श्रृष्टि के श्रृजन में जल का महत्व जल है तो जीवन है:खबरीलाल

विनोद तकियावाला | पब्लिक एशिया
Updated: 07 Sep 2021 , 18:08:10 PM
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 श्रष्टि के श्रृजन में जल का महत्व से हम सभी भली भांति परिचित है 'आदि काल मे जीवन का जब आरम्भ हुआ तब से सर्व प्रथम जल था। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमारे धर्म ग्रंथो मे उल्लेख किया है।जल के बिना जीवन की परिकल्पना नही की जा सकती है। तभी तो कहा गया है'जहाँ जल है ,वहाँ जीवन है ।आज कल के वैज्ञानिक भी इस बात का पता लगाने में लगे है ! चाहे वह धरती हो या आसमान ।

मानव ' पशु -पक्षी 'पेड़-पौधे, वनस्पति  के मूल में जल है।आज के वैज्ञानिक युग में हम सभी जी रहे है। तभी तो आवशयकता ही आविष्कार की जननी कहा गया है। विकाश के इस अन्धे युग में हम प्रकृति से छेड़ छाड़ करने से बाज नही आ रहे है । परिणाम आप के समाने है। प्रकृति का मियाज़ बदल रहा है। गलोबल वार्मिंग के भंयकर परिणाम समाने है।जो कि पर्यावरण विद की चिन्ता का विषय बना है। विश्व केअन्तर्राष्ट्रीय मंच पर आये दिनो इस विषय पर चिन्तन व चर्चा हो रही है। वैज्ञानिक का मानना है किअगला विश्व युद्ध जल को ले होने वाला है। मानव की आज की लाह परवाही हमारे भविष्य की पीढ़ियों को भुगतना पड़ सकता है।

श्रृष्टि में परिवर्तन प्रकृति का नियम है ' इस सत्य से हम व आप भली भाँति परिचित  है।  मौसम  ने करवटे ली है , दिल्ली वाले को कुछ दिन पूर्व ही सर्दी से छुटकारा पाई है ' बसंत के बहते ब्यार के मध्य मे भगवान भुवन भास्कर ने थोडी सी तीरक्षी नजर से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते ही  दिल्ली वालो ने चिल चिलाती गर्म हवा  से निजात पाने हेतु ए सी कलूर जैसे अति आधुनिक उपकरण की तैयारी कर अपनी रक्षा सुःख सुविधाओं के लिए की । कुछ दिन हुए है दिल्नी वाले के लिए जल आपूर्ति की भयंकर संकट समस्या से निजात मिली है।

जिसकी आशंका व चिन्ता हमारे पर्यावरणविद्  के द्वारा समय समय पर की जा रही है।विकाश के इस अन्धी दौड़ में लगातार पेड़  की कटाई व अवैध निमार्ण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ सा गया है। इस बात की चर्चा केवल सरकारी फाईल व सेमिनार तक ही सीमित हो कर रहा गया है। जो कि अति शोचनीय व दुष्कर परिणाम का सूचक है।इन्द्र देव की कृपा के कारण देश की राजधानी दिल्ली में विगत दिनो सावन -भादो की रिमझिम फुहार का आनंद हम सभी ले रहे थे । दिल्ली वाले जरा कुछ दिन पहले के उस दिन याद कर ले जब जल की एक बूंद के लिए हम सभी तरस रहे थे ' जल की आपूर्ति के लिए जगह जगह धरणा प्रर्दशन ' मटका फोड़ कर अपना विरोध प्रर्दशन कर रहे थे । वही जल आज इधर उधर बह कर नदी नाले बह रहा है। क्या आप ने इस संदर्भ मे सोचा है ?  

