्षित खिलाडियों ने ढेरों पदक भी जीते।
लम्बे समय तक भारतीय तीरंदाजी की सेवाओं के लिए लिम्बा को अर्जुन और पद्मश्री सम्मान दिए गए। अफ़सोस की बात यह है कि हमारा श्रेष्ठ धनुर्धर पिछले कुछ सालों से गंभीर बीमारी से जूझ रहा है। वह सालों पहले द्रोणाचार्य अवार्ड का हकदार था लेकिन पिछली कमेटियों ने उस पर ध्यान नहीं दिया। अपनी उपलब्धियों के दम पर वह लाइफ टाइम द्रोणाचार्य अवार्ड का हकदार बनता है। यदि उसे सम्मान मिलता है तो तीरंदाजी जैसे विशुद्ध भारतीय खेल को बढ़ावा मिलेगा।