       विगत दिनो जल संचय सपथ ग्रहण समारोह  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतत्व मेअर्न्तराष्ट्रीय जल संग्रह दिवस के अवसर पर " कैच दे रैन"पुरे भारत वर्ष मे भव्य कार्यक्रम का आयोजित की गई थी । जिसका साक्षी होने का स्वर्णिम अवसर हमे भी मिला। जल का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है।हम सभी को जल के लिए प्रत्येक बुंद का सद्उपयोग व संरक्षित करना चाहिए।

यह प्रत्येक नागरिक कर्तव्य है,लेकिन दुःख की बात है कि हम सभी जल का उपयोग तो अपने अधिकार से करते है 'लेकिन अपने कर्तव्य को भुल जाते है कि जल को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है 'अगर आप सभी जल को संरक्षित करते है तो उसका सद्उपयोग कर अपने व अपने भावी पीढी के उज्जवल भविष्य को सुरक्षित करते है। इसके लिए हमे व आप सभी जल संचय  करने के लिए सपथ लेना होगा | सरकारी फाईल मे  कैच दे रैन अथार्त वरसात की प्रत्येक बुँद को सुरक्षित व संरक्षित करे!हमारा र्दुभाग्य है कि हमारे यहाँ कही बाढ आती है,तो कही सुखाढ। परिणाम स्वरूप हमें प्रकृति का दोहरा मार झेलनी पड़ती है ।
जहाँ तक केन्द्र सरकार की सरकारी योजना का प्रशन है । जल शक्ति मंत्रालय का यह सबसे अंहम मिशन में शामिल ‘जल - जीवन मिशन’ के लिए केन्द्रीय बजट में 11,500 करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की गई है। इस योजना में स्थानीय जल स्रोतों के परिवर्धन, मौजूदा स्रोतों के पुनर्भरण और जल संरक्षण एवं विलणीकरण पर जोर दिया जाएगा।दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को इसी वित्त वर्ष में लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य सभी घरों तक पाइप से पानी पहुँचाने का है,जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से घोषण की थी। सरकार ने इस मिशन के लिए 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।वित्तवर्ष 2020-21 में योजना के लिए 11,500 करोड़ रुपए की सहायता दी जाएगी। जलशक्ति मंत्रालय के पेयजल व स्वच्छ विभाग के कुल बजट 21,518 करोड़ के लगभग आधा इसी योजना का है। विभाग के कुल बजट में 1500 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की गई है।
जल संसाधन,नदी विकास व गंगा संरक्षण विभाग का बजट आवंटन भी 700 करोड़ रुपए बढ़ा है। विभाग को इस बार 8960 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं,जबकि बीते साल का बजट आवंटन 8245 करोड़ रुपए था। इसमेंं 800 करोड़ रुपए का प्रावधान नमामि गंगे योजना के लिए '1000 करोड़ ज्यादा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में भी3.6 लाख करोड़ हर घर पाइप से पानी पहुँचाने के लिए '11,500 करोड़ हर घर जल योजना के लिए दिए जाएंगे । 2020-21 में ।10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में यह स्कीम इसी साल लागू करने का लक्ष्य है।स्थानीय जल स्रोतों की संख्या बढ़ाई जाएगी, मौजूदा जल स्रोतों का पुरर्भरण और जल संचयन किया जाएगा।पानी की समस्या वाले 100 जिलों के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे।

हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन पर काम चल रहा है। इसके लिए 3.6 लाख करोड़ दिए जाएंगे।सरकारी घोषणा को असली जामा यथार्थ के घरातल पर कितना उत्तर पाता है 'अभी भी भविष्य के गर्म है । केद्र की बर्तमान सरकार बयादे व ईरादे  से दिल्ली व देश की जनता भली भाँति परिचित है। ऐसे मुझे कुछ टूटे फूटे शेर याद आ रहे है ' गालिब तेरी गलियो का रंग गुलाबी है ' लेकिन जनता की गलियो की गंदा पानी का बहती हुई गंगा ' यमुना व सरस्वती का संगम है ।

भले ही मंत्रालयों की फाईलो  मे मौसम सुहाना है ' लेकिन आम जनता के लिए विकाश का वीराना है । काश आप के द्वारा विकाश की ब्यार जनता के पास यथार्य के धरातल पर उतर पाता ।
फैसला आप को करना है आप की किस नजर से देखते है । हमे क्या .मेरा तो आप से विदा लेने का वक्त है यह कहते हुए ना ही काहूँ से दोस्ती,ना ही काहूँ से बैर। 'खबरीलाल तो मांगे ,सबकी खैर॥ फिर तीरक्षी नजर से तीखी खबर के संग आप से मुखातिब होगे ' 
प्रस्तृति 
विनोद तकियावाला
मान्यता प्राप्त स्वंतत्र पत्रकार




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